जो करदाता आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए मुकर्रर तारीख 31 जुलाई 2022 तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए, उन्हें देर से ही सही रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए। देर से यानी बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर अंकित जैन कहते हैं, ‘यह तारीख सभी प्रकार के करदाताओं के लिए है चाहे वे व्यक्तिगत हों, कॉरपोरेट हों, ऑडिट हों या नॉन ऑडिट हों।’
पिछले साल के लिए बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने का समय स्पष्ट है। संबंधित कर निर्धारण वर्ष खत्म होने से 3 महीने पहले का समय अथवा निर्धारण पूरा होना। इन दोनों में से जो पहले आ जाए उसे ही देर से रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख माना जाता है। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह का कहना है, ‘इससे उन करदाताओं को एक और मौका मिल जाता है, जो किसी वास्तविक और वाजिब वजह से तय तारीख तक रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए थे।
देर से रिटर्न दाखिल करने पर आयकर अधिनियम 1961 की धारा 234एफ के तहत निर्धारित जुर्माना लगाया ही जाता है। ऐसे करदाता को 5000 रुपये तक का विलंब शुल्क भरना पड़ता है। छोटे करदाता यानी 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले व्यक्तियों से केवल 1,000 रुपये जुर्माना लिया जाता है। धारा 234 234बी और 234सी के तहत दंडात्मक ब्याज भी लिया जाता है जो करदाता पर बन रहे कर के हिसाब से निर्धारित होता है।
देर से रिटर्न दाखिल करने वाले अपने नुकसान को आगे के वर्ष में नहीं ले जा पाते हैं यानी कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाते हैं।
विक्टोरियम लीगलिस-एडवोकेट्स ऐंड सलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा बताते हैं, ‘मगर व्यक्तियों को आवासीय संपत्ति से आय के मद में हुए घाटे को कैरी फॉरवर्ड करने की इजाजत है।’ देर से रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को आयकर रिफंड पर ब्याज नहीं दिया जाता। रिटर्न तय तारीख से पहले दाखिल कर दिया जाए तो 0.5 फीसदी मासिक की दर से ब्याज मिलता है।
ऊपर बताए गए नुकसान के बाद भी करदाताओं को देर से ही सही रिटर्न जरूर दाखिल करना चाहिए। जो रिटर्न भरने वालों की श्रेणी में आते हैं मगर रिटर्न दाखिल नहीं करते, आयकर विभाग उन पर जुर्माना लगाता है। सिंह कहते हैं, ‘बिलेटेड रिटर्न दाखिल कर आप आय का खुलासा नहीं करने पर मिलने वाली सजा से बच जाते हैं। साथ ही साथ आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने पर आयकर विभाग से मिलने वाले नोटिस से भी आप बरी रहते हैं।’ यदि कोई करदाता रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो कर विभाग उसकी आय की गणना अपने हिसाब से कर सकता है। इस तरह लगाया हिसाब करदाता की वास्तविक आय से बहुत ज्यादा हो सकता है।
जैन समझाते हैं, ‘अगर आपकी कमाई में से कर काट लिया गया है तब भी आप बिलेटेड रिटर्न दाखिल कर ज्यादा काटे गए कर का रिफंड मांग सकते हैं।’ नियमित तौर पर रिटर्न दाखिल करने वाले व्यक्ति को कई फायदे हो सकते हैं जैसे अधिक राशि का जीवन बीमा, कर्ज की तेज प्रोसेसिंग और वीजा आवेदन का जल्द निपटान।
आयकर विभाग ने हाल ही में ई फाइलिंग वेबसाइट पर को-ब्राउजिंग का फीचर शुरू किया है, जिसमें हेल्पडेस्क के एजेंट रिटर्न दाखिल करने में करदाता की मदद करते हैं। वर्मा ऐंड कंपनी में मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी बताते हैं, ‘इससे एजेंट आयकर रिटर्न दाखिल करते समय करदाता की जरूरत के मुताबिक और फौरी सहायता कर पाते हैं।’
31 दिसंबर आने में अब 2 हफ्ते भी नहीं बचे हैं, इसलिए बिलेटेड आयकर रिटर्न दाखिल करने के वास्ते जल्द से जल्द अपने कर सलाहकार के पास पहुंच जाइए। जो करदाता और वरिष्ठ नागरिक रिटर्न खुद दाखिल करते हैं, वे आयकर विभाग के एजेंटों की मदद ले सकते हैं। सिंह समझाते हैं, ‘एजेंट करदाता से इजाजत मांगते हैं और इजाजत मिलने पर वह एक सेशन के लिए करदाता की स्क्रीन से जुड़ सकते हैं। एजेंट करदाता के कंप्यूटर पर कुछ और नहीं देख पाते।’
सबसे अच्छा तो यही है कि आयकर रिटर्न समय से दाखिल किया जाए। लेकिन किसी वजह से आप चूक गए हैं तो रिटर्न छोड़ने के बजाय उसे देर से ही दाखिल कर दीजिए। बिलेटेड रिटर्न दाखिल करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए। सिंह समझाते हैं, ‘पूरी सतर्कता बरतिए और सही आयकर रिटर्न फॉर्म चुनिए। रिटर्न दाखिल करते समय सारे दस्तावेज अपने पास रखिए। अपनी आय का खुलासा करते समय कुछ भी मत छिपाइए और पहले से भरे हुए फॉर्म में हर एक खाने को ठीक से जांच लीजिए।’
बिलेटेड रिटर्न में संशोधन किया जा सकता है। लेकिन अगर आप बिल्कुल आखिरी क्षणों में रिटर्न भरेंगे तो बाद में चूक पता लगने पर भी आप संशोधित रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे। इसलिए रिटर्न पहले ही दाखिल कर दीजिए और अगर 31 दिसंबर के बिल्कुल नजदीक दाखिल कर रहे हैं तो ज्यादा सावधानी बरतिए। अंत में ध्यान रहे कि अगर आप 31 दिसंबर तक भी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो आपको इसे दाखिल करने का मौका तभी मिलेगा जब आयकर विभाग आपको कर का नोटिस भेजेगा।