HDFC पेंशन द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, 30-55 साल की उम्र के बीच भारत की आधी आबादी का मानना है कि रिटायरमेंट की आयु 59 वर्ष होनी चाहिए और 32 साल वह उम्र है जब किसी को अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करनी चाहिए।
केवल 20 प्रतिशत को लगता है कि सीरियस रिटायरमेंट प्लानिंग 30 साल की उम्र से पहले शुरू होनी चाहिए। यह अनुपात पुरुषों, सैलरी पाने वाले और हाई इनकम ग्रुप्स (20 लाख रुपये से ज्यादा सालाना घरेलू आय) के बीच ज्यादा है।
यह सर्वे टियर 1, II और III शहरों में 1801 नागरिकों के बीच किया गया था, जिनमें से 70 प्रतिशत सैलरी पाने वाले थे और 30 प्रतिशत बिजनेस के मालिक थे।
ज्यादातर लोग, सेविंग को आम तौर पर अपने बच्चे की एडुकेशन के लिए खर्च करते हैं या भविष्य के मेडिकल खर्चों के लिए रखना पसंद करते हैं।
छोटे शहरों में लोग अपने बच्चों की शिक्षा और शादी को प्राथमिकता देते हैं, जबकि रिटायरमेंट की प्लानिंग बनाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बड़े शहरों में है।
सर्वे यह पता लगाना चाहता था कि लोग रिटायरमेंट के बारे में क्या सोचते हैं और इसके बारे में कितना जानते हैं साथ ही इसकी परवाह करते हैं या नहीं। यह ‘NPS वरीयता सूचकांक’ नामक एक स्कोर बनाने में मदद करता है जिसको हम समय के साथ ट्रैक कर सकते हैं।
रिटायरमेंट के लिए कितना पैसा पर्याप्त होगा?
रिटायरमेंट के बाद आराम से जीने के लिए लोगों को आम तौर पर अपने मौजूदा सालाना खर्च का लगभग 30 गुना चाहिए होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप सालाना 9 लाख रुपये खर्च करते हैं और आपकी उम्र 50 साल है, तो आप 2.70 करोड़ रुपये के रिटायरमेंट कोष का लक्ष्य रखेंगे। हालांकि, एक, स्टडी में पाया गया कि कई लोगों के पास औसतन 1.3 करोड़ रुपये की पूंजी बचती है, जो उनकी मौजूदा सालाना आय से 10 गुना से भी कम है। स्टडी के मुताबिक, ऐसे में आपको अपना रिटायरमेंट कोष बढ़ाना चाहिए ताकि आप समय से पहले उस लक्ष्य को हासिल कर पाएं।
महंगाई पर भी करें गौर
मोतीवाल ओसवाल का कहना है मुद्रास्फीति के कारण समय के साथ महंगाई भी बढ़ती है। इसलिए सालाना आधार पर इन चीजों को भी गिनना जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर आपका मासिक खर्च अब 50,000 रुपये है, तो 30 सालों में, आपको 7% की औसत वार्षिक मुद्रास्फीति दर के हिसाब से, उसी खर्च को कवर करने के लिए 380,600 रुपये की जरूरत हो सकती है।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि एक अच्छा नियम यह है कि 20-30 साल की उम्र में रिटायरमेंट के लिए अपनी इनकम का 20% बचाकर रखें। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आप इसे 30 की उम्र में 30% और 40 की उम्र में 40% या जो भी रकम आपकी आय और बचत के हिसाब से ठीक हो, तक बढ़ा सकते हैं।
शेट्टी के अनुसार, यदि आप जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं, तो आपको एक अच्छा रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए उतना निवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई 25 साल का व्यक्ति हर महीने 5 हजार रुपये का निवेश करता है। मान लीजिए कि वह 60 साल की उम्र में रिटायर होता है, तो वह तब तक 21 लाख रुपये इन्वेस्ट कर चुका होगा। 10% के औसत रिटर्न के साथ, उसकी रिटायरमेंट सेविंग लगभग 1.9 करोड़ रुपये हो सकती है।
अब अगर उसी निवेशक ने अपने रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करने के लिए अगले पांच साल तक इंतजार किया होता और 30 साल की उम्र में शुरुआत की होती, तो हर महीने ज्यादा पैसा निवेश करने से भी इतना ज्यादा कोष नहीं बनता। यदि उन्होंने अपने रिटायरमेंट तक अगले 30 सालों तक हर महीने 7,000 रुपये का निवेश किया होता, तो उनका कुल कोष केवल 1.5 करोड़ रुपये तक पहुंच पाता।
शेट्टी ने कहा, “न केवल उन्होंने 25.2 लाख रुपये का कुल निवेश किया, जो 25 साल की उम्र में शुरू करने पर 21 लाख रुपये से ज्यादा था, उनकी रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली रकम में भी 32 लाख रुपये की कमी थी।”
एक और उदाहरण देते हुए, शेट्टी कहते हैं कि अगर आप अभी 30 साल के हैं और सालाना 15% की रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फंड में 1 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो आपको 50 साल की उम्र में 16 लाख रुपये मिलते हैं। लेकिन अगर आप यही निवेश 40 साल की उम्र में करते हैं और 50 की उम्र में उसे रिडीम करते हैं, तो आपको रिटर्न के तौर पर 4 लाख रुपये मिलेंगे।
रिटायरमेंट के लिए कैसे निवेश करें?
शेट्टी ने कहा, “अगर आप 30 साल से ऊपर हैं, तो स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के साथ एक आक्रामक पोर्टफोलियो चुनने की सलाह दी जाती है, जिसमें छोटी और मिड-कैप स्कीम शामिल होती हैं, साथ ही हाई रिटर्न वाली चीजों को टार्गेट करें। रियल एस्टेट में भी आप निवेश कर सकते हैं। आक्रामक तरीके से रिसर्च करें क्योंकि रियल एस्टेट में आपको होम लोन और टैक्स का लाभ भी मिलता है। इसलिए यहां इन्वेस्ट करना बढ़िया सौदा साबित हो सकता है।”
“छोटी और मध्यम अवधि के खर्चों के लिए तरल निवेश में धन बनाए रखें। निवेश करते समय अपने रिटर्न पर टैक्स के असर का ध्यान रखें। जोखिम को और कम करने के लिए आप अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं। उदाहरण के लिए, पीपीएफ होल्डिंग्स कर-मुक्त हैं, वैसे ही 12 महीने से ज्यादा पुराने इक्विटी निवेश, जिन पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन कर का भुगतान किया जा चुका है।”
दवाई और अस्पताल में भर्ती के खर्चे रिटायरमेंट के बाद होते हैं सबसे महत्वपूर्ण
रिटायरमेंट के बाद जीवन की सबसे बड़ी चिंता हेल्थ केयर के बढ़ते खर्चे, उसके बाद बीमारी और उम्र बढ़ना है। कम से कम 64 प्रतिशत ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद हेल्थ केयर का खर्च सबसे बड़ा होगा।
ज्यादातर लोग ऐसी रिटायरमेंट स्कीम चाहते हैं जो यह सुनिश्चित करे कि उनका पैसा सुरक्षित रहे, टैक्स बेनिफिट मिले और उनकी मृत्यु के बाद भी निरंतर आय मिलती रहे। कई लोग राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को सुरक्षित सेवानिवृत्ति के लिए सरकार समर्थित विकल्प के रूप में देखते हैं।
हालांकि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) अपेक्षाकृत नई है, लेकिन केवल 24% लोगों के पास ही यह है। यह टैक्स-फ्री विदड्रॉल, सुरक्षा (एनपीएस सरकार द्वारा विनियमित है, और यह जीवनसाथी को भी लाभ प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, धारा 80सी/80सीसीडी के तहत कर लाभ भी हैं।) जैसे फीचर देता है । सभी उपभोक्ताओं (31%) की तुलना में NPS वालों के लिए कर लाभ (80C/80CCD) की अपील ज्यादा (35%) है।
“जबकि कर लाभ, सहकर्मी और वित्तीय सलाहकार एनपीएस खरीद को गति देते हैं, लोगों को एनपीएस और इसकी विशेषताओं के बारे में शिक्षित करना इसे अपनाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह भी देखा गया है कि जिन व्यक्तियों ने एनपीएस के लिए नामांकन किया है, वे अपने सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान अपने वित्तीय स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा आश्वस्त महसूस करते हैं। अध्ययन में कहा गया है, ”इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि एनपीएस स्वामित्व किसी की सेवानिवृत्ति के वर्षों के लिए वित्तीय तैयारियों का एक मजबूत संकेतक है।”
स्टडी में कहा गया है, टैक्स बेनिफिट, साथियों और वित्तीय सलाहकारों की सिफारिशों के कारण लोग NPS लेने के लिए प्रेरित होते हैं। हालांकि, हर कोई इसे ले, इसके लिए उन्हें NPS सुविधाओं के बारे में बताना महत्वपूर्ण है। जो लोग NPS में शामिल होते हैं वे रिटायरमेंट को लेकर ज्यादा आश्वस्त होते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उन्हें पैसे की कमी नहीं होने वाली। इसलिए, आपके NPS होना अच्छा है।
उपभोक्ता रिसर्च स्टडी अगस्त और सितंबर 2023 के बीच भारत के 12 शहरों में NCCS A में आयोजित किया गया था, इसमें उन लोगों को शामिल किया गया था जिनकी सालाना घरेलू आय 10 लाख रुपये से ज्यादा (टीयर III शहरों के लिए लाख रुपये से ज्यादा) थी।