भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति की लगातार दो बैठकों में रीपो दर जस की तस रखी है। इससे पहले नीतिगत दरें बढ़ने के साथ ही सावधि जमा (FD) पर ब्याज की दरें भी बढ़ रही थीं। रीपो दर ठहरने से सवाल उठना लाजिमी है कि FD की दरें आगे भी बढ़ेंगी या उन पर भी विराम लग गया है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी इस महीने ब्याज दरें नहीं बढ़ाईं। माईमनीमंत्रा डॉट कॉम के संस्थापक और प्रबंध निदेशक (MD) राज खोसला कहते हैं, ‘दुनिया के ज्यादातर केंद्रीय बैंक दर बढ़ोतरी का सिलसिला रोकने ही वाले हैं। कच्चे तेल जैसी जिंसों के दाम हाल के महीनों में ठहरे रहे हैं। इससे लगता है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर शायद रुकने वाला है।’
दरों पर RBI के फैसले के साथ ही FD पर ब्याज इस बात से भी तय होता है कि बैंकिंग प्रणाली में कितनी तरलता यानी नकदी है। पैसाबाजार के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) नवीन कुकरेजा कहते हैं, ‘बैंकिंग प्रणाली में तरलता अधिक होती है और बड़े बैंकों के पास अधिक से अधिक कर्ज देने के लिए पर्याप्त मात्रा में जमा रकम होती है तो वे FD पर ब्याज बढ़ाना रोक सकते हैं।’
खोसला भारतीय स्टेट बैंक की FD दरों का उदाहरण देते हैं। दो से तीन साल की FD पर ब्याज की दर जनवरी, 2022 में 5.10 फीसदी थी, जो 1.65 फीसदी उछलकर दिसंबर, 2022 में 6.75 फीसदी पर पहुंच गई। लेकिन उसी दरम्यान रीपो दर में 2.5 फीसदी इजाफा हुआ। इस लिहाज से FD पर ब्याज कम बढ़ा। खोसला कहते हैं कि इससे पता चलता है कि बैंक के पास अच्छी खासी नकदी है और उसे ग्राहकों से और नकदी की जरूरत नहीं है।
मगर कुकरेजा के मुताबिक जिन बैंकों के पास कम संख्या में जमा आती हैं या जो ज्यादा से ज्यादा कर्ज देना चाहते हैं, वे अब भी FD पर ब्याज बढ़ा सकते हैं।
FD पर ब्याज की दर कई तिमाहियों से लगातार बढ़ रही हैं और इस समय काफी आकर्षक ब्याज मिल रहा है। जर्मिनेट इन्वेस्टर सॉल्यूशन्स ऐंड रीफोलियो के CEO और संस्थापक संतोष जोसेफ की राय है, ‘FD कराने का यह अच्छा समय है। हो सकता है कि रीपो दरें उच्चतम स्तर पर नहीं पहुंची हों मगर उसके करीब तो पहुंच ही चुकी हैं।’
खोसला वर्तमान ब्याज दरों पर ही FD कराने की सलाह देते हैं ताकि भविष्य में उन पर ब्याज कम हो तो किसी तरह का मलाल नहीं रहे। उनका कहना है, ‘ब्याज दर बढ़ी तो आप किसी भी समय FD तुड़वाकर ऊंचे ब्याज पर दोबारा निवेश कर सकते हैं।’
लघु बचत योजनाओं जैसे दूसरे विकल्प भी इस समय अच्छा रिटर्न दे रहे हैं। कुकरेजा बताते हैं, ‘लघु बचत योजनाओं में सबसे ज्यादा 8.2 फीसदी सालाना रिटर्न 5 साल की वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर मिलता है। सरकारी बैंक और बड़े निजी बैंक वरिष्ठ नागरिकों को FD और कर बचाने वाली FD पर जो ब्याज दे रहे हैं, यह उसके मुकालबे 100 आधार अंक से भी अधिक है। यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकारी बैंकों और मगर उसमें निवेश 5 साल के लिए होता है।
अगर वरिष्ठ नागरिक पांच साल के लिए निवेश कर हर तिमाही नियमित आय चाहते हैं या धारा 80C के तहत कर बचाना चाहते हैं तो बैंक FD के मुकाबले यह बचत योजना ज्यादा मुफीद होगी।’
राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) भी 7.7 फीसदी ब्याज दे रहे हैं। मगर 60 साल से कम उम्र वालों को निवेश करने से पहले अलग-अलग साधनों के रिटर्न की तुलना कर लेनी चाहिए। कुकरेजा समझाते हैं, ‘उन्हें लघु बचत योजनाओं की ब्याज दर और निजी क्षेत्र के बैंकों एवं स्मॉल फाइनैंस बैंकों की कर बचाने वाली तथा सामान्य FD पर मिलने वाले ब्याज की दरों में तुलना करनी चाहिए। इस समय बंधन, डीसीबी, आईडीएफसी फर्स्ट और आरबीएल जैसे बैंकों एफडी पर 7.5 फीसदी सालाना से भी ज्यादा ब्याज दे रहे हैं।’
AAA और AA रेटिंग वाली कंपनियों की FD पर भी काफी अच्छा रिटर्न मिल रहा है। इन पर 8 से 8.25 फीसदी सालाना तक ब्याज मिलता है। मगर निवेशकों को उनकी क्रेडिट रेटिंग पर नजर जरूर रखनी चाहिए ताकि जोखिम कम से कम रहे।
आपको अपना निवेश एक, तीन, पांच और सात साल की अलग-अलग निवेश योजनाओं जैसे FD, NSC और बॉन्ड में लगाना चाहिए। इससे दोबारा निवेश करने का आपका जोखिम भी कम होगा और नियमित तौर पर नकदी आपके पास आती रहेगी।
लघु बचत योजनाओं और FD में निवेश करते समय ध्यान रखें कि आपको नकदी की जरूरत कितने समय बाद पड़ने वाली है। लघु बचत योजनाओं से बीच में नकदी निकालना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए उनमें निवेश तभी करें, जब आपको अवधि पूरी होने से पहले निकासी नहीं करनी हो। FD में रकम लगाते समय यह जरूर देख लें कि समय से पहले निकासी करने पर कितना जुर्माना देना होगा। अंत में स्थिर आय वाले अपने निवेश की अवधि सोच समझकर चुनें ताकि इससे आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे हो सकें।