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स्मॉलकैप फंड: लंबे अरसे के लिए लगाएं कम रकम तो घटेगा जोखिम

SEBI ने कुछ फंड कंपनियों से पूछा है कि उन्होंने बहुत अधिक जोखिम वाले फंड वरिष्ठ नागरिकों को क्यों बेचे।

Last Updated- April 14, 2024 | 9:30 PM IST
Smallcaps steal a march over largecaps

कुछ अरसा पहले स्मॉलकैप फंडों में रकम लगाने वाले निवेशक आज खुश हैं क्योंकि 10 अप्रैल 2024 तक के 12 महीनों में स्मॉलकैप इक्विटी फंडों ने औसतन 54.7 फीसदी रिटर्न दिया है। मगर यह तेज रफ्तार देखकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इनमें स्ट्रेस टेस्ट अनिवार्य कर दिया हैं, जिससे चिंता होने लगी है। सेबी ने कुछ फंड कंपनियों से पूछा है कि उन्होंने बहुत अधिक जोखिम वाले फंड वरिष्ठ नागरिकों को क्यों बेचे। सितंबर 2021 के बाद पहली बार मार्च 2024 में इस श्रेणी में 94.2 करोड़ रुपये की निकासी हुई।

स्मॉलकैप की दुनिया में कुछ कंपनियां अपने कारोबार में आगे हैं मगर कुछ के पास अब तक ज्यादा निवेशक या मजबूत बहीखाता नहीं हो पाया है। मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के फंड मैनेजर अजय खंडेलवाल कहते हैं, ‘आम धारणा के विपरीत कई स्मॉलकैप के पास केबल, लॉजिस्टिक्स, ड्यूरेबल, फॉर्जिंग, केमिकल्स, वाहन कलपुर्जे जैसे क्षेत्रों में खासी बाजार हिस्सेदारी है और उनमें लंबे अरसे से बढ़त बनी हुई है तथा प्रबंधन भी अच्छा है।’

एडलवाइस म्युचुअल फंड के प्रेसिडेंट और सेल्स प्रमुख दीपक जैन भी कहते हैं कि ऐसे कई उभरते क्षेत्र इस समय स्मॉलकैप का हिस्सा हो सकते हैं, जिन्हें भारत में हो रही वृद्धि का फायदा मिलने की संभावना है।’

जब अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहता है तब इनमें से कई कंपनियां सूचकांक से ज्यादा बढ़ जाती हैं। खंडेलवाल बताते हैं, ‘पिछले दो साल में निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक 250 की ईपीएस (प्रति शेयर आय) सालाना 21 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है और रिटर्न की सालाना चक्रवृद्धि दर 27 फीसदी रही है। मुनाफे में अच्छी वृद्धि, इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) में लगातार बढ़ोतरी और बहीखाता दुरुस्त होने के कारण ऐसा रिटर्न मिल रहा है। स्मॉलकैप की मोटी कमाई जारी रह सकती है क्योंकि स्थिर आर्थिक माहौल, मांग और आपूर्ति की माफिक हालत और कच्चे माल की नरम कीमतें उनके लिए अच्छी होती हैं।’

टाटा म्युचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर चंद्रप्रकाश पडियार भी इससे सहमत हैं। वह कहते हैं, ‘भारत में मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, चीन+1, यूरोप+1 पर लगातार बात हो रही है। इससे स्मॉल कैप श्रेणी को आगे और भी दौड़ लगाने का मौका मिल सकता है।’

निवेशक स्मॉलकैप योजनाओं को इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि इनमें अल्फा सामने आने की बहुत संभावना रहती है। पडियार समझाते हैं, ‘इस श्रेणी में कारोबार का आकार छोटा है, इसलिए पूंजीगत खर्च के कारण वृद्धि होने पर इनकी आय में बहुत तेज बढ़ोतरी होती है, जो लार्ज कैप या मिड कैप से बहुत अधिक होती है। इस कारण सामान्य से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है।’

मगर ब्याज दरें ऊंची हों और अर्थव्यवस्था न बढ़े तो स्मॉलकैप फंडों का बढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए लार्ज कैप फंडों के मुकाबले इनमें ज्यादा उठापटक हो सकती है। जैन कहते हैं, ‘इनका मूल्यांकन अतीत के औसत से ज्यादा है, इसलिए स्मॉल कैप में उतारचढ़ाव के लिए तैयार रहें।’

स्मॉलकैप योजनाओं में भारी गिरावट आ सकती है। 23 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष (उसी दिन वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान बाजार निचले स्तर पर पहुंचा था) में निफ्टी स्मॉलकैप 250 सूचकांक 43.9 फीसदी ढह गया था।

निफ्टी सूचकांक उसी दौरान 50 सूचकांक 33.57 फीसदी ही गिरा था। जैन समझाते हैं कि इनमें कंपनियां बहुत अधिक होती हैं मगर शोध कम होता है और नए-पुराने दोनों तरह के कारोबार होते हैं, इसलिए लार्ज कैप के मुकाबले इनमें ज्यादा जोखिम है। इसलिए बाजार लुढ़का तो इनमें बहुत गिरावट आएगी।

स्मॉलकैप योजनाओं रकम तभी लगाएं, जब लंबे अरसे के लिए रुक सकें। पडियार कहते हैं, ‘जब रिटर्न ऊंचा होता है तो नए निवेशक भी स्मॉल कैप में चले आते हैं। इससे शेयर के भाव ज्यादा चढ़ जाते हैं और मूल्यांकन बढ़ता है। इसलिए स्मॉलकैप फंडों पर लंबे समय के लिए दांव लगाएं और बार-बार बिकवाली नहीं करें।’

First Published - April 14, 2024 | 9:30 PM IST

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