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RBI Savings Bond: मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच क्या इस बॉन्ड में निवेश करना होगा बेहतर?

वैसे निवेशक जिन्हें नियमित तौर पर इंटरेस्ट के रूप मे आय की जरूरत है उनके लिए यह बॉन्ड एक बेहतर विकल्प है। 

Last Updated- November 27, 2024 | 5:41 PM IST
RBI

RBI Floating Rate Savings Bond, 2020 (Taxable): मार्केट में जारी उतार- चढ़ाव के बीच बहुत सारे निवेशक फिक्स्ड मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स की तरफ रुख कर रहे हैं। खासकर लघु बचत योजनाएं (small savings schemes) इस समय आकर्षक हो गई हैं क्योंकि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआई अभी ब्याज दरों में कटौती के मूड में नहीं है। सरकार ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए एनएससी (NSC) समेत 12 लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आप सोच रहे होंगे कि आखिर 12 लघु बचत योजनाओं में सिर्फ एनएससी (NSC) का जिक्र क्यों। एनएससी का जिक्र इसलिए क्योंकि इसी स्कीम पर मिलने वाले ब्याज के आधार पर RBI Floating Rate Savings Bond, 2020 (Taxable) यानी FRSB 2020 (T)  के लिए ब्याज का निर्धारण किया जाता है। वैसे निवेशक जिन्हें नियमित तौर पर इंटरेस्ट के रूप मे आय की जरूरत है उनके लिए तो यह बॉन्ड एक बेहतर विकल्प है। 

आरबीआई ने भी मौजूदा छमाही (जुलाई-दिसंबर 2024) के लिए इस बॉन्ड पर ब्याज/कूपन रेट को 8.05 फीसदी पर बरकरार रखा है। यह लगातार दूसरी छमाही है जब आरबीआई ने इस बॉन्ड पर कूपन रेट को स्थिर रखा है। लेकिन इसके बावजूद ब्याज/ कूपन रेट के मामले में सरकार की बहुत सारी छोटी बचत योजनाओं और फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स के मुकाबले यह बॉन्ड ज्यादा आकर्षक है। सरकार की सिर्फ एक लघु बचत योजना – सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) पर पर फिलहाल इस बॉन्ड से ज्यादा ब्याज मिल रहा है। सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम पर फिलहाल ब्याज 8.2 फीसदी है।

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इससे पहले RBI ने इस बॉन्ड पर जुलाई-दिसंबर 2023 छमाही के लिए ब्याज दरों को 70 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 7.65 फीसदी से 8.05 फीसदी कर दिया था। आरबीआई की तरफ से इस बॉन्ड पर ब्याज दरों में इजाफा सरकार द्वारा एनएससी पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद की गई थी। सरकार ने एनएससी पर अप्रैल -जून तिमाही 2023 के लिए ब्याज दरों को 70 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 7 से 7.7 फीसदी कर दिया था। उस तिमाही के बाद से एनएससी पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

Interest/Coupon rate on RBI Floating Rate Savings Bond, 2020 (Taxable)

Period                                       Interest/Coupon rate on RBI bond         
July-Dec 2020                                   7.15 percent

Jan-June 2021                                   7.15 percent

July- Dec 2021                                   7.15 percent

Jan-June 2022                                    7.15 percent

July- Dec 2022                                   7.15 percent

Jan-June 2023                                    7.35 percent

July- Dec 2023                                    8.05 percent

Jan-June 2024                                     8.05 percent

July-Dec 2024                                     8.05 percent              

(Source: RBI)

कैसे तय होता है इस बॉन्ड पर ब्याज?

यह एक फ्लोटिंग रेट बॉन्ड है। इसलिए पूरे टेन्योर के दौरान ब्याज इस बॉन्ड पर एक समान नहीं रहता। इस बॉन्ड पर ब्याज का निर्धारण हर छह महीने पर यानी 1 जुलाई और 1 जनवरी को किया जाता है। इस बॉन्ड पर ब्याज के निर्धारण के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) को बेंचमार्क माना गया हैं। 1 जुलाई और 1 जनवरी को जो ब्याज एनएससी (NSC) पर होता है,  उससे 35 बेसिस प्वाइंट अधिक ब्याज संबंधित छमाही के लिए बॉन्ड धारकों को Floating Rate Savings Bonds, 2020 पर मिलता है।

जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए सरकार ने NSC पर ब्याज दर को 7.7 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखा था, इसलिए आरबीआई ने मौजूदा छमाही (जुलाई-दिसंबर 2024) के लिए इस बॉन्ड पर ब्याज/कूपन रेट 8.05 फीसदी तय किया।

यदि सरकार आने वाले जनवरी-मार्च तिमाही के लिए नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती है तो NSC पर मिलने वाले ब्याज दर के हिसाब से जनवरी-जून छमाही के लिए RBI 1 जनवरी से इस फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड पर ब्याज दरों में इजाफा करेगा। नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC)  सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्धारण हर तिमाही किया जाता है।

किनके लिए यह बॉन्ड है बेहतर?

बगैर जोखिम लिए बैंक एफडी (bank FD) के मुकाबले ज्यादा रिटर्न और नियमित तौर पर आमदनी को ध्यान में रखकर ज्यादातर लोग आम तौर पर सरकार की दो बेहद लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं – सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) का चुनाव करते हैं। लेकिन जैसा नाम से ही स्पष्ट है सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) में सिर्फ सीनियर सिटीजन ही पैसा जमा कर सकते हैं। फिर बारी आती है, पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) की। इस स्कीम में उम्र को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। यह स्कीम भी वन-टाइम इन्वेस्टमेंट स्कीम है। लेकिन इस स्कीम पर एक तो ब्याज कम है दूसरे इस स्कीम में निवेश की लिमिट है। इस स्कीम पर फिलहाल ब्याज 7.4 फीसदी है। जबकि सिंगल और ज्वाइंट अकाउंट के लिए इस स्कीम में निवेश की लिमिट क्रमश: 9 लाख रुपये और 15 लाख रुपये है।

लेकिन अगर आप नियमित आमदनी के साथ 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज/कूपन रेट चाहते हैं तो आपके लिए – आरबीआई की फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड 2020 (RBI Floating Rate Savings Bonds, 2020) बेहतर विकल्प है। सरकार ने जुलाई 2020 में फिक्स्ड 7.75 फीसदी आरबीआई सेविंग बॉन्ड की जगह पर फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड लॉन्च किया था। सरकार (आरबीआई) द्वारा जारी होने के कारण ये बॉन्ड बेहद सुरक्षित हैं।

इस बॉन्ड को लेकर अब कुछ और बात कर लेते हैं:

कैसे करें इस बॉन्ड में निवेश?

आरबीआई ने सभी सरकारी (राष्ट्रीयकृत) बैंकों, चुनिंदा निजी बैंकों जैसे, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और आईडीबीआई बैंक को इस बॉन्ड को जारी करने के लिए अधिकृत किया है। वर्ष के दौरान कभी भी इस बॉन्ड में निवेश इंडिविजुअल, ज्वाइंट या नाबालिग के अभिभावक के तौर पर किया जा सकता है। बॉन्ड में निवेश के लिए आप अप्लाई ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं।

खुदरा निवेशक RBI के रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के जरिए भी फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड, 2020 (T) में खरीदारी कर सकते हैं। पिछले साल अक्टूबर में ही खुदरा निवेशकों को इस बॉन्ड में RBI के रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के जरिए निवेश की इजाजत मिली थी।

अधिकतम कितना निवेश कर सकते हैं?

आप कम से कम 1000 रुपये मूल्य का बॉन्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद आपको 1000 रुपए के गुणक (multiples) में ही निवेश करना होगा, जबकि अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है।

कितने दिनों में यह बॉन्ड होगा मैच्योर? (लॉक-इन पीरियड)

इस बॉन्ड का लॉक-इन पीरियड (मैच्योरिटी) इसके जारी होने की तारीख से सात साल है। सात साल से पहले आप इस बॉन्ड को रिडीम नहीं कर सकते।

प्रीमैच्योर रिडेम्पशन (premature redemption) : लेकिन 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की सुविधा दी गई है। नियमों के अनुसार 60 से 70 साल के निवेशक 6 वर्ष के बाद, 70 से 80 साल के निवेशक 5 वर्ष के बाद, जबकि 80 साल से ऊपर के निवेशक 4 वर्ष के बाद प्रीमैच्योर रिडेम्पशन कर सकते हैं। लेकिन प्रीमैच्योर रिडेम्पशन पर पेनाल्टी का भी प्रावधान किया गया है। पेनाल्टी के रूप में होल्डिंग पीरियड के अंतिम छह महीने के लिए देय ब्याज का 50 फीसदी वसूला जाता है।

ब्याज क्युमुलेटिव या नॉन – क्युमुलेटिव?

इस बॉन्ड पर क्युमुलेटिव ऑप्शन यानी मैच्योरिटी के साथ ब्याज देय नहीं है। मतलब ब्याज हर छह महीने पर बॉन्ड धारक के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

क्या हैं टैक्स के प्रावधान?

इस बॉन्ड पर न तो जमा करने पर और न ही अर्जित रिटर्न पर टैक्स की छूट है। ब्याज की रकम निवेशक की आय में जुड़ जाती है और निवेशक को उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 193 के मुताबिक इस बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी टीडीएस (TDS)  का भी प्रावधान है। लेकिन टीडीएस तभी कटेगा, जब ब्याज एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपए से ज्यादा हो।

क्या लिक्विडिटी की है सुविधा?

इस बॉन्ड की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं हो सकती। इस बॉन्ड को ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता। यानी इसके साथ लिक्विडिटी की सुविधा नहीं है। साथ ही इस बॉन्ड को लोन लेने के लिए कोलैटरल/ सिक्योरिटी की तरह इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता।

First Published - November 27, 2024 | 1:41 PM IST

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