Income Tax Rule: अगर आप हर महीने ₹50,000 से ज्यादा किराया दे रहे हैं, तो एक किरायेदार के तौर पर आपकी यह कानूनी जिम्मेदारी बनती है कि आप टैक्स काटकर (TDS) सरकार को जमा करें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको ₹1 लाख तक का जुर्माना लग सकता है, टैक्स एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है।
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194-IB के तहत, अगर कोई व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) टैक्स ऑडिट के दायरे में नहीं आता है, तो उसे ₹50,000 महीने से ज्यादा किराया देने पर 5% TDS काटना होता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट नियति शाह, जो 1 फाइनेंस में पर्सनल टैक्स वर्टिकल की हेड हैं, बताती हैं कि यह नियम 2017 में लागू हुआ था, लेकिन अब भी कई लोग, खासकर मेट्रो शहरों में रहने वाले सैलरीड किरायेदार, इसे नहीं समझते।
चार्टर्ड अकाउंटेंट और बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी की सेक्रेटरी किन्जल भुता के मुताबिक, “अगर किराया ₹50,000 से ज्यादा है, तो आपको 5% TDS काटकर साल में एक बार जमा करना होता है – या तो मार्च महीने में या जब आप मकान खाली कर रहे हों, जो पहले हो।”
इसके लिए TAN (Tax Deduction Account Number) की जरूरत नहीं होती। बस अपना और मकान मालिक का PAN नंबर देना होता है।
नियति शाह कहती हैं, “काटा गया टैक्स 30 दिन के अंदर फॉर्म 26QC के जरिए जमा करना होता है और 15 दिन के भीतर मकान मालिक को फॉर्म 16C का TDS सर्टिफिकेट देना होता है।”
अगर आप कोई बिजनेस चला रहे हैं और आपका टर्नओवर ₹1 करोड़ (बिजनेस) या ₹50 लाख (प्रोफेशन) से ज्यादा है, तो आपके लिए सेक्शन 194-I(b) लागू होगा।
CA सुरेश सुराणा बताते हैं, “ऐसे मामलों में अगर सालाना किराया ₹2.4 लाख से ज्यादा है तो 10% TDS काटना होता है और TAN भी जरूरी होता है।”
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TDS की जिम्मेदारी को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है। टैक्स एक्सपर्ट शाह कहते हैं कि “अगर आप TDS से जुड़ी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करते हैं तो इससे आपको पैसों और नियमों की बड़ी परेशानी हो सकती है।”
जानिए एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके क्या नुकसान हो सकते हैं:
सुराणा ने कहा कि जानबूझकर गलती करने पर आपको 3 महीने से लेकर 7 साल तक की जेल भी हो सकती है।
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स्वेच्छा से अनुपालन करना है सबसे ज़रूरी। अगर आपने किराए पर TDS काटना भूल गए हैं, तो अब देर न करें। तुरंत ब्याज सहित TDS की रकम की गणना करें और Form 26QC के ज़रिए जमा करें। इसके बाद Form 16C अपने मकान मालिक को ज़रूर दें। टैक्स एक्सपर्ट शाह कहती हैं कि अगर यह पहली बार है और गलती ईमानदारी से हुई है, तो पेनल्टी माफ़ करवाने के लिए आप कारण बताते हुए रिक्वेस्ट कर सकते हैं।
टैक्स सलाहकार सुराणा भी इससे सहमत हैं। वे कहते हैं, “अगर टैक्स नोटिस आने से पहले ही सुधार कर लिया जाए, तो टैक्स डिपार्टमेंट इसे पॉजिटिव तरीके से लेता है।”
बहुत से किरायेदारों को ये गलतफहमी होती है कि TDS सिर्फ तब देना होता है जब किराया किसी कंपनी को दिया जाए, या फिर अगर मकान मालिक कोई व्यक्ति है तो टैक्स नहीं लगता। जबकि ये सही नहीं है। सुराणा ने बताया, “चाहे मकान मालिक व्यक्ति हो, HUF हो या कंपनी—अगर किराया ₹50,000 प्रति माह से ज़्यादा है, तो TDS देना ज़रूरी है।”
अब आयकर विभाग बड़े ट्रांजैक्शन को डिजिटल तरीके से ट्रैक करता है। अगर किराए पर TDS नहीं काटा गया, तो नोटिस, ब्याज और पेनल्टी का खतरा बढ़ जाता है। शाह कहती हैं, “आज की छोटी सी कटौती आपको कल के बड़े झंझट से बचा सकती है।”