प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
ITR Filing 2025: भारत में लाखों लोग हर महीने किराए का बड़ा हिस्सा अपनी जेब से चुकाते हैं। खासकर मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों को अपनी मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा किराए के रूप में देना होता है। नौकरीपेशा लोग आमतौर पर हाउस रेंट अलाउंस यानी HRA के जरिए टैक्स में छूट पाते हैं। लेकिन हर किसी को यह सुविधा नहीं मिलती। कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें HRA नहीं मिलता। ऐसे लोगों के लिए इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80GG राहत का बड़ा जरिया है। यह सेक्शन उन टैक्सपेयर्स को फायदा पहुंचाता है जो किराए पर रहते हैं लेकिन सैलरी में HRA शामिल नहीं होता।
इस नियम के तहत नौकरीपेशा और खुद का काम करने वाले दोनों लोग छूट ले सकते हैं। छूट की गणना तीन आधारों पर होती है और इनमें से जो भी सबसे कम होती है, वही मानी जाती है। इसके लिए फॉर्म 10BA भरना जरूरी है। अगर किराया एक लाख रुपये से ज्यादा है तो मकान मालिक का पैन नंबर देना होता है। सही डॉक्यूमेंट के साथ आप आसानी से इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की सेक्शन 80GG उन लोगों को टैक्स में राहत देती है जो किराए पर रहते हैं, लेकिन उनके एम्प्लॉयर से HRA नहीं मिलता। यह सुविधा खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो किराए का भुगतान करते हैं और उनके पास कोई दूसरा टैक्स बचाने का जरिया नहीं है। यह सेक्शन न केवल नौकरीपेशा लोगों के लिए है, बल्कि खुद का काम करने वाले लोग भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
इसका मकसद है किराए के बोझ को कम करना और टैक्सपेयर को वित्तीय राहत देना। इस सेक्शन के तहत टैक्स छूट का पैसा तीन मानदंडों में से सबसे कम राशि होती है। पहला, आप प्रति माह 5,000 रुपये तक की छूट ले सकते हैं, यानी सालाना 60,000 रुपये। दूसरा, आपके द्वारा भुगतान किया गया किराया आपकी कुल आय के 10% से अधिक होना चाहिए। तीसरा, आपकी कुल आय का 25%। इन तीनों में से जो राशि सबसे कम होगी, वही टैक्स छूट के लिए मानी जाएगी।
उदाहरण के लिए, अगर आप 15,000 रुपये प्रति माह किराया देते हैं और आपकी सालाना आय 6 लाख रुपये है, तो आपकी टैक्स छूट की गणना इस तरह होगी: 15,000 रुपये x 12 महीने = 1,80,000 रुपये, इसमें से 10% आय (60,000 रुपये) घटाने पर 1,20,000 रुपये। दूसरा, 25% आय यानी 1,50,000 रुपये। तीसरा, अधिकतम सीमा 60,000 रुपये। इनमें से सबसे कम राशि 60,000 रुपये होगी, जो आपकी टैक्स छूट होगी।
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सेक्शन 80GG का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। सबसे पहली शर्त यह है कि आपको अपने एम्प्लॉयर से HRA नहीं मिलना चाहिए। अगर आपने पूरे साल में एक महीने के लिए भी HRA लिया है, तो आप इस छूट के लिए पात्र नहीं होंगे। यह नियम उन लोगों के लिए भी लागू होता है जो नौकरी बदलते हैं और किसी एक एम्प्लॉयर से HRA ले चुके हैं। दूसरी शर्त यह है कि आप, आपके जीवनसाथी, या आपके नाबालिग बच्चे के नाम पर उस शहर में कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए जहां आप काम करते हैं या रहते हैं। अगर आपके पास उस शहर में मकान है, तो आप इस छूट का दावा नहीं कर सकते।
तीसरी शर्त यह है कि आपको किराए का भुगतान वास्तव में करना होगा। यह किराया किसी भी तरह के आवास के लिए हो सकता है, चाहे वह सुसज्जित हो या बिना फर्नीचर का। यहां तक कि अगर आप अपने माता-पिता के मकान में रहते हैं, तो भी आप इस छूट का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए आपको अपने माता-पिता के साथ किराए का एक वैध अनुबंध करना होगा और किराए का भुगतान करना होगा।
हालांकि, इस स्थिति में आपके माता-पिता को उस किराए को अपनी आय में दिखाना होगा और उस पर टैक्स देना होगा। गैर-निवासी भारतीय (NRI) भी इस सेक्शन के तहत छूट ले सकते हैं, बशर्ते वे भारत में किसी संपत्ति के लिए किराया दे रहे हों।
सेक्शन 80GG के तहत टैक्स छूट लेने के लिए आपको कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप नियमित रूप से किराया दे रहे हैं और यह भुगतान एक वैध मकान मालिक को हो रहा है। इसके बाद, आपको फॉर्म 10BA भरना होगा। यह एक घोषणा पत्र है जिसमें आपको किराए के भुगतान और अन्य जरूरी विवरण देने होते हैं। इस फॉर्म में मकान मालिक का नाम, किराए की राशि, और किराए की संपत्ति का पता जैसी जानकारी देनी होती है।
अगर आपका सालाना किराया 1 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा। फॉर्म 10BA को इनकम टैक्स रिटर्न के साथ जमा करना अनिवार्य है। आप इसे इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा, आपको किराए के भुगतान के सबूत, जैसे किराए की रसीद या बैंक स्टेटमेंट, अपने पास रखने चाहिए। भले ही इनकम टैक्स रिटर्न इसे रिटर्न दाखिल करते समय मांगे नहीं, लेकिन बाद में वे इसकी मांग कर सकते हैं।
एक जरूरी बात यह है कि आपको केवल वास्तविक किराए की राशि पर छूट मिलेगी, न कि मेंटेनेंस या अन्य शुल्क पर। इसलिए, किराए की गणना सावधानी से करें। यह भी ध्यान रखें कि यह छूट केवल पुराने टैक्स स्लैब के तहत उपलब्ध है। अगर आपने नया टैक्स स्लैब चुना है, तो आप सेक्शन 80GG का लाभ नहीं ले सकते। इसके अलावा, अगर आप किसी अन्य सेक्शन, जैसे कि होम लोन के ब्याज पर छूट (सेक्शन 24) या मूलधन की अदायगी (सेक्शन 80C) का दावा कर रहे हैं, तो आपको इस छूट के लिए पात्रता की दोबारा जांच करनी होगी।
सेक्शन 80GG उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण टैक्स बचत का जरिया है जो किराए पर रहते हैं और HRA का लाभ नहीं ले पाते। यह न केवल टैक्स योग्य आय को कम करता है, बल्कि वित्तीय बोझ को भी हल्का करता है। सही डॉक्यूमेंट्स और जानकारी के साथ, आप इस सेक्शन का पूरा लाभ उठा सकते हैं।