दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता के चलते इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने 2025 के लिए ग्लोबल GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 2.8 फीसदी कर दिया है। IMF का कहना है कि इस गिरावट के पीछे व्यापारिक तनाव, नीतिगत अस्थिरता और उपभोक्ताओं में भरोसे की कमी जैसे कारण हैं।
इन अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। सरकार का संतुलित वित्तीय मैनेजमेंट और नीतिगत समर्थन के चलते देश में स्थिरता बनी हुई है। वित्त वर्ष 2026 (FY26) में भारत की GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें ग्रामीण मांग, शहरी खपत और निवेश में सुधार प्रमुख कारक होंगे।
मई 2025 में महंगाई दर घटकर 2.8 फीसदी पर आ गई है, जो फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है। खाने-पीने की चीज़ों के दामों में नरमी और अच्छा मानसून इसका मुख्य कारण बताया गया है।
2024 में शेयर बाजार में तेज़ी के कारण डाइवर्सिफिकेशन का फायदा सीमित रहा था। लेकिन अब जब बाज़ार में उतार-चढ़ाव बढ़ रहा है, ऐसे में Multi-Asset Allocation Funds यानी मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स फिर से निवेशकों के लिए आकर्षक बन रहे हैं। ये फंड्स इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे अलग-अलग एसेट्स में निवेश करते हैं और अपनी रणनीति को हालात के मुताबिक बदल सकते हैं। इस वजह से जोखिम कम होता है और अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना बनी रहती है।
अब जब शेयर बाज़ार महंगे स्तर पर है और बॉन्ड यील्ड स्थिर हो गई है, ऐसे में गोल्ड को पोर्टफोलियो में शामिल करना समझदारी माना जा रहा है। गोल्ड न केवल महंगाई और भू-राजनीतिक संकट से बचाव करता है, बल्कि इसकी परफॉर्मेंस इक्विटी और डेट से अलग होती है, जिससे निवेश में विविधता मिलती है।
अगर Multi-Asset Allocation Funds में इक्विटी का हिस्सा 65% या उससे ज़्यादा रखा जाए, तो इससे होने वाला कैपिटल गेन ‘इक्विटी टैक्स’ के दायरे में आता है, जो आम तौर पर स्टैब रेट्स की तुलना में कम होता है। कई फंड्स डेरिवेटिव्स के ज़रिए अपने इक्विटी हिस्से को हेज करते हैं ताकि पोर्टफोलियो की अस्थिरता कम हो, फिर भी टैक्स में छूट बनी रहे।
जो निवेशक अपने लंबी अवधि के लक्ष्य के लिए टैक्स-एफिशिएंट और कम जोखिम वाले विकल्प तलाश रहे हैं, उनके लिए Multi-Asset Allocation Funds एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। ये फंड्स लंबी अवधि में बढ़त, थोड़े समय में नुकसान से बचाव और टैक्स में बचत – तीनों का अच्छा संतुलन देते हैं।
(नोट: यह लेख फ्रैंकलिन टेम्पलटन में वाइस प्रेसिडेंट और पोर्टफोलियो मैनेजर राजासा के. की राय पर आधारित है। इसमें व्यक्त किए गए विचार उनके व्यक्तिगत हैं।)