राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी NPS के ग्राहक अब इस योजना से बाहर निकलने के समय एन्युटी सेवा देने वाली जीवन बीमा कंपनी से एक से ज्यादा एन्युटी/पेंशन योजना खरीद सकते हैं। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के 10 मई, 2023 के सर्कुलर के मुताबिक उन सदस्यों या ग्राहकों को NPS से बाहर निकलते समय किसी एक एन्युटी सेवा प्रदाता से एक से ज्यादा एन्युटी योजना खरीदने का विकल्प मुहैया कराया जाएगा, जिनकी एन्युटी राशि 10 लाख रुपये से अधिक होगी। मगर प्रत्येक एन्युटी योजना कम से कम 5 लाख रुपये की होगी।
इससे पहले तक NPS से बाहर निकलते समय सदस्य को किसी एक एन्युटी सेवा प्रदाता से एक एन्युटी योजना ही खरीद सकता था। नए नियम से NPS ग्राहकों के लिए काफी राहत मिल गई है। मगर इसमें निवेश करने या इसका दामन थामने से पहले इससे जुड़े दूसरे नियमों को भी समझ लेना बेहतर होगा।
कितना निवेश जरूरी
NPS ग्राहकों के लिए निवेश के नियम भी दो तरह के हैं। यदि ग्राहक परिपक्वता के बाद यानी 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद निवेश करना चाहता है तो उसे कुल जमा रकम का केवल 60 फीसदी हिस्सा निकालने की इजाजत मिलती है। इस रकम पर किसी तरह का कर नहीं चुकाना पड़ता। बाकी 40 फीसदी रकम एन्युटी योजना में लगानी पड़ती है। इसी रकम से पेंशन मिलती है।
एन्युटी में निवेश की गई रकम पर किसी तरह का कर नहीं लगता मगर इस पर जो रिटर्न मिलता है यानी पेंशन की जो रकम मिलती है, उस पर कर वसूला जाता है। रिटर्न में मिलने वाली पेंशन निवेशक की सालाना आमदनी में जोड़ दी जाती है और उस पर कर स्लैब के हिसाब से कर चुकाना पड़ता है। अगर रिटायरमेंट के बाद कुल राशि 5 लाख रुपये या इससे कम है तो NPS ग्राहक पूरी रकम निकाल सकते हैं।
लेकिन NPS परिपक्व होने से पहले यानी निवेशक की उम्र 60 साल होने से पहले रकम निकालने पर नियम बदल जाता है। उस सूरत में ग्राहक केवल 20 फीसदी रकम निकाल सकते हैं और बाकी 80 फीसदी रकम किसी जीवन बीमा कंपनी से एन्युटी यानी पेंशन योजना खरीदने में लगानी होती है।
समय से पहले बाहर निकलने पर रकम 2.5 लाख रुपये या उससे कम है तो ग्राहक के लिए पेंशन योजना खरीदना अनिवार्य नहीं है यानी वे पूरी रकम एक साथ निकाल सकते हैं। ध्यान रहे कि NPS से 5 साल पहले नहीं निकला जा सकता।
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रिटायरमेंट के बाद भी जारी
रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र के बाद NPS से बाहर निकलना जरूरी नहीं होता। ग्राहक 75 साल की उम्र तक इसमें योगदान जारी रख सकते हैं। इस अवधि के दौरान भी उन्हें पहले की तरह कर में छूट मिलती रहेगी। इस अवधि में वे जब चाहें, NPS से बाहर आ सकते हैं।
एक और विकल्प भी है। ग्राहक योगदान किए बगैर ही निवेश 75 साल तक बनाए रख सकते हैं यानी 60 साल की उम्र में बाहर निकलने से मना कर सकते हैं। वे एकमुश्त निकासी या एन्युटी में से किसी एक को या दोनों को टाल सकते हैं। इस दौरान वे किसी भी समय NPS से निकल सकते हैं।
60 साल के बाद निवेश
जिन ग्राहकों ने 60 साल या इसके बाद NPS में निवेश शुरू किया है वे 3 साल तक निवेश करने के बाद NPS से बाहर निकल सकते हैं। बाहर निकलने पर उन्हें NPS से परिपक्वता पर इकट्ठा रकम का 60 फीसदी हिस्सा ही एकमुश्त निकालने की इजाजत होगी। बाकी 40 फीसदी रकम एन्युटी योजना में लगानी होगी। अगर कुल राशि 5 लाख रुपये या कम है तो NPS ग्राहक परिपक्व होने पर जमा पूरी रकम एक साथ निकाल सकते हैं।
मगर ग्राहक तीन साल तक निवेश किए बगैर बाहर निकलते हैं तो इसे समय से पहले निकासी यानी प्रीमैच्योर एग्जिट माना जाएगा। उस सूरत में ग्राहक को 80 फीसदी रकम किसी जीवन बीमा कंपनी से एन्युटी यानी पेंशन योजना खरीदने में लगानी होगी। वे 20 फीसदी राशि ही एकमुश्त निकाल सकते हैं। अगर राशि 2.5 लाख रुपये या इससे कम है तो ग्राहक के लिए एन्युटी योजना खरीदना जरूरी नहीं है यानी वे पूरी राशि एकमुश्त निकाल सकते हैं।
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एन्युटी या पेंशन योजना
पेंशन या एन्युटी योजना के तहत जीवन बीमा कंपनियां ग्राहकों को उनके एकमुश्त निवेश पर नियमित तौर यानी मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना पेंशन देती हैं। ब्याज की दर निवेश के समय तय कर दी जाती है और पूरी योजना में वही दर बनी रहती है। फिलहाल NPS ग्राहक PFRDA के पैनल में शामिल 15 एन्युटी सेवा प्रदाताओं यानी जीवन बीमा कंपनियों से ही एन्युटी योजना खरीद सकते हैं।
किससे लें एन्युटी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, स्टार यूनियन दाइची लाइफ इंश्योरेंस, बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस, एडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस, इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस, केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस, कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस, टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस, पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस, आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस, श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस