गोल्ड (gold) की कीमतों में इस महीने यानी नवंबर में अभी तक तकरीबन 5,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट आई है। घरेलू बाजार में सोने की कीमतें 75 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल से नीचे चली गई हैं। इससे पहले 30 अक्टूबर को सोने की बेंचमार्क कीमतें एमसीएक्स (MCX) पर 79,775 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल-टाइम हाई लेवल पर पहुंच गई थी। ग्लोबल मार्केट में भी सोना कल कारोबार के दौरान 2,600 डॉलर प्रति औंस के स्तर से नीचे चला गया।
जानकारों की मानें तो शॉर्ट-टर्म में गोल्ड की कीमतों में और नरमी देखी जा सकती है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि शायद अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अत्यधिक सतर्कता बरते और ब्याज दरों में उतनी कटौती न करे जितने का अनुमान ट्रंप की जीत से पहले जताया जा रहा था।
घरेलू फ्यूचर मार्केट
घरेलू फ्यूचर मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट बुधवार यानी 13 नवंबर को इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान 74,890 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया, जबकि 30 अक्टूबर को यह 79,775 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल-टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया था। इस तरह से देखें तो इस महीने यानी नवंबर में सोने की कीमतों में 4,885 रुपये यानी 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
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25 जुलाई के निचले स्तर से कीमतें हालांकि अभी भी 7,490 रुपये प्रति 10 ग्राम ज्यादा है। इससे पहले केंद्रीय बजट (23 जुलाई) 2024 में इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती किए जाने के बाद सोने की कीमतों में 7 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक की गिरावट देखने को मिली थी। बजट के बाद 25 जुलाई को एमसीएक्स (MCX) पर कीमतें गिरकर 67,400 रुपये के निचले स्तर तक चली गई थी। जबकि इसके ठीक एक हफ्ते पहले यानी 17 जुलाई को 74,731 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई थी। 23 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया।
घरेलू स्पॉट मार्केट
सोने की हाजिर कीमतों में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला है। Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के मुताबिक सोना 24 कैरेट (999) आज यानी बुधवार को कारोबार की शुरुआत में 75,166 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल पर देखा गया। जबकि कल यानी 12 नवंबर को कारोबार की समाप्ति पर 74900 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल पर देखा गया। इससे पहले 30 अक्टूबर को यह 79,681 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल-टाइम हाई लेवल तक पहुंच गया था। इस तरह से देखें तो इस महीने अभी तक कीमतों में 4,781 रुपये यानी 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। 26 जुलाई के निचले स्तर से हालांकि कीमतें अभी भी 6,831 रुपये प्रति 10 ग्राम मजबूत है। IBJA के अनुसार घरेलू हाजिर बाजार में सोना 24 कैरेट (999) 18 जुलाई 2024 को शुरुआती कारोबार में 74,065 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद 26 जुलाई को शुरुआती कारोबार में 68,069 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया था।
ग्लोबल मार्केट
जानकारों की मानें तो ग्लोबल मार्केट में सोने (gold) की कीमतों में जारी नरमी के मद्देनजर घरेलू कीमतों पर लगातार दबाव देखने को मिल रहा है। ग्लोबल मार्केट में मंगलवार यानी 12 अक्टूबर को 2024 को स्पॉट गोल्ड (spot gold) 20 सितंबर के निचले स्तर 2,589.59 डॉलर प्रति औंस दर्ज किया गया। फिलहाल ग्लोबल मार्केट में स्पॉट गोल्ड 2,606 डॉलर प्रति औंस के लेवल पर है। वहीं बेंचमार्क यूएस दिसंबर गोल्ड फ्यूचर्स (Gold COMEX DEC′24) 2,617 डॉलर प्रति औंस के करीब कारोबार कर रहा है। इससे पहले 31 अक्टूबर को स्पॉट गोल्ड और यूएस गोल्ड फ्यूचर क्रमश: 2,790.15 और 2,801.80 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए थे।
क्या है शॉर्ट-टर्म रुझान?
जानकारों के मुताबिक शॉर्ट-टर्म में गोल्ड की कीमतों में और नरमी की आशंका है लेकिन लॉन्ग टर्म फंडामेंटल्स कुल मिलाकर अभी भी सपोर्टिव हैं। अमेरिकी डॉलर में मजबूती और ब्याज दरों में कम कटौती की संभावना के चलते शॉर्ट-टर्म रुझान नि:संदेह कमजोर हुए हैं। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स (105.96) फिलहाल चार महीने से ज्यादा की ऊंचाई पर है। पिछले 5 दिनों में यूएस डॉलर इंडेक्स में 0.83 फीसदी की मजबूती आई है। वहीं यदि पिछले 1 महीने में देखें तो यूएस डॉलर इंडेक्स 2.29 फीसदी चढ़ा है।
इसके अलावा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को लेकर बनी अनिश्चितता के खत्म होने के बाद निवेश के सुरक्षित विकल्प (safe-haven) के तौर पर इस कीमती धातु की मांग भी घटी है।
लॉन्ग टर्म रुझान क्या बता रहे हैं?
निवेश के सुरक्षित विकल्प के तौर पर गोल्ड की मांग फिलहाल जरूर कमजोर हुई है लेकिन मिडिल ईस्ट में लगातार बढ़ रहे जियो-पॉलिटिकल टेंशन के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प के तौर पर इस कीमती धातु की मांग आगे मजबूत बनी रह सकती है।
इसके अलावा मार्केट में अभी भी इस बात की संभावना प्रबल है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक दिसंबर की अपनी बैठक में एक बार फिर ब्याज दरों में कम से कम 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी की कटौती सकता है। हालांकि ट्रंप की जीत से पहले यह संभावना ज्यादा प्रबल थी। यदि अमेरिका में ब्याज दरों में आगे कमी आती है तो सोने को और सपोर्ट मिलना लाजमी है। सोने पर कोई इंटरेस्ट/ यील्ड नहीं मिलता इसलिए ब्याज दरों के नीचे जाने से निवेश के तौर पर इस एसेट क्लास की पूछ-परख बढ़ जाती है।
जानकार मानते हैं कि अमेरिका सहित अन्य बड़े केंद्रीय बैंक यदि आगे भी ब्याज दरों में कटौती जारी रखते हैं तो पश्चिमी देशों में निवेशकों का रुझान गोल्ड की तरफ और भी तेजी से बढ़ सकता है और गोल्ड में आगे और भी टिकाऊ तेजी बन सकती है। आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि पिछले 4 महीने से पश्चिमी देशों में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी गोल्ड को लेकर स्पष्ट रूप से बढ़ी है।
इन्वेस्टमेंट खासकर ईटीएफ की ओर से रही डिमांड और केंद्रीय बैकों की खरीदारी भी मीडियम टू लॉन्ग टर्म में गोल्ड के लिए पॉजिटिव है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के आंकड़ों के मुताबिक ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश अक्टूबर के दौरान लगातार छठे महीने बढ़ा।