भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 8 फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा में रीपो दर एक बार फिर 25 आधार अंक बढ़ा दी। इसके साथ ही रीपो 6.50 फीसदी पर पहुंच गई है।
ज्यादातर विशेषज्ञों को लग रहा है कि दर बढ़ोतरी का इस बार का सिलसिला अब पूरा हो गया है और अब इसमें इजाफा नहीं किया जाएगा। मगर कुछ बातें अब भी चिंतित करने वाली हैं।
ऐक्सिस बैंक म्युचुअल फंड के हेड (फिक्स्ड इनकम) आर शिवकुमार कहते हैं, ‘हमें लग रहा है कि हम नीतिगत दरों के चरम पर पहुंच चुके हैं मगर महंगाई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कार्रवाई काम बिगाड़ सकती है।’
माना जा रहा था कि राहत और ढिलाई को तेजी से वापस ले रहा केंद्रीय बैंक अपनी सख्ती इस बार कम करेगा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। नीतिगत बयान में भी दर बढ़ोतरी रोकने की कोई बात नहीं कही गई है यानी रिजर्व बैंक भी सतर्क होकर चल रहा है।
कॉरपोरेट ट्रेनर (डेट मार्केट्स) और लेखक जयदीप सेन ध्यान दिलाते हैं, ‘आरबीआई गवर्नर ने इस बार की समीक्षा में भी चिंताजनक मुख्य मुद्रास्फीति की बात कही, जैसे उन्होंने पिछली समीक्षा में कही थी।’ उनका कहना है कि आगे दर में बढ़ोतरी के आसार नहीं लगते मगर आरबीआई ने जरूरत पड़ने पर इजाफे का विकल्प खुला रखा है।
कुछ समय तक तो दरें ऊपर ही बनी रहेंगी। टाटा म्युचुअल फंड में हेड (फिक्स्ड इनकम) मूर्ति नागराजन कहते हैं, ‘अगले साल भी खुदरा महंगाई 5 फीसदी से ऊपर (4 फीसदी के रिजर्व बैंक के लक्ष्य से बहुत अधिक) बने रहने की बात कही जा रही है, इसलिए दर में कटौती की उम्मीद बेमानी ही है।’
कर डालिए प्रीपेमेंट
जिन लोगों के कर्ज चल रहे हैं, उनकी मासिक किस्त (ईएमआई) में एक बार फिर इजाफा हो सकता है। आईएमजीसी के मुख्य परिचालन अधिकारी अनुज शर्मा बताते हैं कि ज्यादातर कर्जदारों के लिए कर्ज की मियाद पहले ही अधिकतम सीमा तक बढ़ा दी गई है और अब मियाद नहीं बढ़ सकती।
पैसाबाजार के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा सलाह देते हैं कि मियाद बढ़वाने की तुलना में ईएमआई की रकम बढ़वाना हमेशा अच्छा रहता है। उनका कहना है कि मियाद बढ़वाने पर ब्याज के मद में जाने वाली रकम भी बहुत ज्यादा बढ़ सकती है।
बढ़ती ब्याज दर से निपटने का सबसे अच्छा तरीका समय से पहले कुछ भुगतान करना यानी प्रीपेमेंट होता है। बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘हर साल अपने कुल मूलधन का 5 फीसदी प्रीपेमेंट करने की कोशिश करें। यह आराम से हो सकता है। 20 साल के कर्ज में अगर ऐसा करते रहे तो आपका कर्ज 13 साल में ही चुक जाएगा।’
अगर आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो गया है तो होम लोन के बैलेंस ट्रांसफर की कोशिश करें। कुकरेजा कहते हैं, ‘प्रोफाइल सुधरेगा तो आप अपना बकाया होम लोन किसी दूसरे बैंक या वित्तीय संस्था के पास कम ब्याज दर पर ट्रांसफर कर पाएंगे।’
नया कर्ज फौरन ले लें
जो इस समय होम लोन ले रहे हैं, वे शायद सबसे ऊंची ब्याज दर पर इसे लेंगे। उनके लिए सबसे अच्छी बात यह है कि एक या दो साल में ब्याज दर में कटौती होनी ही है। इसलिए नए कर्जदार अपने लोन का बड़ा हिस्सा कम ब्याज पर चुकाएंगे। शेट्टी बताते हैं, ‘कम ब्याज दर रहते हुए अगर चार-पांच साल प्रीपेमेंट कर दिया तो कर्जदारों का ब्याज पर खर्च बहुत कम हो जाएग।’
एफडी 12 से 15 महीने की
शेट्टी यह भी कहते हैं कि इस समय की ब्याज दरों पर 12 से 15 महीने के लिए सावधि जमा (एफडी) कर देना फायदेमंद होगा। उन्हें लगता है, ‘अगले 12-15 महीने खत्म होने पर शायद दरें अपने चरम पर होंगी।’ अगर आपको खास दर वाली एफडी (400 या 730 दिन के लिए) में अच्छा रिटर्न नजर आ रहा है तो झट से लपक लें।
इसके लिए सबसे पहले ज्यादा से ज्यादा बैंकों की एफडी ब्याज दर देखें। कुकरेजा समझाते हैं, ‘इस समय लघु वित्त बैंक यानी स्मॉल फाइनैंस बैंक और निजी क्षेत्र के कुछ बैंक एफडी पर 7.5 फीसदी सालाना से भी ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं।’ लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी एक बैंक में आप 5 लाख रुपये से ज्यादा जमा नहीं करें क्योंकि जमाकर्ता बीमा कार्यक्रम के तहत आपकी अधिकतम इतनी ही रकम सुरक्षित रहती है।
डेट एमएफ में देखें मियाद
डेट म्युचुअल फंड में निवेश करने वालों को शुरुआत पर अच्छा प्रतिफल मिल रहा है। सैंक्टम वेल्थ के निवेश उत्पाद प्रमुख आलेख यादव कहते हैं, ‘बॉन्ड पर प्रतिफल लगभग अधिकतम और आकर्षक है, इसलिए इसी दर पर रकम लगा दें।’
मगर डेट फंड की श्रेणी चुनते समय देखिए कि आपको कितने समय के लिए निवेश करना है और आप कितन जोखिम ले सकते हैं। साल भर के लिए रकम लगानी हो तो लिक्विड से लेकर मनी मार्केट फंड तक कोई भी श्रेणी चुन लें। तीन साल के लिए निवेश के इच्छुक लोग शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, कॉरपोरेट बॉन्ड और बैंकिंग तथा पीएसयू फंड चुन सकते हैं।
सेन कहते हैं, ‘अगर आपको और भी लंबा निवेश करना है तो टारगेट मैच्योरिटी फंड चुनिए जिसके परिपक्व होने की तारीख आपकी निवेश अवधि से मेल खाती हो।’ वह अभी अवधि बदलने से बचने की भी सलाह देते हैं। उनका कहना है कि प्रतिफल निकट भविष्य में बढ़ने नहीं जा रहा, इसलिए पांच के बजाय 10 साल परिपक्वता अवधि पर जाने से भी अधिक प्रतिफल नहीं मिलेगा। हाल फिलहाल दर कटौती के आसार भी नहीं हैं लिहाजा आपको मार्क ट मार्केट मुनाफा भी नहीं होगा।