वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 2000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों के परिणाम संकेत देते हैं कि राजस्व और मुनाफा वृद्धि में सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही की तुलना में सालाना आधार पर राजस्व में 7.6 फीसदी की वृद्धि हुई। कर पश्चात लाभ में सालाना आधार पर 12.7 फीसदी और तिमाही आधार पर 15.7 फीसदी की वृद्धि हुई। एकबारगी समायोजित कर पश्चात लाभ सालाना आधार पर 9 फीसदी और तिमाही आधार पर 13 फीसदी बढ़ा। हालांकि वृद्धि दर बहुत अधिक नहीं है लेकिन यह रुझान (जहां कर पश्चात लाभ में वृद्धि तिमाही आधार पर वार्षिक आधार की तुलना में अधिक रही) कारोबारी चक्र में बदलाव का संकेत दे सकता है।
पेट्रोलियम और बैकिंग एवं वित्त जैसे अस्थिर क्षेत्र, जिनका प्रदर्शन औसत रहा, उन्हें बाहर कर दिया जाए तो अन्य क्षेत्रों के लिए राजस्व में वृद्धि कुल मिलाकर सालाना आधार पर 9.5 फीसदी और तिमाही आधार पर 7.1 फीसदी रही, जबकि परिचालन लाभ में सालाना 18 फीसदी की वृद्धि हुई और कर पश्चात लाभ में सालाना आधार पर 21.4 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। समायोजन के बाद कर पश्चात लाभ सालाना आधार पर 15.4 फीसदी और तिमाही आधार पर 17.6 फीसदी बढ़ा। वहीं करों का भुगतान सालाना और तिमाही आधार पर 13.9 फीसदी बढ़ा।
तेल क्षेत्र पर कच्चे तेल और गैस की कम कीमतों का असर हुआ और राजस्व में सालाना आधार पर 0.9 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि परिचालन लाभ में सालाना आधार पर 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ। कर पश्चात लाभ में 2 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, तिमाही आधार पर कर पश्चात लाभ 19 फीसदी बढ़ा। यह इस बात का संकेत है कि रिफाइनरों को बेहतर रिफाइनिंग मार्जिन से मुनाफा हुआ और वित्त वर्ष25 की चौथी तिमाही में तेल एवं गैस कीमतों में गिरावट ने भी उनकी मदद की।
बैंकों की आय में सालाना आधार पर 8.8 फीसदी की वृद्धि हुई और करों में 28 फीसदी का भारी इजाफा सहन करने के बाद सालाना आधार पर उनका कर पश्चात लाभ 3.3 फीसदी बढ़ा। गिरते ब्याज दर के दौर का सकारात्मक प्रभाव अभी तक सामने नहीं आया है। वाहन कलपुर्जा, पूंजीगत वस्तु, लॉजिस्टिक्स और औषधि क्षेत्र की राजस्व वृद्धि ने सालाना आधार पर 10 फीसदी की वृद्धि का आंकड़ा पार कर लिया। अधोसंरचना और सीमेंट क्षेत्र आपस में करीब से जुड़े हुए हैं क्योंकि सीमेंट की बिक्री विनिर्माण पर निर्भर है, ऐसे में दोनों के राजस्व में तिमाही आधार पर 15 फीसदी का इजाफा हुआ और दोनों ने सालाना आधार पर एक अंक में लेकिन ऊंची वृद्धि दर्ज की।
पूंजीगत वस्तुओं के मुनाफे में सालाना आधार पर 11 फीसदी और तिमाही आधार पर 22 फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं समायोजित कर पश्चात लाभ की बात करें तो अधोसंरचना क्षेत्र में इसमें 95 फीसदी और लॉजिस्टिक्स में 32 फीसदी का इजाफा हुआ। बिजली क्षेत्र का राजस्व 7 फीसदी बढ़ा जबकि समायोजित मुनाफा 19.7 फीसदी बढ़ा। औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र देश के व्यापार के अग्रदूत हैं। औषधि क्षेत्र का राजस्व सालाना आधार पर 13 फीसदी बढ़ा जबकि एकबारगी कर पश्चात समायोजन के बाद लाभ 61 फीसदी बढ़ा। यहां अधिकांश चिंताएं शुल्क को लेकर छिड़ी जंग से जुड़ी हैं। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने 8.5 फीसदी की राजस्व वृद्धि दर्ज की और कर पश्चात लाभ केवल 4.6 फीसदी रहा। मार्जिन में कमी एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि यह उद्योग बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, वीजा संबंधी चिंताएं और बदलते कारोबारी माहौल के कारण परिस्थितियां बदल रही हैं।
दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) के उद्योग में सालाना आधार पर 7.7 फीसदी की राजस्व वृद्धि देखने को मिली जबकि समायोजित कर पश्चात लाभ 5 फीसदी बढ़ा। यहां भी मार्जिन में कमी आई। वाहन उद्योग में अगर टाटा मोटर्स को बाहर कर दें (जेएलआर के कारण उसके नतीजे बहुत अस्थिर रहे) तो मुनाफे में मामूली वृद्धि देखने को मिली। जेएलआर को शमिल करें तो सालाना आधार पर कर पश्चात लाभ 24 फीसदी घट गया। दोपहिया वाहन कंपनियों का प्रदर्शन चार पहिया वाहनों से अधिक बेहतर रहा। व्यापक दृष्टि डालें तो तिमाही आधार पर तेजी मतलब हो सकता है कारोबारी चक्र में तेजी। एफएमसीजी और वाहन जैसे क्षेत्रों के परिणाम संकेत देते हैं कि खपत बहुत मजबूत नहीं थी। वैश्विक मोर्चे पर भी चिंताएं बरकरार हैं, लेकिन उम्मीद की कुछ किरणें भी हैं।