वर्ष 2022 में 32 कंपनियों ने प्राथमिक बाजारों से करीब 55,000 करोड़ रुपये जुटाए। 2022 की सुस्ती के बाद कैलेंडर वर्ष 2023 अपेक्षाकृत बेहतर रहने की संभावना जताई जा रही है। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 55 कंपनियों को आईपीओ के जरिये 84,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिली है। इनमें आधार हाउसिंग फाइनैंस, टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्युशंस और मैकलॉयड्स फार्मास्युटिकल्स मुख्य रूप से शामिल हैं, जिन्होंने 5,000-7,300 करोड़ रुपये के बीच रकम जुटाने का प्रस्ताव रखा है।
रिपोर्टों के अनुसार, इसके अलावा, लगभग दो दर्जन आईपीओ आवेदन (सॉफ्टबैंक ग्रुप समर्थित ओयो होटल्स और टाटा प्ले समेत) सेबी के पास लंबित हैं। केआर चोकसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, ‘2023 में कई अच्छे व्यवसाय प्राथमिक बाजार में प्रवेश कर रहे हैं जिससे यह शानदार वर्ष साबित होने की संभावना है। रिटेल निवेशक खासकर लाभकारी कंपनियों की पेशकशों को लेकर उत्साहित बने रहेंगे।’
ब्याज दरें बढ़ने और रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर के इक्विटी बाजारों पर व्यापक असर पड़ा है, जिससे भारत में प्राथमिक बाजार की गतिविधि भी 2022 में प्रभावित हुई और नई सूचीबद्धताओं की संख्या 2021 के मुकाबले करीब आधी रह गई। करीब 32 कंपनियों ने इस साल अब तक शेयर बाजार में प्रवेश किया, जबकि 2021 में संख्या 65 थी। आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल आईपीओ से जुटाई गई कुल राशि (दिसंबर मध्य तक) 55,000 करोड़ रुपये पर रही, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 1.2 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि आईपीओ से औसत प्रतिफल सेंसेक्स में तेजी के मुकाबले बढि़या रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में, जहां सेंसेक्स औसत तौर पर 7.6 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं आईपीओ का प्रतिफल 17.7 प्रतिशत बढ़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन क्षेत्रों – खाद्य तेल, बीमा और हॉस्पिटल एवं हेल्थकेयर सेवाओं का 55,000 करोड़ रुपये की कोष उगाही में 56 प्रतिशत योगदान रहा। 2022 में सूचीबद्ध 32 शेयरों में से करीब 71 प्रतिशत मौजूदा समय में अपने निर्गम भाव से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। अदाणी विल्मर, वीनस पाइप्स ऐंड ट्यूब्स, हरिओम पाइप इंडस्ट्रीज और वेरांडा लर्निंग सॉल्युशंस इस साल ऐसे प्रमुख नए शेयर हैं जिन्होंने 2022 में अब तक अपने निर्गम भाव के मुकाबले 100-117 प्रतिशत प्रतिफल दिया है, जबकि करीब 10 अन्य शेयरों से निवेशकों की पूंजी 20-80 प्रतिशत तक बढ़ी।
दूसरी तरफ, गिरावट वाले प्रमुख आईपीओ में सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी एलआईसी भी शामिल है, जिसमें उसके निर्गम भाव से करीब 31 प्रतिशत कमजोरी आ चुकी है। डेलिवरी और आईनॉक्स ग्रीन एनर्जी खराब प्रदर्शन करने वाले अन्य शेयर हैं, जिनमें उनके निर्गम भाव के मुकाबले 34 और 37 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है। जोमैटो, पेटीएम, नायिका और पीबी फिनटेक समेत नए जमाने के स्टार्टअप में इस साल अपने निर्गम भाव के मुकाबले 29-87 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि बढ़ती ब्याज दरों, महंगे मूल्यांकन की चिंताओं और एंकर निवेशकों की बिकवाली से बाजारों में बड़ी गिरावट को बढ़ावा मिला है। नए स्टार्टअप समेत कुछ बड़ी सूचीबद्धताओं में आई गिरावट को देखते हुए विश्लेषक निवेशकों को भविष्य में सतर्कता बरतने और निवेश से पहले कंपनियों और संबद्ध क्षेत्रों का सही से मूल्यांकन करने की सलाह दे रहे हैं।