facebookmetapixel
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगेबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोले CM विष्णु देव साय: नई औद्योगिक नीति बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर22 सितंबर से नई GST दर लागू होने के बाद कम प्रीमियम में जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा आसानNepal Protests: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में भारी बवाल, 14 की मौत; गृह मंत्री ने छोड़ा पदBond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग कीGST दरों में कटौती लागू करने पर मंथन, इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग में ITC और इनवर्टेड ड्यूटी पर चर्चाGST दरों में बदलाव से ऐमजॉन को ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में बंपर बिक्री की उम्मीदNDA सांसदों से PM मोदी का आह्वान: सांसद स्वदेशी मेले आयोजित करें, ‘मेड इन इंडिया’ को जन आंदोलन बनाएंBRICS शिखर सम्मेलन में बोले जयशंकर: व्यापार बाधाएं हटें, आर्थिक प्रणाली हो निष्पक्ष; पारदर्शी नीति जरूरी

Editorial: अनिश्चितता से चमका सोना

भारत में यह प्रति 10 ग्राम एक लाख रुपये का स्तर पार कर चुका है।

Last Updated- April 27, 2025 | 9:55 PM IST
Gold price
प्रतीकात्मक तस्वीर

वर्ष 2025 में सोना बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्ति रहा और जनवरी से अब तक अमेरिकी डॉलर के हिसाब से इसकी कीमत 28 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुकी है। भारत में यह प्रति 10 ग्राम एक लाख रुपये का स्तर पार कर चुका है। हालांकि छह अंकों की सीमा पार करने के बाद मुनाफावसूली शुरू हो गई। बीते महीने कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव नजर आया। आंशिक तौर पर इसके लिए अमेरिकी टैरिफ नीति का अनिश्चित रुख जिम्मेदार रहा।

‘लिबरेशन डे’ के बाद तेजी पकड़ने के बाद सोने की कीमतों में कुछ गिरावट आई क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने टैरिफ के मुद्दे पर अपना रुख कुछ नरम किया। परंतु निरंतर वृहद आर्थिक अनिश्चितता तथा वैश्विक मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर रहने की संभावनाओं के बीच इसकी कीमतों में दोबारा तेजी आ गई। मुद्रास्फीति और व्यापक तौर पर वृहद अनिश्चितता को लेकर बचाव के पारंपरिक उपाय के रूप में केंद्रीय बैंक से लेकर आम परिवार तक सोने का इस्तेमाल करते हैं। यकीनन अधिकांश केंद्रीय बैंकों ने सोने का भंडार बढ़ा लिया है। हालांकि प्रक्रिया की शुरुआत टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता से बहुत पहले हो गई थी परंतु अमेरिकी सरकार के कदमों से उत्पन्न अनिश्चितता ने इसका आकर्षण बढ़ा दिया।

सोने की मांग और उच्च मुद्रास्फीति का रिश्ता प्रमाणित है और निकट भविष्य में वह सही साबित हो सकता है। हाल के दिनों में अमेरिकी टैरिफ नीति की अस्थिरता के कारण कीमतें दिन में तीन-चार बार बदलीं। यह संभव है कि अमेरिकी टैरिफ में और इजाफा, अमेरिकी साझेदार देशों की ओर से जवाबी टैरिफ आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करे और ग्राहकों के लिए सोने की कीमतों में और अधिक इजाफा हो जाए। टैरिफ की जंग के परिणामस्वरूप कुछ जिंस कारोबारियों का अनुमान है कि डॉलर के हिसाब से सोने की कीमतों में 25 फीसदी का इजाफा हो सकता है। डॉलर के साथ इसका रिश्ता अन्य संभावित प्रभावों की ओर ले जा सकता है।

एक तो यह है कि कमजोर डॉलर अक्सर सोने की कीमतों में इजाफे की वजह बनता है क्योंकि कीमतें डॉलर आधारित हैं। अगर अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल में इजाफा जारी रहता है और डॉलर कमजोर होता है तो इसका भी असर दिख सकता है। उस स्थिति में उच्च मुद्रास्फीति का संकेत जाएगा और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में धीमापन आएगा जिससे वैश्विक गतिविधियां धीमी हो सकती हैं। इससे सोने की मांग बढ़ सकती है।

टैरिफ की जंग से इतर अन्य नीतिगत अनिश्चितता इस बात के इर्दगिर्द केंद्रित रहेगी कि अमेरिका अपने स्वर्ण भंडार का नए सिरे से आकलन कर सकता है। अमेरिका के पास करीब 8,150 टन सोना है जिसका मूल्यांकन वह करीब 42 डॉलर प्रति 31 ग्राम करता है। सोने की मौजूदा कीमत करीब 3,340 डॉलर प्रति 31 ग्राम है। यानी इसका नए सिरे से आकलन सोने को लेकर धारणा में काफी बदलाव कर सकता है। अगर अमेरिका अपने हिस्से का स्वर्ण भंडार बेच देता है तो इससे कीमतों और धारणा पर काफी असर होगा।

भारत सरकार के पास करीब 876 टन और परिवारों के पास करीब 25,000 टन सोना है। ध्यान देने वाली बात है कि स्टॉक और बॉन्ड के उलट एक धातु के रूप में सोना कुछ नहीं देता। परंतु यह आभूषण उद्योग की बुनियाद है। इस उद्योग को इन अस्थिर हालात में अपनी इन्वेंट्री का सावधानी से इस्तेमाल करना होगा क्योंकि खुदरा कीमतें जहां रोजमर्रा की कीमत से जुड़ी रहती हैं वहीं इन्वेंट्री महीनों पहले तैयार की जाती है। इससे मुनाफा प्रभावित होगा। इसके अलावा गोल्ड लोन भी नकदी जुटाने का लोकप्रिय माध्यम है।

2024-25 में गोल्ड लोन बाजार 76 फीसदी की दर से बढ़ा और रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार चालू वर्ष में वह 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक नया नियमन पेश किया जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि गोल्ड बॉन्ड में गड़बड़ियों को कम किया जा सके। यह समझदारी भरा है क्योंकि कीमतों में अचानक गिरावट से बैंकों आदि का जोखिम अचानक बहुत बढ़ सकता है। केंद्रीय बैंक को इस बाजार पर सख्त निगरानी रखनी होगी और साथ ही सोने को लेकर अपने जोखिम का भी प्रबंधन करना होगा क्योंकि वैश्विक कीमतों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति है।

First Published - April 27, 2025 | 9:55 PM IST

संबंधित पोस्ट