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स्वीप-इन-एफडी क्या है, क्या आपको इसे चुनना चाहिए?

यह एक ऑटो-स्वीप सर्विस है जिसमें आपके बैंक अकाउंट (सेविंग या करंट) से अतिरिक्त रकम पर FD में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

Last Updated- July 08, 2023 | 10:22 AM IST
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BS

एक बेहतर भविष्य के लिए बचत करना बहुत आवश्यक है। आमतौर पर लोग अपने सेविंग अकाउंट में पैसा जमा कर बचत करना शुरू करते है। सेविंग अकाउंट में जमा रकम पर बैंक 2.50 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक का मध्यम स्तर का ब्याज प्रदान करते है। इस तरह बचत करना तो आसान हैं, मगर इसमें ब्याज बहुत ही कम मिलता है। बचत करने के कई अन्य बेहतर विकल्प भी मौजूद है, इन्हीं में से एक ‘स्वीप-इन-एफडी’ का विकल्प है। आइए जानते है कि स्वीप-इन-एफडी क्या है? इस पर ब्याज की दर क्या है और इस विकल्प को चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या है स्वीप-इन-एफडी?

यह एक ऑटो-स्वीप सर्विस है जिसमें आपके बैंक अकाउंट (सेविंग या करंट) से अतिरिक्त रकम पर FD में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस तरह से आपको अपने अकाउंट में जमा रकम पर पहले की तुलना में उच्च ब्याज दर मिलेगा। सेविंग अकाउंट से लिंक FD की अवधि आमतौर पर 1-5 वर्ष की होती है। बैंक स्वीप थ्रेसहोल्ड तय कर सकता है या वह अकाउंट होल्डर को अपनी जरूरतों के अनुसार इसे कस्टोमाइज करने की अनुमति दे सकते हैं।

स्वीप थ्रेसहोल्ड को आसान भाषा में समझे तो यह वह न्यूनतम सीमा है जिससे अधिक रकम होने पर बैंक संबंधित खाते से जुड़े FD अकाउंट में अतिरिक्त रकम को ट्रांसफर कर दिया जाता है।

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सेविंग और एफडी दोनों अकाउंट से ले सकते है ब्याज का लाभ

ब्याज दरों के संबंध में बात करें तो, स्वीप-इन-एफडी सर्विस में आपको रेगुलर सेविंग अकाउंट की तुलना में कुछ खास लाभ मिलता है। आपको सेविंग अकाउंट और एफडी अकाउंट दोनों से ब्याज का लाभ मिलता है।

स्वीप-इन-एफडी का विक्लप चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान

न्यूनतम अकाउंट बैलेंस- स्वीप-इन-एफडी सेवा को एक्टिव करने के लिए, न्यूनतम अकाउंट बैलेंस थ्रेसहोल्ड हर बैंक की अलग हो सकती है। कुछ बैंको के लिए यह राशि 25,000 या 50,000 रुपए है। हालांकि कुछ बैंक ग्राहकों को अपनी जरूरत के मुताबिक थ्रेसहोल्ड तय करने की सुविधा देते हैं।

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जुर्माना- स्पीव-इन-एफडी सर्विस की औसत समय अवधि आमतौर पर एक से पांच वर्ष के बीच की होती है। कुछ बैंक, देय ब्याज पर 0.5 से 1 फीसदी का पेनल्टी चार्ज करते हैं, यदि आप FD को इसके मैच्योर होने से पहले तोड़ते हैं।

रेगुलर खर्चों के लिए एफडी अकाउंट का इस्तेमाल न करें- अपने रेगुलर खर्चों के लिए एफडी अकाउंट का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जितनी बार पैसा निकालेंगे, उतना ही यह जान पाना मुश्किल हो जाएगा कि आपने इस पर कितना ब्याज कमाया है। इतना ही नहीं आपकी ब्याज से होने वाली आय कम हो जाएगी।

First Published - July 8, 2023 | 10:22 AM IST

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