2023 की पहली छमाही में, बेचे गए किफायती घरों की संख्या 2022 की समान अवधि की तुलना में 11% कम हो गई। किफायती घर वे घर हैं जो सस्ते हैं और कम आय वाले लोगों के लिए उपयुक्त हैं। इस कमी का कारण यह है कि इन घरों को खरीदने वाले लोगों को पिछले दो सालों से हर महीने EMI में 20% ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं, जिससे उनके लिए इस प्रकार के घर खरीदना कठिन हो गया है। यह बात Anarock की रिपोर्ट में कही गई है।
30 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए फ्लोटिंग ब्याज दरें 2021 के मध्य में 6.7% से बढ़कर आज लगभग 9.15% हो गई हैं।
फ्लोटिंग ब्याज दर क्या है?
फ्लोटिंग ब्याज दर, जिसे एडजस्टेबल दरों के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की ब्याज दर है जो बाजार दरों के आधार पर लोन अवधि के दौरान बदलती है।
बैंक अक्सर अपने फ्लोटिंग-रेट होम लोन निर्धारित करने के लिए रेपो दर को बाहरी बेंचमार्क के रूप में उपयोग करते हैं। जब रेपो रेट बढ़ता है तो इससे होम लोन की दरों में बढ़ोतरी होती है। परिणामस्वरूप, पिछले वर्ष में, बैंकों ने इन परिवर्तनों को एडजस्ट करने के लिए या तो लोन की अवधि बढ़ा दी है या होम लोन की EMI बढ़ा दी हैं।
फ्लोटिंग ब्याज दर और रेपो रेट कैसे जुड़े हैं?
पर्सनल फाइनेंस स्टार्टअप फिनकैप के अनुसार, “अगर आप फ्लोटिंग ब्याज दर वाला होम लोन चुनते हैं, तो इसका मतलब है कि लोन बैंक की बेंचमार्क दर से जुड़ा हुआ है, जो बाजार की ब्याज दरों के साथ बदलता है। ब्याज दरें विशिष्ट अंतरालों पर रीसेट की जाती हैं, आमतौर पर हर 3 या 6 महीने में। यदि बाजार की कंडीशन के कारण बेंचमार्क दर ऊपर या नीचे जाती है, तो आपके लोन पर फ्लोटिंग ब्याज दर भी उसे के अनुसार बदल जाएगी।”
ब्याज दरों में वृद्धि का सीधा संबंध आरबीआई की रेपो दर वृद्धि से है, जिसमें लगभग 250 आधार अंक (जिसमें अभी तक 4% से 6.5% तक) की वृद्धि हुई है। यह रेपो दरों और फ्लोटिंग होम लोन दरों के बीच स्पष्ट संबंध दर्शाता है।
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किफायती होम लोन की मांग क्यों कम हो गई है?
हाल ही में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ, किफायती होम लोन की मांग में काफी कमी आई है। अमीर लोन लेने वालों की तुलना में कम आय वाले हाई दरों से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। परिणामस्वरूप, कम ग्राहक अब किफायती घर खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं।
SBI रिसर्च के विश्लेषण के अनुसार, जनवरी और फरवरी के बीच, 30 लाख रुपये तक के होम लोन का हिस्सा कुल वितरित लोन का 45% था, जो कि अप्रैल और जून 2022 के बीच उनके द्वारा वितरित किए गए 60% से कम है।
भारत में, किफायती होम की खूब मांग है, और इस कैटेगिरी के कई खरीदार अपने घर खरीदने के लिए बैंकों या हाऊस फाइनेंस कंपनियों से फंडिंग पर निर्भर हैं।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, “जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो लोन लेने वाले की लोन पात्रता कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी आय के आधार पर लोन पात्रता पिछले साल 30 लाख रुपये थी, जब ब्याज दर 6.5% थी, और यह मानते हुए कि आपकी आय और पात्रता 9% की ब्याज दर के साथ समान बनी हुई है, तो अब आप केवल 25 लाख रुपये के आसपास ही लोन ले सकते हैं। उच्च ब्याज दर के कारण यह राशि पिछले साल आपके द्वारा लोन ली गई राशि से 17% कम है।”
दरअसल, इसी अवधि के दौरान आवास की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। किफायती आवास के मामले में, जहां प्राइस को लेकर ज्यादा आपाधापी है, कम लोन पात्रता समस्या खड़ी करने वाली हो सकती है। इस स्थिति में खरीदार को अपनी जेब से ज्यादा भुगतान करना पड़ता है, जिससे उनके लिए संपत्ति खरीदना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
होम लोन लेन वाले जो जुलाई 2021 में लगभग 22,700 रुपये की EMI का भुगतान कर रहे थे, वे अब लगभग 27,300 रुपये का भुगतान कर रहे हैं – प्रति माह लगभग 4,600 रुपये की वृद्धि।
पिछले दो सालों में कुल ब्याज राशि 11 लाख रुपये बढ़ी
ANAROCK समूह के क्षेत्रीय निदेशक और रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर ने कहा, EMI में 20% की बढ़ोतरी से लोन अवधि में भुगतान किए गए कुल ब्याज में लगभग 11 लाख रुपये की वृद्धि हुई है। देय ब्याज 2021 में 24.5 लाख रुपये से बढ़कर वर्तमान में 35.5 लाख रुपये हो गया है।
20 साल की अवधि में देय कुल ब्याज अब मूल रकम से ज्यादा
2021 में, यदि कोई खरीदार वैल्यू के हिसाब से लोन (LTV) अनुपात पर विचार करते हुए 40 लाख रुपये से कम मूल्य की संपत्ति खरीदने का इरादा रखता है, तो उसे 20 साल की अवधि के लिए कुल 30 लाख रुपये उधार लेने होंगे। लगभग 6.7% की ब्याज दर के साथ, खरीदार की मासिक EMI 22,700 रुपये होगी।
ठाकुर ने कहा, “इस ब्याज दर (6.7%) पर, लोन अवधि के दौरान बैंक को किया गया कुल पुनर्भुगतान (रीपेमेंट) लगभग 54.5 लाख रुपये होगा। इसमें से, ब्याज लगभग 24.5 लाख रुपये है, जो उधार ली गई कुल मूल राशि 30 लाख रुपये से कम है।”
उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान में, होम लोन की ब्याज दरें लगभग 9.15% होने से, खरीदार की EMI लगभग 27,300 रुपये तक बढ़ गई है। इस दर पर, लोन अवधि के दौरान बैंक को कुल पुनर्भुगतान 65.5 लाख रुपये होता है। इसमें से ब्याज 35.5 लाख रुपये होगी, जो अब उधार ली गई कुल मूल रकम 30 लाख रुपये से ज्यादा है।”
होम लोन लेने वाले के लिए इसका क्या मतलब है?
होम लोन इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि शुरुआती भुगतान, विशेष रूप से शुरुआती सालों में, ज्यादातर लोन ली गई मूल राशि के बजाय ब्याज का भुगतान करने में जाते हैं। इस सेटअप का मतलब है कि घर खरीदारों को इक्विटी बनाने और संपत्ति के एक बड़े हिस्से का मालिक बनने में ज्यादा समय लगता है। नतीजतन, यदि वे संपत्ति बेचने का फैसला लेते हैं, तो शायद ही प्रॉपर्टी को बेहतर दाम में बेचकर मुनाफा कमा पाएं क्योंकि मूल राशि का छोटा हिस्सा ही तो चुकाया गया है।
Anarock की स्टडी कहती है, जब होम लोन पर ब्याज मूलधन से ज्यादा हो जाता है, तो यह व्यक्तिगत लोन लेने वाले और समग्र हाऊसिंग मार्केट दोनों के लिए चिंताजनक होता है। किफायती हाऊसिंग सेगमेंट में आगे की असफलताओं को रोकने के लिए, इस मुद्दे को आगामी केंद्रीय बजट में या अगर जल्दी हो सके तो नीतिगत दखल से सुलझाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए कि लोन लेने वाले तेजी से इक्विटी का निर्माण कर सकें और हाऊसिंग मार्केट में संभावित व्यवधानों से बच सकें।
ANAROCK रिसर्च के अनुसार, 2023 की पहली छमाही में किफायती घरों की कुल बिक्री हिस्सेदारी घटकर लगभग 20% हो गई है, जबकि 2022 की इसी अवधि में यह 31% थी।
2023 की पहली छमाही में, टॉप 7 शहरों में बेची गई लगभग 2.29 लाख यूनिट में से केवल 20% या लगभग 46,650 यूनिट को किफायती घरों के रूप में वर्गीकृत किया गया। हालांकि, 2022 की पहली छमाही में बेची गई लगभग 1.84 लाख यूनिट में से 31% से ज्यादा या लगभग 57,060 इकाइयों को किफायती घरों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। यह दो अवधियों के बीच किफायती घरों की बिक्री हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण गिरावट का संकेत देता है।
ठाकुर ने कहा, सभी के लिए आवास के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार को बड़ी संख्या में खरीदारों के लिए किफायती आवास को और ज्यादा प्रैक्टिकल बनाने की जरूरत है। इस सेगमेंट की मांग देश में सबसे ज्यादा है। लगभग 11.2 मिलियन यूनिट की मौजूदा शहरी आवास की कमी में, 40 लाख रुपये से कम कीमत वाले किफायती घर कुल कमी का 80% से ज्यादा हैं।”