UPI आधारित फाइनेंशियल ऐप्स का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए 1 अगस्त 2025 से कुछ बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। UPI प्लेटफॉर्म्स को मैनेज करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए कुछ नए नियम लागू किए हैं। इनका मकसद डिजिटल पेमेंट्स को और तेज और सुचारू करना है, ताकि यूजर्स को किसी तरह की दिक्कत न हो। NPCI के मुताबिक, सिस्टम पर गैर-जरूरी ट्रैफिक को कम करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं, जो कई बार ट्रांजैक्शन की स्पीड को प्रभावित करता है।
NPCI ने पाया कि यूजर्स बार-बार बैलेंस चेक करने या लिंक्ड बैंक अकाउंट्स की जानकारी लेने जैसे नॉन-फाइनेंशियल रिक्वेस्ट्स के कारण सिस्टम पर दबाव बढ़ रहा है। इसे कम करने के लिए अब एक यूजर किसी भी UPI ऐप पर दिन में अधिकतम 50 बार अपना बैंक बैलेंस चेक कर सकेगा। साथ ही, हर सफल ट्रांजैक्शन के बाद बैंक को अकाउंट में मौजूद बैलेंस को दिखाना अनिवार्य होगा, ताकि यूजर्स को बार-बार चेक करने की जरूरत न पड़े।
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इसके अलावा, लिंक्ड अकाउंट्स की जानकारी लेने की लिमिट भी प्रति ऐप प्रतिदिन 25 बार तय की गई है। अगर इस दौरान कोई तकनीकी खराबी आती है, तो सिस्टम अपने आप रिट्राई नहीं करेगा। यूजर को खुद मैन्युअली रिक्वेस्ट डालनी होगी।
UPI के ऑटोपे फीचर में भी बदलाव किए गए हैं। अब ऑटोपे मैनडेट्स को पीक आवर्स (सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे) के बाद प्रोसेस किया जाएगा। हर मैनडेट के लिए सिर्फ एक बार एक्जीक्यूशन और तीन बार रिट्राई की अनुमति होगी।
इसके अलावा, मर्चेंट वेरिफिकेशन या सिक्योरिटी कीज की जानकारी लेने की प्रक्रिया को भी सीमित कर दिया गया है। ऐप्स अब दिन में सिर्फ एक बार, वो भी नॉन-पीक आवर्स में, वेरिफाइड मर्चेंट्स की लिस्ट या सिक्योरिटी कीज ले सकेंगे। ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने के लिए पहले से तय स्टैगर्ड पैटर्न का पालन करना होगा ताकि सिस्टम पर एक साथ ज्यादा लोड न पड़े।
NPCI ने सभी UPI ऐप्स और बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे यूजर और ऑटोमैटिक रिक्वेस्ट्स से होने वाले बैकएंड ट्रैफिक पर नजर रखें। खास तौर पर पीक आवर्स में पार्टनर संस्थानों से आने वाली रिक्वेस्ट्स को बिना जांचे पास नहीं करना होगा। इन नियमों को 31 जुलाई 2025 तक लागू करना अनिवार्य है, और 31 अगस्त तक सिस्टम ऑडिट करके NPCI को रिपोर्ट सौंपनी होगी। अगर कोई ऐप या बैंक इन नियमों का पालन नहीं करता, तो उन पर जुर्माना, API एक्सेस पर रोक या नए यूजर्स जोड़ने पर पाबंदी जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।