फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी में निवेश का सबसे अच्छा मौका है। हालिया हफ्तों में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा जैसे कई बैंकों ने अपनी एफडी पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। इससे पहले कि दरों में कटौती शुरू हो, निवेशक ब्याज के इस उच्च स्तर का लाभ उठा सकते हैं।
बैंकों की जमा दरों में वृद्धि रीपो दर में बढ़ोतरी से कम है। बैंक बाजार के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) आदिल शेट्टी कहते हैं कि एफडी दरों में वृद्धि धीमी और सिलसिलेवार रही है। इससे इनके उच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना बनी रही।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में गिरवी के बगैर दिए जाने वाले ऋण यानी असुरक्षित ऋण पर प्रावधान की जरूरतें बढ़ा दी हैं, जिससे बैंकों को अतिरिक्त तरलता चाहिए है।
शेट्टी ने कहा, ‘वे अपनी जमा दरों को आकर्षक बनाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक जमा बढ़ाई जा सके। ‘
बैंकिंग प्रणाली तरलता घाटा इस समय उच्च स्तर पर है। पैसा बाजार के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर (क्रेडिट प्रोडक्ट) गौरव अग्रवाल ने कहा, ‘उच्च घाटे ने बैंकों को सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) समेत लघु अवधि की बाजार दरें बढ़ाने को मजबूर कर दिया है।’ इसके बाद बैंकों ने जमा बढ़ाने एवं देनदारियों को संतुलित करने के लिए अपनी लघु अवधि वाली एफडी पर भी दरें बढ़ा दी हैं।
इस समय एफडी दरें व्यापक तौर पर उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। शेट्टी कहते हैं, ‘यहां से कुछ बैंक विशेष अवधि के लिए दरों में थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी कर सकते हैं। एक बार रीपो दर घटनी शुरू हो जाए तो एफडी दरें भी घटेंगीं। हालांकि यह घटोतरी धीरे-धीरे होगी।’
अधिकांश बैंक एक से दो साल की अवधि के लिए और कुछ बैंक दो से तीन साल की अवधि के लिए आकर्षक ब्याज दरें पेश करते हैं। शेट्टी ने कहा, ‘अपने नकद की आवश्यकताओं के हिसाब से वह अवधि चुनें जो आपके लिए सही हो।’
अमूमन लंबी अवधि वाले एफडी पर अधिक रिटर्न मिलता है। फिर भी दो-तीन साल से ज्यादा अवधि वाला उचित नहीं है। शेट्टी का कहना है, ’10 साल के लिए भी एफडी मौजूद है मगर उनमें निवेश करने से बचना चाहिए।
अगर आप इतनी लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) में भी निवेश कर सकते हैं, जहां आपको करीब दोगुना रिटर्न मिल सकता है।’
आपको अपने बैंक से मिलने वाले रिटर्न की तुलना कुछ स्मॉल फाइनैंस बैंकों (एसएफबी) और निजी बैंकों द्वारा अपने बचत खातों पर मिलने वाले रिटर्न से करना चाहिए।
अग्रवाल ने कहा, ‘इनमें से कई बैंक बचत खाते पर ही 7 फीसदी या उससे अधिक की ब्याज दर पेश करते हैं। ऐसे बचत खातों पर आपको छोटी अवधि वाले एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न मिलता है।’
एसएफबी: फिलहाल कई एसएफबी और कई निजी बैंक भी एफडी पर 8 फीसदी या उससे ज्यादा ब्याज दे रहे हैं।
अग्रवाल का कहना है, ‘अब रिजर्व बैंक ने एसएफबी को भी सूचीबद्ध बैंकों की श्रेणी में रखा है। इसलिए हर जमाकर्ता को 5 लाख के तक के जमा (सावधि, आवर्ती जमा और चालू एवं बचत खाता सहित) राशि के लिए बीमा कवर दिया जाता है।’
निवेशकों को एसएफबी में एफडी का अधिक निवेश नहीं करना चाहिए।
मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्नव पांड्या ने कहा, ‘अब तक कोई एसएफबी फेल नहीं हुआ है और वे अभी अपेक्षाकृत नई संस्थाएं हैं। आपको एफडी में पड़े अपने रकम की चिंता नहीं करनी चाहिए इसलिए आप अपने कुल एफडी का एक मामूली रकम की एसएफबी में निवेश करें।’
कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न दे सकते हैं। इनक्रेड मनी के मुख्य कार्य अधिकारी विजय कुप्पा ने कहा, ‘आप जिस गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) में निवेश करना चाह रहे हैं उसकी दीर्घावधि की क्रेडिट रेटिंग पर गौर करें। एए और इससे अधिक की क्रेडिट रेटिंग मजबूत सुरक्षा दर्शाती है।’
उन्होंने चेताया कि कॉरपोरेट एफडी डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के बीमा से कवर नहीं किए जाते हैं। पांड्या ने बहुत लंबे समय वाले कॉरपोरेट एफडी में निवेश नहीं करने के बारे में कहा है क्योंकि समय के साथ कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होने से खतरा भी बढ़ जाता है।
कुप्पा सलाह देते हैं कि खुदरा निवेशक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध और रेहन द्वारा सुरक्षित निवेश-ग्रेड बॉन्ड से जुड़े रहें।
डेट एमएफ विविधता की पेशकश करते हैं। कुप्पा का कहना है, ‘ब्याज दर कम होने पर डेट एमएफ पूंजीगत लाभ पेश कर सकते हैं। उनके साथ सबसे बड़ी समस्या है कि वे पहले से नहीं बताते कि कितना रिटर्न देंगे। इस समस्या को परिपक्वता फंडों में निवेश करके हल किया जा सकता है जहां रकम के परिपक्व होने पर अनुमानित रिटर्न मिलता है।’
डेट फंड में निवेशक कर देनदारी टाल सकते हैं क्योंकि कर का भुगतान सिर्फ निकासी के वक्त करना होता है।