वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पिछले महीने पेश किए गए पूर्ण बजट में अलग-अलग एसेट क्लास की बिक्री से होने वाली कमाई को लेकर टैक्स नियमों में बदलाव किए गए। ये बदलाव 23 जुलाई 2024 से म्युचुअल फंड के लिए भी लागू हो गए हैं। आइए जानते हैं कि किस तरह के म्युचुअल फंड किस कैटेगरी के अंतर्गत आते हैं और इन पर टैक्स नियमों में क्या बदलाव किए गए हैं।
इस कैटेगरी के तहत वैसे म्युचुअल फंड आते हैं जहां इक्विटी यानी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में एक्सपोजर 65 फीसदी से ज्यादा है। वैसे हाइब्रिड फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 65 फीसदी से ज्यादा है, टैक्स नियमों के मामले में इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं।
23 जुलाई 2024 से लागू नए नियमों के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड (equity mutual funds) बेचते यानी रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) के बजाय 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स देना होगा।
लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/नेगेटिव रिटर्न लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) के बजाय 12.5 फीसदी (अतिरिक्त 4 फीसदी सेस) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। लेकिन दूसरी ओर सालाना 1.25 लाख रुपए तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया है।
23 जुलाई 2024 से पहले के नियमों के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड (equity mutual funds) बेचते यानी रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स देना होगा।
लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/नेगेटिव रिटर्न लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। ध्यान रहे कि सालाना एक लाख रुपए तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स का प्रावधान नहीं है।
इस कैटेगरी के अंतर्गत वैसे म्युचुअल फंड आते हैं जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से कम है। इसके तहत डेट फंड (Debt Fund), इंटरनैशनल फंड (International Fund) आते हैं। वैसे हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से कम है, टैक्स नियमों के मामले में इस कैटेगरी में आते हैं।
ऐसे म्युचुअल फंडों पर बजट 2024 में टैक्स नियमों को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया । यानी 1 अप्रैल 2023 से लागू नियम ही प्रभावी रहेंगे।
1 अप्रैल 2023 से लागू नियमों के अनुसार इस कैटेगरी के फंड को रिडीम करने के बाद जो भी कैपिटल गेन/लॉस होगा वह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा। जबकि 1 अप्रैल 2023 से पहले इस तरह के फंड से होने वाली कमाई पर टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता था।
मतलब 36 महीने से कम के होल्डिंग पीरियड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स जबकि 36 महीने के ऊपर के होल्डिंग पीरियड पर इंडेक्सेशन (Indexation) के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का प्रावधान था। इस तरह से कहें तो 1 अप्रैल 2023 से डेट फंड टैक्सेशन के मामले में FD के समकक्ष आ गया है।
इस कैटेगरी के अंतर्गत वैसे म्युचुअल फंड आते हैं जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम है।
23 जुलाई 2024 से लागू नए नियमों के मुताबिक अगर इस तरह के फंड में होल्डिंग पीरियड 24 महीने से कम है तो होने वाली कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन जाएगी। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से कर चुकाना होगा।
लेकिन अगर होल्डिंग पीरियड 24 महीने से ज्यादा है तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी (अतिरिक्त 0.4 फीसदी सेस) लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।