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Editorial: बढ़ेंगी सोने की कीमतें

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की शुल्क नीतियों ने वैश्विक अनिश्चितता बढ़ाई है और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है।

Last Updated- February 23, 2025 | 9:54 PM IST
Gold

इस वर्ष सोने ने अन्य सभी वित्तीय परिसंपत्तियों को पीछे छोड़ दिया है। सच तो यह है कि बीते कई सालों से सोना बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्तियों में शुमार रहा है। एक जनवरी,  2025 के बाद से डॉलर में इसकी कीमत 11 फीसदी और रुपये में 13 फीसदी चढ़ी है। जनवरी 2024 से अब तक सोना डॉलर में 42 फीसदी मजबूत हुआ है।

सोने को हमेशा से ही महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता से बचने का जरिया माना जाता है। इस कारण इसका प्रतिफल बेहतरीन रहा है। गत वर्ष दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था। यह लगातार तीसरा साल था जब केंद्रीय बैंकों ने 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा था। खुदरा निवेशक और धातु कारोबारी भी जोश में रहे हैं। भारतीय परिवारों के पास दुनिया के कुल सोने का करीब 12 फीसदी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर है और आपूर्ति श्रृंखला की जो दिक्कतें महामारी के समय आरम्भ हुई थीं, यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में उथल पुथल ने उन्हें गंभीर कर दिया है। इस वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की शुल्क नीतियों ने वैश्विक अनिश्चितता बढ़ाई है और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है।

इन हालात में सोने जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों की मांग बढ़ी है। अफवाहें हैं कि सोने पर ‘ट्रंप टैरिफ’ लगाया जा सकता है, जिस कारण भी सोने की मांग बढ़ी है और अधिकतर केंद्रीय बैंक अपना स्वर्ण भंडार बढ़ा रहे हैं। ट्रंप के बयान से लगता है कि वह फोर्ट नॉक्स में रखे अमेरिकी सरकार के स्वर्ण भंडार को बढ़ाने में रुचि रखते हैं।

खबरें हैं कि अमेरिका शायद अपने स्वर्ण भंडार का पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। ऐसे में वित्तीय भूचाल आ सकता है क्योंकि अमेरिकी सरकार आधिकारिक तौर पर सोने का मूल्यांकन 42 डॉलर प्रति ट्रॉय आउंस (करीब 31.1 ग्राम) करती है जबकि बाजार मूल्य करीब 2,935 डॉलर प्रति आउंस है।

सामान्य तौर पर मजबूत डॉलर की स्थिति में सोना कमजोर होता है क्योंकि इसकी कीमत डॉलर से तय होती है। किंतु मुद्रास्फीति की आशंका और केंद्रीय बैंक की मांग ने इस तकनीकी बाधा को लांघ दिया है, जिससे डॉलर के मजबूत होने पर भी कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गईं। अगर रुझान जारी रहा तो कुछ दिलचस्प परिणाम देखने को मिल सकते हैं। सभी मान रहे हैं कि सोना चढ़ेगा और दूसरी परिसंपत्तियां उससे ज्यादा प्रतिफल दे नहीं पा रही हैं, इसलिए मांग बनी रहेगी। सोना खान से निकालकर रिफाइन करना होता है यानी उसकी आपूर्ति सीमित रहती है। अगर नए भंडार सामने आते हैं तो भी उन्हें वाणिज्यिक उत्पादन के लायक बनाने में समय लगेगा।

ऐसे में उच्च मांग से कीमतों में भारी इजाफा हो सकता है और यह मौजूदा ऊंचे स्तर से भी ऊपर जा सकता है। सोने के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और गोल्ड माइनिंग शेयर तेजी पर हैं।

दूसरी ओर सराफ और सोना रखकर कर्ज देने वाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों एवं बैंकों को सोने की बढ़ती मांग से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सराफों के उत्पादों की मांग इससे बढ़ रही है, लेकिन ज्यादा सोना रखना जोखिम का काम होता है क्योंकि कीमत बढ़ रही है। सोने के बदले कर्ज भी ऊंची कीमतों पर दिए जा रहे हैं। अगर कीमत नीचे आईं और कर्ज नहीं चुकाए गए तो कंपनियां संकट में आ जाएंगी।

सोने की औद्योगिक मांग कम है। कुछ गोल्ड बॉन्ड को छोड़ दें तो यह ऐसी संपत्ति नहीं जो ब्याज अर्जित करे। इसलिए आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर सोने का प्रदर्शन हमेशा खराब रहा है। अन्य परिसंपत्तियां बेहतर प्रदर्शन करती हैं तो सोने की कमियां उसे अनाकर्षक बना देंगी। किंतु जब तक अनिश्चितता और आर्थिक कमियां बरकरार रहीं उसकी कीमतें लगातार बढ़ने की संभावना है।

First Published - February 23, 2025 | 9:54 PM IST

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