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ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले फॉर्म 16 और 26 AS जरूर मिलाएं

अगर फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 में अंतर दिखता है तो करदाता को टीडीएस काटने वाले अपने नियोक्ता को फौरन खबर करनी चाहिए।

Last Updated- June 02, 2024 | 10:06 PM IST
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आयकर रिटर्न भरते समय सबसे पहले फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 को मिलाना चाहिए और देखना चाहिए कि दोनों में दी गई जानकारी में कोई अंतर तो नहीं है। यदि इनमें अंतर निकलता है तो सबसे पहले उसे ठीक कराएं वरना आयकर विभाग आपको नोटिस थमा सकता है।

क्या है फॉर्म 26AS?

फॉर्म 26AS में आपके द्वारा भरे गए कर का विवरण होता है, जिसमें काटे गए कर, वापस किए गए कर, आय के स्रोत और टीडीएस तथा टीसीएस का पूरा ब्योरा दिया जाता है। इससे पता चल जाता है कि टीडीएस और टीसीएस आपकी वास्तव आय के हिसाब से ही काटा गया है या नहीं। इससे करदाता यह भी जान लेता है कि उसका कितना कर बन रहा है।

पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलीसिटर्स में प्रिंसिपल असोसिएट देवांश जैन बताते हैं, ‘इसमें कर से जुड़ा पूरा ब्योरा एक ही जगह मिल जाता है, जिसे देखने के बाद रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाता है। फॉर्म 26AS कर की धोखाधड़ी कम करने में भी अहम भूमिका निभाता है क्योंकि इसमें कर की पूरी देनदारी लिखी होती है, जिससे कर विवाद भी कम हो जाते हैं।’

फॉर्म 16 से मिलाएं

आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत कर काट रहे नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के फॉर्म 16 जरूर जारी करने होते हैं। ये सर्टिफिकेट ट्रेसेस (टीडीएस रीकंसिलिएशन एनालिसिस ऐंड करेक्शन इनेबलिंग सिस्टम) पर उपलब्ध होते हैं। इनमें कर्मचारी के वेतन से काटे गए कर का पूरा रिकॉर्ड होता है।

सिंघानिया ऐंड कंपनी में पार्टनर ऋतिका नय्यर कहती हैं, ‘फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 का मिलान करते समय पक्का कर लीजिए कि पूरी जानकारी मेल खा रही है। इनमें भी स्थायी लेखा संख्या (पैन) और काटे गए टीडीएस का मेल खाना सबसे जरूरी होता है।’

यह भी देख लीजिए कि फॉर्म 26AS में लिखी हुई आय फॉर्म 16 में दी गई आय एक ही हैं या नहीं। नजर इस बात पर भी रहे कि वेतन, भत्ते और कटौती में कोई अंतर तो नहीं है। आपके नियोक्ता ने वेतन में से कर तो काटा होगा मगर कर की पूरी रकम सरकारी खाते में जमा कर दी गई है, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है। अगर आपके वेतन में से टीडीएस काट लिया गया है मगर सरकार के पास जमा नहीं किया गया है तो फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS के आंकड़े मेल नहीं खाएंगे।

यदि कर काटने वाला उसे जमा करने की जानकारी देना भूल गया है तो यही माना जाएगा कि आपने कर नहीं भरा है। इस सूरत में फॉर्म 26AS में पहले से भरी गई जानकारी और आयकर रिटर्न में आए कर के हिसाब में गड़बड़ हो सकती है। ऐसे मामलों में रिटर्न प्रोसेस होने में देर होगी और आयकर रिफंड भी देर से आएगा।

गंभीर हो सकते हैं नतीजे

फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 के आंकड़े अगर मेल नहीं खाते हैं तो आयकर विभाग जांच शुरू कर सकता है। इन गलतियों को सही नहीं किया गया तो आयकर अधिनियम की धारा 139(9) के तहत आपके पास गलत रिटर्न का नोटिस भी आ सकता है। ये नोटिस ईमेल या डाक के जरिये भेजे जाते हैं और इन्हें ई-फाइलिंग पोर्टल पर भी देखा जा सकता है।

कैसे सुधारें गलती?

अगर फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 में अंतर दिखता है तो करदाता को टीडीएस काटने वाले अपने नियोक्ता को फौरन खबर करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कर वकील आदित्य रेड्डी कहते हैं, ‘नियोक्ता को संशोधित टीडीएस रिटर्न दाखिल करना चाहिए। अगर वह इसे ठीक नहीं करा पाए तो आपके पास आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिये शिकायत करने का विकल्प होता है।’

अगर आयकर विभाग नोटिस भेजकर सफाई मांगता है तो क्या करें? जैन की सलाह है, ‘ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिये यह स्थिति और इसकी वजह स्पष्ट की जा सकती है। इससे सही जानकारी पहुंचेगी और कर रिटर्न के साथ कोई और दिक्कत होने से बच जाएगी।’अगर आपने गलती से फॉर्म 26AS में दिखाए गए टीडीएस रिफंड से ज्यादा रकम का दावा कर दिया है तो आपको रिटर्न दाखिल करते वक्त इसके बारे में भी बताना होगा। ऋतिका समझाती हैं, ‘बैंक स्टेटमेंट और अपने नियोक्ता के साथ चिट्ठी-पत्री जैसे कागजात के साथ तैयार रहें। यदि टीडीएस कम दिखाया गया है तो आपको बाकी कर भरना पड़ सकता है।’

ध्यान रखें ये बात

अपना फॉर्म 26AS देखते रहें। अकॉर्ड ज्यूरिस में पार्टनर अलै रजवी की सलाह है, ‘कर योग्य आय में सभी कटौतियों का दावा करें, हर तरह की आय की जानकारी समय पर दें और अधिक आय के दायरे में आ रहे हैं तो डिजिटल दस्तखत करें। अपने कर फॉर्म का ठीक से जायजा लें और देख लें कि सब कुछ सही हो। इससे आपको कर और रिटर्न भरने में दिक्कत नहीं होगी।’

यह भी ध्यान रखें कि आयकर रिटर्न भरने से पहले सभी तरह की गलतियों और चूकों को ठीक करने से आपकी दिक्कत खत्म हो जाती हैं। इससे प्रोसेसिंग होने में देर नहीं होती और आपका रिटर्न लौटाया भी नहीं जाता। साथ ही इससे कर की मांग आने या रिफंड अटकने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।

First Published - June 2, 2024 | 10:05 PM IST

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