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UPS vs NPS: सरकारी कर्मचारियों के लिए कौन सी पेंशन स्कीम बेहतर? जानिए दोनों के बीच पांच बड़े फर्क

सरकार ने UPS लागू कर कर्मचारियों को निश्चित पेंशन की गारंटी दी, जबकि NPS में मार्केट पर निर्भर रिटर्न मिलता है, जानिए दोनों स्कीम्स के बीच मुख्य अंतर

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- September 02, 2025 | 5:41 PM IST

भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट की तैयारी हमेशा से बड़ी चिंता रही है। नौकरी खत्म होने के बाद नियमित आय न मिले तो आर्थिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसी को देखते हुए सरकार अलग-अलग पेंशन स्कीम लेकर आती रही है। अभी तक कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) चला आ रहा था, जिसे साल 2004 में शुरू किया गया था। लेकिन 2024 में सरकार ने एक नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लेकर आई। यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू है। दोनों स्कीम्स का मकसद एक ही है कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा देना। लेकिन इनकी शर्तें और फायदे अलग-अलग हैं। एक स्कीम मार्केट से जुड़ी है, जबकि दूसरी निश्चित पेंशन की गारंटी देती है। ऐसे में सवाल यह है कि कर्मचारियों के लिए कौन सी स्कीम ज्यादा फायदेमंद होगी। आइए, आसान भाषा में जानते हैं UPS और NPS के बीच पांच बड़े फर्क।

पेंशन की गारंटी

UPS में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन मिलती है। अगर कर्मचारी ने 25 साल या उससे ज्यादा नौकरी की है, तो उसे आखिरी 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। कम से कम 10 साल की नौकरी करने वालों को 10,000 रुपये प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी है। वहीं, NPS में पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। इसमें पेंशन की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि निवेश कितना रिटर्न देता है। मार्केट के उतार-चढ़ाव से पेंशन का पैसा कम या ज्यादा हो सकता है।

किस स्कीम में किसे कितना योगदान देना होगा?

UPS और NPS दोनों में कर्मचारी और सरकार को योगदान देना होता है। UPS में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 10 प्रतिशत देते हैं। सरकार इसमें 18.5 प्रतिशत का योगदान देती है, जिसमें 8.5 प्रतिशत एक अलग गारंटी रिजर्व फंड में जाता है। यह फंड पेंशन की गारंटी को पूरा करने के लिए है। दूसरी ओर, NPS में कर्मचारी 10 प्रतिशत और सरकार 14 प्रतिशत योगदान देती है। UPS में सरकार का योगदान NPS से ज्यादा है, जो कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है।

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किसमें कितना जोखिम?

NPS एक मार्केट से जुड़ा हुआ निवेश है। इसमें कर्मचारी के पैसे को इक्विटी, बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है। रिटर्न मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। अगर मार्केट अच्छा प्रदर्शन करता है, तो रिटर्न ज्यादा हो सकता है, लेकिन घाटा होने का जोखिम भी रहता है। UPS में ऐसा कोई जोखिम नहीं है। यह एक निश्चित पेंशन स्कीम है, जिसमें मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता। कर्मचारियों को तय राशि मिलती है, जो उन्हें आर्थिक स्थिरता देती है।

परिवार को मिलने वाला पेंशन

UPS में कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को पेंशन मिलती है। यह पेंशन कर्मचारी की आखिरी पेंशन का 60 प्रतिशत होती है। यह सुविधा परिवार को आर्थिक सुरक्षा देती है। NPS में भी परिवार को पेंशन मिलती है, लेकिन यह कर्मचारी के जमा किए गए पैसे पर निर्भर करती है। अगर कर्मचारी ने एन्युटी प्लान चुना है, तो पति या पत्नी को पेंशन मिलती है। लेकिन इसके बाद बच्चों को कोई पेंशन नहीं मिलती। UPS में परिवार पेंशन की गारंटी NPS से ज्यादा स्पष्ट और सुरक्षित है।

लंपसम निकासी की सुविधा

UPS में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को लंपसम राशि मिलती है। यह राशि हर छह महीने की नौकरी के लिए बेसिक सैलरी और DA का दसवां हिस्सा होती है। यह राशि पेंशन की रकम को प्रभावित नहीं करती। इसके अलावा, कर्मचारियों को ग्रेच्युटी भी मिलती है। NPS में रिटायरमेंट पर जमा कोष का 60 प्रतिशत हिस्सा टैक्स-फ्री निकाला जा सकता है। बाकी 40 प्रतिशत को एन्युटी में निवेश करना जरूरी है। NPS में लंपसम निकासी की सुविधा ज्यादा आसान है, लेकिन UPS में निश्चित पेंशन के साथ लंपसम का फायदा भी मिलता है।

ये अंतर कर्मचारियों को यह तय करने में मदद करते हैं कि उनके लिए कौन सी स्कीम बेहतर है। दोनों योजनाओं की अपनी-अपनी खासियतें हैं, जो अलग-अलग जरूरतों को पूरा करती हैं।

First Published : September 2, 2025 | 5:41 PM IST