चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पांच वर्षों में जब पहली बार यूरोप की यात्रा की तो व्यापार और यूक्रेन के मुद्दे एजेंडे में शीर्ष पर जरूर रहे लेकिन इन दोनों ही मसलों पर किसी तरह की सहमति बनती नहीं नजर आई। अमेरिका और चीन के बीच बीते डेढ़ साल की थका देने वाली कूटनीति की तरह ही शी की छह दिवसीय यात्रा से भी ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। दोनों पक्षों ने अपने-अपने एजेंडे पर जोर देने के साथ संबद्धता बढ़ाने की बात कही। बहरहाल उनकी तीन देशों की यात्रा जिसमें सर्बिया और हंगरी भी शामिल थे, यूरोप की एकजुटता की पड़ताल करती प्रतीत हुई।
गत माह जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की चीन यात्रा के तत्काल बाद हुई इस यात्रा के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों तथा यूरोपीय संघ की चेयरपर्सन उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ त्रिपक्षीय बैठक में एजेंडे में सबसे अहम था यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में चीन का रूस को समर्थन।
लेयेन के अनुसार यूरोपीय संघ ने चीन से कहा कि वह रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके युद्ध को समाप्त करे। हालांकि इस प्रकरण पर अपनी टिप्पणी को लेकर यूरोपीय संघ काफी हद तक सतर्क रहा। उसने अपने साझेदार अमेरिका का अनुसरण नहीं किया। अमेरिका ने चुनिंदा चीनी संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है। उसे आशंका है कि वे रूस को समर्थन मुहैया करा रहे हैं।
शी को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि वह पुनर्विचार कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने कूटनीतिक अंदाज में मैक्रों के इस आह्वान में स्वर मिलाया कि पेरिस में आयोजित होने जा रहे ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों के दौरान वैश्विक शांति कायम हो। बहरहाल उन्होंने जून में यूक्रेन को लेकर आयोजित हो रहे शांति सम्मेलन में भाग लेने की प्रतिबद्धता नहीं जताई और कहा कि इस संकट का अंत बातचीत के जरिये होना चाहिए।
उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि युद्ध उन्होंने नहीं शुरू किया और न ही वह इसका हिस्सा थे और न ही उनकी इसमें शामिल होने की इच्छा है। व्यापार के मामले में यूरोपीय संघ के नेताओं की अधिक संतुलित व्यापार और बेहतर बाजार पहुंच की दलील पर प्रगति नहीं हुई।
चीन में बने इलेक्ट्रिक वाहनों की यूरोपीय संघ द्वारा जांच में फ्रांस की भूमिका का प्रतिरोध करते हुए उसने यूरोपीय ब्रांडी खासकर फ्रांसीसी कौगनैक को लेकर एंटी डंपिंग जांच शुरू कर दी। कौगनैक चीन में लोकप्रिय है। परंतु जर्मन बीफ और सेब पर से प्रतिबंध हटाने के अलावा शी ने यूरोपीय संघ के व्यापक बाजार पहुंच के प्रश्न का निराकरण नहीं किया।
इलेक्ट्रिक वाहनों को चीन की सरकारी सब्सिडी को लेकर यूरोपीय संघ की चिंता के मामले में शी चिनफिंग ने अपना पुराना रुख बरकरार रखा कि इस उद्योग ने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने में अहम भूमिका निभाई है।
बहरहाल सर्बिया और हंगरी की उनकी यात्रा ने संभवत: यूरोप को असहज करने वाले संदेश दिए हों। हंगरी यूरोपीय संघ का सदस्य है जहां बढ़ता अधिनायकवाद यूरोपीय संघ की सदस्यता की परीक्षा ले रहा है। सर्बिया 2012 से सदस्यता का उम्मीदवार है। दोनों देशों का झुकाव रूस की ओर है और वे चीन की बेल्ट और रोड पहल (बीआरआई) पर हस्ताक्षर करने वाले आरंभिक देश हैं।
बेलग्रेड-बुडापेस्ट हाई स्पीड रेलवे इस पहल की प्रमुख योजना है। यह चीन की ‘16 प्लस वन’ पहल का हिस्सा है जिसके जरिये चीन मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों के साथ कारोबारी और निवेश संबंधी रिश्ते बढ़ाना चाहता है।
माना जा रहा है इस दौरान ग्रीस तक संपर्क कायम करके जमीन से समुद्र के माध्यम से एक असाधारण मार्ग तैयार किया जाएगा जो पूर्वी यूरोप से भूमध्यसागर के बंदरगाहों तक जाएगी। इससे चीन को यूरोपीय संघ के बाजारों की करीबी हासिल होगी। कुल मिलाकर शी को शायद यूरोप की इस यात्रा से अपेक्षाकृत ज्यादा हासिल हुआ और मेजबान यूरोपीय संघ की तुलना में उन्होंने अपने देश के हितों का अधिक ध्यान रखा।