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ITR Filing में डिविडेंड इनकम में अंतर? जानें ऐसी गड़बड़ी होने पर कैसे करें सही फाइलिंग और TDS क्लेम

ITR फाइलिंग में डिविडेंड इनकम का बेमेल होना एक आम समस्या है, लेकिन ग्रॉस इनकम और TDS को सही दिखाकर टैक्स नोटिस और गलत रिपोर्टिंग से आसानी से बचा जा सकता है

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- August 30, 2025 | 1:51 PM IST

ITR Filing 2025: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय अक्सर टैक्सपेयर्स के सामने सबसे बड़ी उलझन डिविडेंड इनकम को लेकर आती है। कई बार ऐसा होता है कि बैंक अकाउंट में दिख रही रकम और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) या Form 26AS में दर्ज आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते। इसका नतीजा यह होता है कि टैक्सपेयर्स सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर किस आंकड़े को सही माना जाए और ITR में किसे शामिल किया जाए।

यह बेमेल ज्यादातर इसलिए होता है क्योंकि बैंक आपके खाते में नेट डिविडेंड दिखाता है, यानी टैक्स कटने के बाद की राशि। जबकि AIS और 26AS में पूरी ग्रॉस इनकम और काटा गया TDS अलग-अलग दर्ज रहता है। ऐसे में यदि सावधानी न बरती जाए तो गलत जानकारी भरने पर टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस तक मिल सकता है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि इस स्थिति में सही तरीके से ITR कैसे फाइल किया जाए, ताकि टैक्स डिपार्टमेंट से किसी तरह की नोटिस या परेशानी से बचा जा सके।

डिविडेंड इनकम में अंतर क्यों आता है?

डिविडेंड इनकम में अंतर की मुख्य वजह यह है कि आपका बैंक अकाउंट नेट डिविडेंड दिखाता है, यानी वह राशि जो टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) कटने के बाद जमा होती है। दूसरी ओर, AIS और Form 26AS में ग्रॉस डिविडेंड, यानी TDS कटने से पहले की पूरी राशि और काटा गया TDS अलग-अलग दिखाया जाता है। कंपनियों, रजिस्ट्रार या डिपॉजिटरी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर AIS में डिविडेंड के आंकड़े बनते हैं, जो कभी-कभी किसी कारण के आपके रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते। उदाहरण के लिए, अगर डिविडेंड किसी छुट्टी के दिन जमा हुआ या किसी कम इस्तेमाल वाले अकाउंट में गया, तो यह अंतर हो सकता है।

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ITR में सही राशि कैसे चुनें?

ITR में हमेशा ग्रॉस डिविडेंड इनकम, यानी कंपनी या म्यूचुअल फंड द्वारा घोषित या जमा की गई पूरी राशि, को शामिल करना चाहिए। यह राशि ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के तहत स्केड्यूल OS में दर्ज की जाती है। साथ ही, Form 26AS या AIS में दिखाए गए TDS को अलग से TDS स्केड्यूल में बताना होता है, जिसे आप क्रेडिट के रूप में क्लेम कर सकते हैं।

अगर आपने शेयरों या म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए कर्ज लिया है, तो उस पर चुकाए गए ब्याज को 20 प्रतिशत तक की सीमा में डिडक्शन के रूप में दिखाया जा सकता है। लेकिन, बैंक कमीशन या अन्य खर्चों को डिडक्शन के लिए शामिल नहीं किया जा सकता।

अगर अंतर हो तो उसे कैसे ठीक करें?

अगर आपके निजी रिकॉर्ड, कंपनी/म्यूचुअल फंड के स्टेटमेंट और AIS/Form 26AS के बीच बेमेल रहता है, तो सबसे पहले सभी डॉक्यूमेंट्स को मिलाकर जांच करें। अपने बैंक स्टेटमेंट, डिविडेंड स्टेटमेंट और Form 26AS को आपस में मिलाएं। अगर फिर भी अंतर बना रहता है, तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के AIS पोर्टल पर फीडबैक सबमिट कर सकते हैं। इस फीडबैक के जरिए आप एक साथ कई लेनदेन को ठीक करने के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी ITR में सभी डिविडेंड इनकम को सही तरीके से दिखाया गया हो, ताकि टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में कोई गलती न रहे।

सही जानकारी और सावधानी के साथ ITR फाइल करने से न केवल टैक्स प्रक्रिया आसान होती और समय पर रिफंड मिलता है, बल्कि भविष्य में किसी भी तरह की जांच या नोटिस से भी बचा जा सकता है।

First Published : August 30, 2025 | 1:48 PM IST