भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। फिलहाल, यूपीआई लेनदेन सभी उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त है। डिजिटल भुगतान उद्योग बड़े व्यापारियों के साथ किए गए यूपीआई लेनदेन पर एक मामूली मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) की मांग कर रहा है, जिसके तहत उपयोगकर्ताओं को ऐसे भुगतानों के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।
जून में वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि यूपीआई भुगतानों पर एमडीआर लागू करने की उसकी कोई योजना नहीं है। एमडीआर से तात्पर्य उस शुल्क से है जो व्यापारी किसी लेनदेन के लिए बैंकों या भुगतान प्रसंस्करण कंपनियों को देते हैं।
इसके अलावा, मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई इनोवेशन हब (आरबीआईएच) डिजिटल पेमेंट्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (डीपीआईपी) विकसित कर रहा है ताकि ऐसे लेनदेन करने से पहले उपयोगकर्ताओं और बैंकों को जोखिम भरे लेनदेन के बारे में सूचित किया जा सके।
डीपीआईपी का वर्तमान में परीक्षण किया जा रहा है क्योंकि बैंकिंग नियामक का लक्ष्य डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में धोखाधड़ी वाले लेनदेन को कम करना है। इसे उपलब्ध डेटा स्रोतों जैसे कि अवैध गतिविधियों के लिए अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खाते, दूरसंचार और भौगोलिक क्षेत्रों से जानकारी एकत्र करने के लिए डिजायन किया गया है, जहां से जोखिमपूर्ण लेनदेन सामने आते हैं।
इस डेटा पर एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) प्रणाली को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो उपयोगकर्ताओं और बैंकों को जोखिमपूर्ण भुगतानों के बारे में सचेत करेगी।
मल्होत्रा ने कहा, हमारा निरंतर प्रयास एक खाते से दूसरे खाते में धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकना है। हम एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं, जो अभी परीक्षण के दौर में है और पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं। पूरा होने पर यह हमें सभी आवश्यक जानकारी एकत्र करने और उपयोगकर्ताओं को संभावित जोखिम भरे लेनदेन के बारे में पहले से चेतावनी देने में सक्षम बनाएगा।