कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) भारत में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा देना है। EPF में कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों को अपने वेतन का एक निश्चित हिस्सा योगदान करना होता है। जहां कर्मचारी का योगदान सीधे उनके वेतन से कटता है, वहीं एम्प्लॉयर का योगदान थोड़ा जटिल है और इसे कई हिस्सों में बांटा जाता है। यह योजना उन संगठनों पर लागू होती है, जिनमें 20 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, और यह उनके भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आइए, एम्प्लॉयर के योगदान को तीन मुख्य बिंदुओं के जरिए समझते हैं।
EPF नियमों के अनुसार, कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों को कर्मचारी के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) और महंगाई भत्ते (DA) का 12 प्रतिशत योगदान करना होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन और DA मिलाकर 20,000 रुपये प्रतिमाह है, तो कर्मचारी का योगदान 2,400 रुपये होगा, और एम्प्लॉयर को भी इतनी ही राशि देनी होगी।
इस तरह, कुल 4,800 रुपये हर महीने कर्मचारी के EPF खाते में जमा होते हैं, जिस पर सालाना ब्याज मिलता है। लेकिन कर्मचारी का पूरा 12 प्रतिशत योगदान सीधे EPF खाते में जाता है, जबकि एम्प्लॉयर का 12 प्रतिशत योगदान अलग-अलग योजनाओं में बंट जाता है। यह बंटवारा EPF योजना की खासियत है, जो इसे अन्य बचत योजनाओं से अलग बनाता है। यदि संगठन में 20 से कम कर्मचारी हैं या यह बीमार इकाई के रूप में घोषित है, तो योगदान की दर 10 प्रतिशत हो सकती है। यह नियम छोटे उद्यमों को राहत देने के लिए बनाया गया है।
एम्प्लॉयर का योगदान कर्मचारी के वेतन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह कर्मचारी की लागत (CTC) का हिस्सा माना जाता है। इसका मतलब है कि यह राशि कर्मचारी के वेतन से नहीं काटी जाती, बल्कि एम्प्लॉयर द्वारा अलग से दी जाती है।
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एम्प्लॉयर के 12 प्रतिशत योगदान को तीन हिस्सों में बांटा जाता है: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), और कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना (EDLI)। इसमें से 8.33 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है, लेकिन यह हिस्सा 15,000 रुपये के मूल वेतन तक सीमित है। इसका मतलब है कि अगर कर्मचारी का मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक है, तो EPS में अधिकतम 1,250 रुपये (15,000 का 8.33%) ही जमा होगा। बाकी 3.67 प्रतिशत हिस्सा EPF में जाता है। इसके अलावा, एम्प्लॉयर को 0.5 प्रतिशत EDLI के लिए और 0.5 प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क के रूप में देना होता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपका मूल वेतन 20,000 रुपये है, तो एम्प्लॉयर का 2,400 रुपये का योगदान इस तरह बंटेगा: 1,250 रुपये EPS में, 734 रुपये (3.67%) EPF में, 100 रुपये EDLI में, और 100 रुपये प्रशासनिक शुल्क में। EPS कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन प्रदान करता है, जबकि EDLI कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को बीमा कवर देता है। यह बंटवारा सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी को न केवल रिटायरमेंट के लिए बचत मिले, बल्कि पेंशन और बीमा जैसी अतिरिक्त सुविधाएं भी प्राप्त हों।
एम्प्लॉयर का योगदान EPF नियमों के तहत अनिवार्य है, और इसे कर्मचारी के वेतन से काटना गैरकानूनी है। कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की धारा 12 के अनुसार, एम्प्लॉयर अपने हिस्से का योगदान कर्मचारी के वेतन से नहीं काट सकता। ऐसा करना आपराधिक अपराध माना जाता है, जिसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
अगर एम्प्लॉयर समय पर योगदान जमा नहीं करता, तो EPFO बैंक खातों की कुर्की, संपत्ति की बिक्री, या एम्प्लॉयर की गिरफ्तारी जैसे कदम उठा सकता है। इसके अलावा, एम्प्लॉयर का योगदान पूरी तरह कर-मुक्त होता है, जिसका मतलब है कि इस पर कर्मचारी को कोई कर नहीं देना पड़ता। हालांकि, अगर एम्प्लॉयर का योगदान और स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) मिलाकर 7.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो, तो उस अतिरिक्त राशि पर अर्जित ब्याज कर योग्य हो सकता है। कर्मचारी का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक कर छूट के लिए पात्र है।
यह योजना कर्मचारियों को वित्तीय अनुशासन सिखाने के साथ-साथ एम्प्लॉयर्स को भी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करती है। EPFO की नई सुविधाओं, जैसे यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और ऑनलाइन पोर्टल, ने योगदान की निगरानी और निकासी को आसान बना दिया है।
EPF योजना न केवल कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट की बचत को बढ़ावा देती है, बल्कि एम्प्लॉयर्स को भी कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने में योगदान देने का मौका देती है। यह बंटवारा और नियम सुनिश्चित करते हैं कि कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद न केवल एकमुश्त राशि मिले, बल्कि पेंशन और बीमा जैसे लाभ भी प्राप्त हों।