Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना हर वेतनभोगी व्यक्ति के लिए एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी होती है। यह न केवल एक कानूनी रूप से जरूरी है, बल्कि भविष्य की कई योजनाओं, लोन अप्रूवल, वीजा अप्लाई जैसे कई मौकों पर भी आपकी ईमानदार टैक्स हिस्ट्री का प्रमाण बनता है। इस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारिख 15 सितंबर 2025 है, इसलिए सही समय पर सही जानकारी के साथ टैक्स फाइलिंग बेहद जरूरी हो जाती है।
सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स के सामने सबसे पहले ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में से किसी एक को चुनना ही एक बड़ी चुनौती होती है, जहां छूट और टैक्स दरों को समझदारी से समझना पड़ता है। इसके बाद, Form 16 और फॉर्म 26AS जैसे डॉक्यूमेंट्स का मिलान जरूरी हो जाता है ताकि TDS और इनकम की जानकारी में कोई अंतर न हो। साथ ही, टैक्स सेविंग्स के लिए किए गए निवेश के प्रमाण, जैसे इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड या डोनेशन की रसीदें भी सहेज कर रखना जरूरी है।
इसके अलावा, सही ITR फॉर्म चुनना बेहद जरूरी है, क्योंकि गलत फॉर्म भरने से आपका रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या प्रोसेस में देरी हो सकती है। यहां हम विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे कि सैलरी पाने वाले लोगों को ITR भरते समय किन 5 बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि यह प्रक्रिया आसान, सुरक्षित और फायदेमंद रहे।
सैलरीड कर्मचारियों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले यह तय करना होता है कि वे ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना चाहते हैं या न्यू टैक्स रिजीम। न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट माना गया है, जिसमें टैक्स की दरें कम हैं, लेकिन इसमें ज्यादातर डिडक्शन और छूट उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, ओल्ड रिजीम में आप 80C, 80D जैसे डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन टैक्स स्लैब की दरें थोड़ी ज्यादा हो सकती हैं। अपनी आय और निवेश के आधार पर यह तय करें कि कौन सी रिजीम आपके लिए फायदेमंद है। अगर आप ओल्ड रिजीम चुनना चाहते हैं, तो अपने एंप्लॉयर को पहले ही बताना जरूरी होता है, ताकि TDS उसी हिसाब से काटा जाए।
Form 16 आपके एंप्लॉयर द्वारा दिया जाने वाला एक जरूरी डॉक्यूमेंट है, जिसमें आपकी सैलरी और उस पर काटे गए TDS की जानकारी होती है। यह डॉक्यूमेंट आपके टैक्स रिटर्न को सही ढंग से भरने में मदद करता है। इसे ध्यान से जांच लें और सुनिश्चित करें कि इसमें आपकी आय और TDS की राशि जैसी दी गई जरूरी सारी जानकारी सही है। गलत जानकारी के कारण रिटर्न फाइल करने में दिक्कत हो सकती है, जिससे टैक्स नोटिस या रिफंड में देरी हो सकती है। Form 16 को Form 26AS के साथ मिलान करना भी जरूरी है, ताकि कोई गलती न रहे।
Form 26AS एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसमें आपकी आय पर काटे गए TDS और TCS की पूरी जानकारी होती है। इसमें सैलरी, बैंक ब्याज, किराए से आय आदि पर काटा गया टैक्स शामिल होता है। रिटर्न फाइल करने से पहले Form 16 में दी गई TDS की जानकारी को Form 26AS के साथ जरूर मिलाएं। अगर इसमें कोई अंतर दिखता है, तो उसे ठीक करवाएं, क्योंकि गलत जानकारी के कारण आपका रिफंड अटक सकता है या फिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस तक आ सकता है। यह डॉक्यूमेंट इनकम टैक्स पोर्टल से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
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जीवन बीमा, म्यूचुअल फंड या फिर मेडिकल इंश्योरेंस जैसे टैक्स बचत के लिए किए गए निवेश का लाभ उठाने के लिए उनके डॉक्यूमेंट तैयार रखें। ओल्ड टैक्स रिजीम में 80C, 80D जैसे डिडक्शन का लाभ लेने के लिए इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, रिटर्न फाइल करते समय इन्हें अपलोड करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जांच के दौरान ये डॉक्यूमेंट मांगे जा सकते हैं। इसलिए, निवेश के कागज, किराए के रसीद या दान की रसीद जैसी चीजें संभालकर रखें। गलत या फर्जी डिडक्शन का दावा करने से बचें, क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब एनुअल इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (AIS) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके ऐसी गलतियों को आसानी से पकड़ लेता है।
सैलरी पाने वाले लोगों को अपनी आय के स्रोत के आधार पर सही ITR फॉर्म चुनना जरूरी है। अगर आपकी कुल आय 50 लाख रुपये से कम है और आय का सोर्स केवल सैलरी, एक मकान, ब्याज या 1.25 लाख रुपये तक का LTCG है, तो आप ITR-1 (सहज) फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर आपके पास दो मकान हैं, या आपने शेयर बाजार में निवेश किया है और कैपिटल गेन हुआ है, तो आपको ITR-2 फॉर्म भरना होगा। अगर आप फ्रीलांसिंग या पार्ट-टाइम बिजनेस से आय अर्जित करते हैं, तो ITR-3 या ITR-4 सही हो सकता है। गलत फॉर्म चुनने से रिटर्न खारिज हो सकता है, इसलिए अपनी आय के स्रोत को ध्यान से जांचें और सही फॉर्म चुनें।