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निवेश की योजना बना रहे हैं? हाइब्रिड और मल्टी-एसेट फंड्स हैं सबसे बेहतर विकल्प

ICICI प्रूडेंशियल के मुताबिक, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं और अब सस्ती नहीं हैं।

Last Updated- October 11, 2024 | 6:03 PM IST
Hybrid and multi-asset funds

भारत के आर्थिक संकेतक मजबूत नजर आ रहे हैं, लेकिन इस समय शेयर बाजार की कीमतें सस्ती नहीं हैं। ऐसे में निवेशकों को सोच-समझकर और स्मार्ट तरीके से निवेश करने की सलाह दी जा रही है। ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को हाइब्रिड और मल्टी-एसेट एलोकेशन योजनाओं में निवेश करने की सलाह दी है, जो अलग-अलग निवेश विकल्पों के बीच निवेश को बदलने की सुविधा देती हैं।

ICICI प्रूडेंशियल के मुताबिक, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं और अब सस्ती नहीं हैं। इस वजह से निवेशकों को घरेलू मांग से जुड़े सेक्टरों जैसे ऑटोमोबाइल, सीमेंट और टेलीकॉम में अवसर नजर आ रहे हैं, जो आर्थिक विकास से लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, उपभोग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, और उपभोक्ता उत्पाद जैसे सेक्टर भी निवेश के लिए आकर्षक माने जा रहे हैं।

नए निवेशकों के लिए सुझाव

अगर आप एकमुश्त निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो ICICI प्रूडेंशियल हाइब्रिड फंड्स, फंड-ऑफ-फंड्स (FoFs) और मल्टी-एसेट एलोकेशन योजनाओं में निवेश की सलाह दे रहा है। ये योजनाएं बाजार की स्थिति के अनुसार निवेश को इक्विटी और अन्य एसेट क्लास के बीच ट्रांसफर करने की सुविधा देती हैं।

ICICI प्रूडेंशियल का कहना है कि वैश्विक आर्थिक संकेतक कमजोर हैं और बाजार महंगा लग सकता है, इसलिए मल्टी-एसेट एलोकेशन योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए, जो आपको विभिन्न एसेट क्लास में निवेश का अवसर देती हैं।

टैक्स में भी मिलेगा फायदा

मल्टी-एसेट फंड्स टैक्स के लिहाज से भी फायदेमंद हो सकते हैं। जब फंड मैनेजर एक निवेश विकल्प से दूसरे में पैसा लगाते हैं, तो आपको हर बार टैक्स नहीं देना पड़ता। अगर फंड अपने कुल निवेश का कम से कम 65% हिस्सा शेयरों में लगाता है, तो इसे शेयर बाजार के फंड की तरह टैक्स में छूट मिलती है।

Value Research के अनुसार, एक तिहाई मल्टी-एसेट फंड्स फंड-ऑफ-फंड्स होते हैं। अगर आप इन्हें दो साल से ज्यादा होल्ड करते हैं, तो इन पर मल्टी-एसेट फंड्स की तरह टैक्स लगेगा। लेकिन अगर आप इन्हें दो साल से पहले बेचते हैं, तो आपकी टैक्स स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगेगा। यह नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा।

बाजार के प्रभावों पर नजर रखें

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे वैश्विक घटनाओं पर नजर रखें, जैसे भू-राजनीतिक बदलाव, केंद्रीय बैंकों के फैसले और भारतीय इक्विटी बाजारों का प्रदर्शन। भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है और बाजार में बढ़ोतरी के बावजूद सही रणनीति अपनाकर अवसरों का लाभ उठाया जा सकता है।

एसेट एलोकेशन पर ध्यान दें

Value Research के Dhirendra Kumar का कहना है, “आपको एसेट एलोकेशन पर तब विचार करना चाहिए, जब आपने एक अच्छा खासा कोष बना लिया हो। शुरुआत में आपके पास ज्यादा खोने को नहीं होता, इसलिए धन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।”

कुमार का कहना है कि एसेट एलोकेशन से आपको निवेश की दिशा बदलने की सुविधा मिलती है। अगर बाजार में गिरावट आती है, तो आपके पास एक योजना होती है कि कैसे निवेश करना है, बजाय इसके कि आप बिना सोचे-समझे इक्विटी में निवेश करते रहें।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर निवेशक के पास अच्छा खासा समय है, तो वह पूरा पैसा शेयरों में लगा सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे रिटायरमेंट का समय करीब आता है, जोखिम कम करने के लिए कुछ पैसा सुरक्षित विकल्पों जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगाना बेहतर होगा।

First Published - October 11, 2024 | 6:03 PM IST

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