facebookmetapixel
SIP 15×15×15 Strategy: ₹15,000 मंथली निवेश से 15 साल में बनाएं ₹1 करोड़ का फंडSBI Scheme: बस ₹250 में शुरू करें निवेश, 30 साल में बन जाएंगे ‘लखपति’! जानें स्कीम की डीटेलDividend Stocks: 80% का डिविडेंड! Q2 में जबरदस्त कमाई के बाद सरकारी कंपनी का तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्सUpcoming NFO: अगले हफ्ते होगी एनएफओ की बारिश, 7 नए फंड लॉन्च को तैयार; ₹500 से निवेश शुरूDividend Stocks: 200% का तगड़ा डिविडेंड! ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी का बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट फिक्सUpcoming IPOs This Week: निवेशक पैसा रखें तैयार! इस हफ्ते IPO की लिस्ट लंबी, बनेगा बड़ा मौकाInCred Holdings IPO: इनक्रेड होल्डिंग्स ने आईपीओ के लिए आवेदन किया, ₹3,000-4,000 करोड़ जुटाने की योजनात्योहारी सीजन में EV की टक्कर! ₹16 लाख की VinFast ने ₹60 लाख वाली Tesla को छोड़ा पीछेEarthquake Today: अंडमान में धरती डोली! 5.4 तीव्रता के झटकों से दहशतFPIs ने फिर खोला बिकवाली का सिलसिला, नवंबर में निकाले ₹12,569 करोड़

Gratuity Calculation में गलती से बचें: 5 साल की सेवा के बाद ₹37,000 के अंतिम वेतन पर आपकी ग्रेच्युटी क्या होगी?

भारत में ग्रेच्युटी के नियम “पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972” के तहत तय किए गए हैं। यह कानून उन कंपनियों पर लागू होता है जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।

Last Updated- March 22, 2025 | 4:33 PM IST
Gratuity Calculation
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pixabay

Gratuity Calculation: अगर आप किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं तो आपने ग्रेच्युटी का नाम जरूर सुना होगा। आपके ऑफिस में कई कर्मचारी ग्रेच्युटी को लेकर चर्चा करते हुए मिलते होंगे। दरअसल ग्रेच्युटी एक ऐसा लाभ है जो कर्मचारियों को उनकी मेहनत और लंबी सेवा के लिए मिलता है। यह आमतौर पर नौकरी छोड़ते समय, रिटायरमेंट पर या कुछ खास परिस्थितियों में दिया जाता है। भारत में ग्रेच्युटी के नियम “पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972” के तहत तय किए गए हैं। यह कानून उन कंपनियों पर लागू होता है जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। अगर आपने किसी कंपनी में 5 साल तक नौकरी की है और आपका अंतिम वेतन 37,000 रुपये है, तो आपकी ग्रेच्युटी कितनी होगी? आइए इसे आसान भाषा में और कैलकुलेशन के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।

ग्रेच्युटी क्या होती है?

ग्रेच्युटी एक तरह का पैसा है जो कंपनी अपने कर्मचारी को उसकी लंबी और निष्ठापूर्ण सेवा के लिए देती है। यह कर्मचारी के लिए एक सम्मान और आर्थिक सहायता का जरिया है। ग्रेच्युटी तब मिलती है जब आप रिटायर होते हैं, नौकरी छोड़ते हैं या कुछ मामलों में मृत्यु हो जाने पर आपके परिवार को दी जाती है। लेकिन इसके लिए एक जरूरी शर्त है कि कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक लगातार उस कंपनी में काम किया हो। अगर सेवा 5 साल से कम है, तो ग्रेच्युटी तभी मिल सकती है जब कोई खास वजह हो, जैसे कि बीमारी या दुर्घटना की वजह से नौकरी छोड़ना।

ग्रेच्युटी की राशि कर्मचारी के अंतिम वेतन और उसकी सेवा के सालों पर आधारित होती है। इसे एक तय फॉर्मूले से निकाला जाता है। भारत में ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये है। अगर कोई कंपनी इससे ज्यादा देना चाहे, तो वह अपनी मर्जी से दे सकती है, लेकिन कानूनन जरूरी नहीं है।

ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला

ग्रेच्युटी की गणना के लिए “पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972” में एक साफ और आसान फॉर्मूला दिया गया है। वह फॉर्मूला है: ग्रेच्युटी = (अंतिम वेतन × 15 × सेवा के साल) ÷ 26

अंतिम वेतन: इसमें कर्मचारी का मूल वेतन (बेसिक सैलरी) और महंगाई भत्ता (DA) शामिल होता है। अगर DA नहीं मिलता, तो सिर्फ मूल वेतन ही लिया जाता है।

15: यह हर साल की सेवा के लिए 15 दिन की सैलरी को दिखाता है।

सेवा के साल: जितने साल आपने कंपनी में काम किया, वह गिना जाता है। अगर कोई साल 6 महीने से ज्यादा का है, तो उसे पूरा साल माना जाता है। अगर 6 महीने से कम है, तो उसे नहीं गिना जाता।

26: एक महीने में औसतन 26 कार्य दिवस माने जाते हैं, क्योंकि इसमें 4 रविवार की छुट्टियां हटा दी जाती हैं।

अब इस फॉर्मूले के माध्यम से कैलकुलेशन करते हैं।

आपकी स्थिति: 5 साल की सेवा, 37,000 रुपये अंतिम वेतन

आपने 5 साल तक नौकरी की है और आपका अंतिम वेतन 37,000 रुपये है। इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं और कैलकुलेशन करते हैं।

1: सेवा के सालों की गणना

ग्रेच्युटी के नियम कहते हैं कि अगर कोई साल 6 महीने से ज्यादा का है, तो उसे अगले पूरे साल में गिना जाता है। अगर 6 महीने से कम है, तो उसे पिछले साल में ही छोड़ दिया जाता है।

आपकी सेवा: ठीक 5 साल

यहां कोई अतिरिक्त महीने नहीं हैं, जैसे 5 साल और 3 महीने या 5 साल और 7 महीने। इसलिए आपकी सेवा ठीक 5 साल ही मानी जाएगी। चूंकि 5 साल न्यूनतम जरूरत को पूरा करते हैं, आप ग्रेच्युटी के हकदार हैं।

2: अंतिम वेतन को समझें

आपका अंतिम वेतन 37,000 रुपये बताया गया है। हम मान लेते हैं कि यह आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) मिलाकर है। अगर DA अलग से है और उसकी जानकारी नहीं दी गई है, तो हम सिर्फ 37,000 रुपये को ही अंतिम वेतन मानेंगे। यह प्राइवेट सेक्टर में आमतौर पर बेसिक सैलरी के तौर पर लिया जाता है।

3: कैलकुलेशन

अब फॉर्मूले में इन आंकड़ों से हिसाब लगाते हैं:

अंतिम वेतन = 37,000 रुपये

सेवा के साल = 5

फॉर्मूला = (37,000 × 15 × 5) ÷ 26

कैलकुलेशन:  37,000 × 15 = 5,55,000

अब इसे सेवा के सालों (5) से गुणा करें: 5,55,000 × 5 = 27,75,000

इसे 26 से भाग दें: 27,75,000 ÷ 26 = 1,06,730.76

इस तरह, आपकी ग्रेच्युटी की राशि 1,06,731 रुपये (लगभग) होगी।

हालांकि, अगर आपकी कंपनी में महंगाई भत्ता (DA) अलग से दिया जाता है और वह 37,000 रुपये में शामिल नहीं है, तो अंतिम वेतन बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, अगर DA 5,000 रुपये है, तो अंतिम वेतन 42,000 रुपये होगा। तब ग्रेच्युटी की राशि बदल जाएगी।

अगर आपकी कंपनी इस एक्ट के दायरे में नहीं आती (यानी 10 से कम कर्मचारी हैं), तो ग्रेच्युटी कंपनी की पॉलिसी पर निर्भर करेगी। ऐसे में गणना का तरीका अलग हो सकता है।

ग्रेच्युटी के नियम और शर्तें

ग्रेच्युटी पाने के लिए कुछ जरूरी नियम हैं।

न्यूनतम 5 साल की सेवा: आपने ठीक 5 साल काम किया है, जो न्यूनतम शर्त को पूरा करता है। इसलिए आप इसके हकदार हैं।

लगातार सेवा: आपकी नौकरी में कोई लंबा ब्रेक (जैसे 6 महीने से ज्यादा) नहीं होना चाहिए। नोटिस पीरियड भी इसमें शामिल होता है।

कंपनी का दायरा: आपकी कंपनी में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी होने चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो ग्रेच्युटी कंपनी की मर्जी पर निर्भर करेगी।

ग्रेच्युटी पर टैक्स

भारत में ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट की सीमा 20 लाख रुपये है। अगर आपकी ग्रेच्युटी इससे कम है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। आपकी गणना के हिसाब से 1,06,731 रुपये पर टैक्स नहीं देना होगा। यह नियम प्राइवेट और सरकारी दोनों कर्मचारियों के लिए लागू है, हालांकि सरकारी कर्मचारियों को कुछ अतिरिक्त फायदे मिल सकते हैं।

अगर कंपनी ग्रेच्युटी न दे तो?

नियोक्ता को ग्रेच्युटी की राशि कर्मचारी की सेवा समाप्ति के 30 दिनों के भीतर भुगतान करनी होती है। यदि भुगतान में देरी होती है, तो नियोक्ता को ब्याज सहित राशि का भुगतान करना पड़ता है।​

अगर आपकी कंपनी ग्रेच्युटी देने से मना करती है, तो आप जिला श्रम आयुक्त के पास शिकायत कर सकते हैं। अगर आप नियमों के तहत हकदार हैं, तो कंपनी को ग्रेच्युटी के साथ ब्याज भी देना पड़ सकता है। इसके लिए आपको अपने नौकरी के कागजात (जैसे नियुक्ति पत्र, सैलरी स्लिप) तैयार रखने चाहिए।

कब पहले मिल सकती है ग्रेच्युटी?

मृत्यु या विकलांगता: यदि कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो ग्रेच्युटी की राशि उसके द्वारा बताए गए व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को दे दी जाती है। इस स्थिति में 5 साल की न्यूनतम सेवा की शर्त लागू नहीं होती है।​

नौकरी में अंतराल: यदि कर्मचारी ने सेवा के दौरान अवकाश लिया है, तो उस अवधि को सेवा अवधि में शामिल किया जाता है, बशर्ते वह अवकाश वैध हो। हालांकि, अवैतनिक अवकाश (leave without pay) को सेवा अवधि में शामिल नहीं किया जाता है।​

First Published - March 22, 2025 | 2:20 PM IST

संबंधित पोस्ट