सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) को मैच्योरिटी से पहले बेचने का एक और मौका बॉन्ड धारकों को 24 नवंबर को मिला। हालांकि इस 16वें बॉन्ड की प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख 27 नवंबर थी लेकिन 25, 26 और 27 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश होने की वजह से आरबीआई (RBI) ने प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख को पहले खिसकाकर 24 नवंबर कर दिया। इससे पहले बॉन्ड धारकों को 27 नवंबर 2022 और 27 मई 2023 को इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का मौका मिल चुका है। तब उन्होंने इस बॉन्ड के 3,539 यूनिट ( 1 यूनिट = 1ग्राम) बेचे थे ।
अब जानते हैं कि आखिर वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले 24 नवंबर को बेचा उन्हें कितनी कमाई हुई । साथ ही यह भी देखते हैं कि ऐसे बॉन्ड धारक उनके मुकाबले फायदे या घाटे में रहे जो इसी महीने की 30 तारीख को मैच्योरिटी के बाद पहले गोल्ड बॉन्ड को बेचेंगे।
कितनी हुई कमाई
कुल कमाई
यह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2017-18 Series IX) 2,964 रुपये के इश्यू प्राइस पर 27 नवंबर 2017 को जारी हुआ था। RBI ने इस बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,142 रुपये प्रति यूनिट तय किया। इस हिसाब से इस सीरीज को रिडीम करने पर बॉन्ड धारकों को 107.22 फीसदी का कैपिटल गेन हुआ होगा।
टैक्स चुकाने के बाद कमाई
लेकिन क्योंकि बॉन्ड धारकों ने बॉन्ड इश्यू होने के 36 महीने बाद बेचे हैं इसलिए उन्हें कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकानी पड़ी होगी।
अब इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने के मामले में इंडेक्सेशन के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना करते हैं:
परचेज प्राइस/ इश्यू प्राइस – 2,964 रुपये
कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स CII (2017-18) – 272
CII (2023-24) – 348
इन्फ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद परचेज प्राइस – 2,964 x (348/272) = 3792.18 रुपये
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस – 6,142 रुपये
टैक्सेबल कैपिटल गेन (after Indexation) – 6142-3792.18 = 2349.2 रुपये
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स (20.8%) – 488.63 रुपये
टैक्स चुकाने के बाद कुल कमाई: 6,142-488.63 = 5653.37 रुपये
यदि इंडेक्सेशन का फायदा बॉन्ड धारकों को नहीं मिलता तो कुल कमाई 5653.37 रुपये के बजाय 5,480.978 (6142-2964) रुपये हुई होती।
इंटरेस्ट अलग से
निवेशकों को इस सीरीज के लिए प्रति वर्ष 2.5 फीसदी यानी 37.05 रुपये प्रति छह महीने जबकि 6 साल की होल्डिंग पीरियड के दौरान 590.48 रुपये इंटरेस्ट/कूपन मिला। इस तरह से देखें तो इंटरेस्ट को जोड़ने के बाद इस बॉन्ड ने 12.24% फीसदी का एनुअल रिटर्न (CAGR) दिया। सितंबर 2016 के बाद जारी होने वाले सीरीज के लिए इंटरेस्ट को सालाना 2.75 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है।
सालाना कमाई (इंटरेस्ट जोड़कर)
SGB की इस सीरीज पर सालाना कमाई की गणना:
इश्यू प्राइस 1 ग्राम: 2,964 रुपये
रिडेम्प्शन प्राइस (LTCG टैक्स घटाने के बाद): 5,480.978 रुपये
इंटरेस्ट: 444.6 रुपये
रिडेम्प्शन प्राइस + इंटरेस्ट : 5,925.58
एनुअल रिटर्न (CAGR) : 12.24%
ऐसे बॉन्ड धारक मैच्योरिटी से पहले बेचकर भी सालाना कमाई (एनुअल रिटर्न) के मामले में फायदे में हैं। जबकि पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2015-I) की मैच्योरिटी के बाद बॉन्ड धारकों को 12.16 फीसदी का सालाना एनुअल रिटर्न मिलेगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज (2015-16 Series I) इसी महीने 30 तारीख को मैच्योर हो रही है।
अब जानते हैं कि प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन को लेकर नियम क्या हैं?
कब कर सकते हैं प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का विकल्प भी निवेशकों के पास होता है। जिसे आप उसके इश्यू होने के 5 साल बाद मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं। आरबीआई प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख उस दिन तय करती है जिस दिन इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट देय होता है। इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट प्रत्येक छह महीने यानी साल में दो दफे मिलता है।
Sovereign Gold Bond: मैच्योरिटी से पहले भी लोग बेच रहे गोल्ड बॉन्ड, अब तक 1.55 टन निकाले गए
वित्त वर्ष 2017-18 की नौवीं सीरीज (16वें चरण) के लिए निवेशकों को आरबीआई ने 24 नवंबर को 6,142 रुपये के प्राइस पर मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का तीसरा मौका दिया।
प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस तय होती है कैसे
मैच्योरिटी से पहले रिडेम्प्शन प्राइस प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख से ठीक पहले के तीन कार्य दिवस के लिए आईबीजेए (IBJA) की तरफ से प्राप्त गोल्ड 999 के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज होती है। इसी नियम के अनुसार आरबीआई ने इस बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,142 रुपये प्रति यूनिट/ग्राम तय किया जो IBJA से प्राप्त 21 नवंबर, 22 नवंबर और 23 नवंबर के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है।
कितने ग्राम गोल्ड बॉन्ड का हो चुका है प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन
हालिया प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन से पहले भी बॉन्ड धारक इस बॉन्ड के 3539 यूनिट बेच चुके हैं। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 20 नवंबर 2023 तक इस बॉन्ड के 3539 यूनिट यानी 3539 ग्राम सोने की वैल्यू के बराबर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन हो चुका है । इससे पहले इस बॉन्ड के लिए कुल 105512 यूनिट की खरीद की गई थी। इस तरह से इस बॉन्ड के 101,973 यूनिट अभी भी बचे हैं।
टैक्स को लेकर क्या हैं नियम
अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। मतलब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। लेकिन यदि आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।