इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। हालांकि कुल वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी थोड़ी है मगर हर गुजरते साल के साथ ईवी की बिक्री भी तेजी से बढ़ रही है। ग्राहकों को ईवी के बीमा की बारीकियों के बारे में पूरी समझ होनी चाहिए ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनकी गाड़ी को पूरी सुरक्षा मिल सके।
पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहन और ईवी के बीमा कवर में कुछ समानताएं मौजूद हैं। दोनों के लिए थर्ड पार्टी कवर अनिवार्य है। अमूमन ईवी का बीमा महंगा होता है। एको इंश्योरेंस के मुख्य अंडरराइटिंग अधिकारी अनिमेष दास बताते हैं, ‘ईवी की कीमत पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियों से महंगी होती है इसलिए बीमा प्रीमियम भी करीब 10 से 20 फीसदी तक अधिक होता है।’
ग्राहकों को अपने ईवी की पूरी सुरक्षा के लिए कुछ ऐड ऑन कवर भी लेने चाहिए। उदाहरण के लिए बैटरी को पूरी तरह से कवर करना चाहिए। डिजिट जनरल इंश्योरेंस के मोटर प्रोडक्ट और एक्चुरियल के प्रमुख मयूर कचोलिया कहते हैं, ‘इलेक्ट्रिक वाहन की लागत में बैटरी का करीब 60 फीसदी योगदान रहता है। बैटरी में अगर कोई गड़बड़ी होती है तो इसे बदला ही जाता है क्योंकि कई बार मरम्मत से काम नहीं चलता है।’
बहुत लोग अपना खुद का चार्जिंग स्टेशन खरीदते हैं। सिक्योर नाऊ के सह-संस्थापक कपिल मेहता कहते हैं, ‘आम तौर पर ये वाहन के बीमा पॉलिसी में शामिल नहीं होते हैं और इनका अलग से बीमा होना चाहिए।’
वाहन विनिर्माता आम तौर पर गाड़ी खरीदते वक्त वारंटी देते हैं। कोई ग्राहक इसके अतिरिक्त एक या दो साल के लिए एक्सटेंडेड वारंटी भी ले सकता सकता है। दास कहते हैं, ‘इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी में अगर कुछ खराबी आ जाती है तो इसे ठीक कराने में जो खर्च आता है वह नई गाड़ी के बराबर हो जाता है। इसलिए ग्राहक को कम से कम बैटरी के लिए एक्सटेंडेड वारंटी जरूर ले लेनी चाहिए।’
इसके अलावा ग्राहक को बैटरी के लिए ऐड ऑन कवर भी लेना चाहिए। दास ने कहा, ‘अगर कोई बाहरी दिक्कत नहीं और फिर भी गाड़ी की बैटरी काम नहीं करती है या कम करती है तो यह भी बैटरी वारंटी से ठीक किया जाएगा। अगर अचानक वोल्टेज बढ़ने के कारण बैटरी खराब हो जाती है या फिर उसमें आग लग जाती है तो बैटरी ऐड ऑन कवर उस परिस्थिति में काम करेगा।’
एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस खुदरा कारोबार के प्रेसिडेंट पार्थनिल घोष के अनुसार, ‘बैटरी, चार्जर और अन्य सहायक उपकरण को भी कवर करना चाहिए भले ही वे वाहन से अलग हों। इसके अलावा दावा निपटान के वक्त (इलेक्ट्रिक मोटर सहित) शून्य मूल्यह्रास होन चाहिए।’
जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन पुराने होते हैं यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका घोषित बीमा मूल्य (आईडीवी या वाहन बीमा पॉलिसी में बीमा राशि) सही है। मेहता कहते हैं, ‘फिलहाल हर साल ईवी के मूल्य में किस दर से गिरावट होनी चाहिए यह स्पष्ट ही नहीं है।’ दास का सुझाव है कि इसमें हर साल 10 फीसदी मूल्यह्रास दर लागू होना चाहिए।
विशेषज्ञ सुझाते हैं कि ग्राहकों को ऐसा ऐड ऑन खरीदना चाहिए जो उनका पूरा खर्च वापस कर दे (रिटर्न टू इनवॉयस)। मेहता कहते हैं, ‘अगर आप गाड़ी चोरी हो जाती है या पूरी तरह खराब हो जाती है तो आपको मुआवजे के तौर पर गाड़ी की पूरी रकम मिलेगी, जो आईडीवी से थोड़ी अधिक होगी।’
घोष एक इलेक्ट्रिक मोटर कवर खरीदने का सुझाव देते हैं। वह कहते हैं, ‘यह बीमा वाले वाहन के अंदर के हिस्सों के साथ-साथ पानी जाने या तेल या ग्रीस के रिसाव से प्रोपल्शन मोटर को होने वाली क्षति को भी कवर करता है।’
कचोलिया का सुझाव है कि ईवी ऐड-ऑन कवर में सड़क किनारे सहायता मिलनी चाहिए, जिनकी वाहन को आवश्यकता होती है। इसमें बैटरी चार्ज करने में मदद, वाहन को निकटतम चार्जिंग स्टेशन तक ले जाने की सुविधा, मोबाइल जनरेटर आदि होना चाहिए।
घोष कहते हैं कि पॉलिसी को नियमित अपडेट और बदलाव के लिए कवरेज देना चाहिए ताकि नई सुविधाओं के लिए कवरेज मिल सके। वह कहते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के अनुकूल है इसलिए इसको ध्यान में रखते हुए बीमा पॉलिसी में प्रोत्साहन या छूट भी देनी चाहिए और सरकार द्वारा दिए जाने वाले किसी भी प्रोत्साहन का लाभ उठाना चाहिए।
घोष का मानना है कि एनसीबी सुरक्षा एक और उपयोगी ऐड-ऑन है। वह कहते हैं, ‘यह नो क्लेम बोनस (एनसीबी) की सुरक्षा करता है, भले ही पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा किया गया हो।’