डिजिटल मार्केट अधिनियम (डीएमए) के प्रवर्तन के कुछ सप्ताह बाद यूरोपीय आयोग ने गूगल, मेटा, एमेजॉन और ऐपल की जांच शुरू की है। यह जांच निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी डिजिटल मार्केट तैयार करने के लिए जरूरी अहम सिद्धांतों का पालन नहीं करने के आरोपों के कारण की जा रही है। ये जांच किसी न किसी रूप में ऐतिहासिक घटना साबित होगी क्योंकि जिन कंपनियों की जांच की जा रही है वे वैश्विक स्तर पर दबदबा रखने वाली कंपनियां हैं।
आयोग खासतौर पर अल्फाबेट के उन नियमों पर गौर कर रहा है जो गूगल प्ले के संचालन तथा गूगल सर्च की खुद को वरीयता देने तथा ऐप स्टोर में ऐपल के संचालन के साथ-साथ सफारी के लिए स्क्रीन के चयन तथा मेटा के ‘भुगतान या सहमति मॉडल’ पर गौर कर रहा है। इसके अलावा आयोग ने वैकल्पिक ऐप स्टोरों के लिए ऐपल के नए शुल्क ढांचे तथा एमेजॉन की रैंकिंग व्यवस्था को लेकर भी जांच आरंभ की है।
डीएमए ने बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ‘गेटकीपर’ की अर्हता देने के लिए एक खास लक्ष्य मानक तय किया है। गेटकीपर की आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए, उसका बाजार पर अच्छा खासा असर होना चाहिए और उसे यूरोपीय संघ के कई देशों में सक्रिय होना चाहिए।
उसे एक मजबूत मध्यवर्ती होना चाहिए, उसे कई तरह के व्यापारों में व्यापक उपयोगकर्ताओं से संबद्ध होना चाहिए और उसे बीते तीन वित्त वर्षों के दौरान इन सभी मानकों पर खरा होना चाहिए। अल्फाबेट, एमेजॉन, ऐपल, बाइटडांस, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट छह वैश्विक दिग्गज कंपनियां हैं जिन्हें गेटकीपर के रूप में तैयार किया गया है।
डीएमए ने गेटकीपरों से मांग की थी कि वे 7 मार्च तक उसके नियमों का पालन सुनिश्चित करें। आयोग का मानना है कि अल्फाबेट और ऐपल के उपाय वित्तीय शुल्कों समेत विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध और सीमाएं लगाने वाले हैं जो डेवलपरों की स्वतंत्र रूप से संचार और पेशकश को बढ़ावा देने तथा सीधे अनुबंध समाप्त करने की क्षमता को बाधित करते हैं।
आयोग यह जांच कर रहा है कि गूगल सर्च जो गूगल शॉपिंग, गूगल फ्लाइट, गूगल होटल आदि को प्रमुखता से दिखाता है, क्या वह प्रतिद्वंद्वी सेवाओं पर खुद को प्राथमिकता देता है? वह ऐपल के मामले में इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या वह उपयोगकर्ताओं को आसानी से सॉफ्टवेयर हटाने देता है, आईओएस की डिफॉल्ट सेटिंग बदलने देता है और उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंद की स्क्रीन चुनने देता है जो उन्हें यह इजाजत देता है कि वे अपने आईफोन पर वैकल्पिक ब्राउजर या सर्च इंजन का इस्तेमाल कर सकें।
मेटा के मामले में आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या यूरोपीय संघ के उपयोगकर्ताओं के लिए हाल ही में शुरू किया गया ‘भुगतान या सहमति’ मॉडल डीएमए का अनुपालन करता है जिसके लिए गेटकीपरों को उपयोगकर्ताओं की सहमति पाने की जरूरत होती है, तब जबकि वे विभिन्न प्लेटफॉर्म सेवाओं पर निजी डेटा को संयुक्त रूप से इस्तेमाल करना चाहते हों या उनका परस्पर इस्तेमाल करना चाहते हों।
मेटा का यह द्वैत मॉडल शायद सहमति नहीं देने वालों को सही विकल्प नहीं देता हो। एमेजॉन अपने निजी ब्रांड को तरजीह देता साबित हो सकता है और ऐपल का नया शुल्क ढांचा तथा वैकल्पिक ऐप स्टोरों के लिए अन्य नियम एवं शर्तें डीएमए दायित्वों का विरोधाभासी हो सकता है।
आयोग कंपनी के वैश्विक कारोबार के 10 फीसदी तक का जुर्माना लगा सकता है और उल्लंघन दोहराए जाने पर यह 20 फीसदी तक हो सकता है। अतिरंजित हालात में वह गेटकीपरों को कारोबार को बेचने या संबंधित सेवाओं का अधिग्रहण रोकने की इजाजत दे सकता है। डीएमए बड़े डिजिटल एकाधिकार के लिए एक खरी जांच की तरह है।
अक्सर इन्हें ‘स्वाभाविक’ एकाधिकार माना जाता है जहां उपयोगकर्ता एक ही सर्च इंजन, ऑनलाइन स्टोर या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में रुचि लेता है। एक बार जब प्लेटफॉर्म बड़ा हो जाता है तो इसे नेटवर्क प्रभाव का लाभ मिलता है। लेकिन रसूखदार कंपनियों का प्रतिस्पर्धा विरोधी रुख भी प्रतिस्पर्धा को दबाता है।
यूरोपीय संघ एक बड़ा और आकर्षक बाजार है और बड़ी से बड़ी कंपनियों को डीएमए के अनुपालन के लिए विवश कर सकता है। जांच के नतीजों के आधार पर डीएमए अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे ही प्रावधान ला सकता है। इससे सुनिश्चित होने वाली प्रतिस्पर्धा से नवाचार बढ़ेगा जो उपभोक्ताओं और उद्यमियों दोनों के लिए लाभदायक होगा।