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शादी में मिले उपहार पर आयकर विभाग की रहती है नजर, जानें धारा 56(2)(X) और 269ST से जुड़े नियम

शादी में मिले उपहारों पर आयकर नियम लागू होते हैं, नकद सीमा से अधिक उपहार पर जुर्माना लग सकता है, इसलिए सही दस्तावेज और खुलासा करना जरूरी है

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संजीव सिन्हा   
Last Updated- September 15, 2025 | 9:31 PM IST

एक हालिया मामले- मनुभाई दह्याभाई भोई बनाम आयकर अधिकारी- में कर निर्धारण अधिकारी (एओ) ने 4.31 लाख रुपये की नकद जमा पर सवाल उठा दिया। करदाता ने दावा किया था कि वह रकम उसे शादी के उपहार के तौर पर मिली थी। मगर एओ का कहना था कि जमा रकम शादी से करीब एक महीने पहले की थी और इसलिए उसे उपहार नहीं माना जा सकता। करदाता ने अपने मेहमानों की सूची, शादी के दस्तावेज एवं अन्य रिकॉर्ड प्रस्तुत किए, लेकिन असल विवाद उपहार के समय को लेकर था। एक्विलॉ के कार्यकारी निदेशक (कर) राजर्षि दासगुप्ता ने कहा, ‘विभाग ने उपहारों के समय को असामान्य माना क्योंकि शादी के उपहार शादी की तारीख के आसपास ही प्राप्त होते हैं।’

आयकर अपील न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के अहमदाबाद पीठ ने माना कि केवल समय के आधार पर ही उपहारों को फर्जी नहीं माना जा सकता है। करदाता ने पर्याप्त सबूत (जिन लोगों से उपहार प्राप्त हुए थे, उनके नामों की पूरी सूची) प्रदान किए थे। इसलिए आईटीएटी ने आय में वृद्धि को हटा दिया और फैसला सुनाया कि विवाह में दिए गए वास्तविक उपहारों को बिना स्पष्टीकरण वाली आय नहीं माना जा सकता।

कानूनी प्रावधान

आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) के तहत विवाह के अवसर पर प्राप्त उपहार, चाहे नकद में हों या वस्तु के रूप में, कर से पूरी तरह मुक्त हैं। किंग स्टब ऐंड कासिवा एडवोकेट्स ऐंड अटॉर्नीज के पार्टनर आदित्य भट्टाचार्य ने कहा, ‘अगर किसी एक व्यक्ति से लगभग 2 लाख रुपये या इससे अधिक की नकदी प्राप्त होती है तो धारा 269एसटी  के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।’

आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) में ‘विवाह के अवसर पर’ शब्दों का प्रयोग किया गया है। नांगिया ऐंड कंपनी एलएलपी के निदेशक इतेश दोधी ने कहा कि अदालतों ने इसे ‘उसी तिथि पर’ के बराबर नहीं माना है। इस प्रकार विवाह से पहले या बाद में दिए गए उपहारों को तब तक आय नहीं माना जा सकता जब तक वे ‘विवाह के अवसर पर’ साबित न हो जाएं।’

रिकॉर्ड रखें

अपने उपहार को वास्तविक साबित करने के लिए करदाताओं को प्राप्त रकम के साथ-साथ अतिथियों की एक विस्तृत सूची भी तैयार करनी चाहिए। दोधी ने कहा, ‘अगर उपहार का मूल्य पर्याप्त है तो वर या वधू के नाम पर चेक या ड्राफ्ट का अनुरोध करें। अधिक मूल्य के गैर-नकद उपहारों के लिए राजस्व अधिकारियों द्वारा जांच किए जाने पर दाता का पत्र एक उपयोगी सबूत के रूप में काम कर सकता है।’

सामान्य गलतियां

छूट वाली आय का खुलासा न करना सबसे आम गलती होती है। ऐसे में जांच की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। हालांकि यह कर योग्य नहीं है, फिर भी ऐसी आय की सूचना दी जानी चाहिए और उचित रिकॉर्ड के साथ सबूत रखना चाहिए। दासगुप्ता ने कहा, ‘नकद जमा या संपत्ति की खरीदारी जैसे अधिकतर लेनदेन पर आयकर विभाग की नजर होती है। ऐसे कई लेनदेन अब वार्षिक सूचना विवरण में भी दिखते हैं। पर्याप्त दस्तावेजों का खुलासा न करने से भी नोटिस भेजा जा सकता है क्योंकि  इससे  व्यय बनाम आय रकम में अंतर हो सकता है।’धारा 56(2)(एक्स) के तहत व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहार का तात्पर्य सीधे वर या वधू से है न कि उनके माता-पिता से। डोधी ने कहा, ‘रसीद आपको मुकदमेबाजी से बचाने में मदद करती है।’

सर्वोत्तम प्रथा

विशेषज्ञ आयकर रिटर्न में छूट वाले उपहारों का खुलासा करने, निमंत्रण और दानदाताओं की सूची जैसे दस्तावेजी सबूत संभालकर रखने और बड़े हस्तांतरण के लिए बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने की सलाह देते हैं। भट्टाचार्य ने कहा, ‘उपहारों का खुलासा न करना, नकद सीमा संबंधी नियमों की अनदेखी करना या दस्तावेजों का अभाव जैसी सामान्य गलतियां विवाद पैदा कर सकती हैं। इसलिए उचित खुलासे के साथ-साथ पर्याप्त दस्तावेज रखने से आप मुकदमेबाजी से बच सकते हैं।’

First Published : September 15, 2025 | 9:31 PM IST