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कैसा है भविष्य तकनीकी फंडों का

Last Updated- December 07, 2022 | 12:03 AM IST

वर्ष 2000 की शुरुआत से तकनीक क्षेत्र अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा है। जब इसमें सुधार होना शुरु हुआ तो इसे वर्ष 2003 की उठा-पटक का सामना करना पड़ा।


तकनीकी क्षेत्र के शेयरों पर अमेरिका-इराक युध्द का खासा प्रभाव देखा गया। उस वर्ष 10 अप्रैल को इन्फोसिस जैसी कंपनी ने वित्त वर्ष 2004 के लिए अपनी आय के अनुमान में कमी कर दी।

उस दिन इन्फोसिस के शेयर की कीमत में 27 प्रतिशत की त्वरित गिरावट आई और अगले दिन 14 प्रतिशत की। निश्चय ही इसका प्रभाव पूरे तकनीकी क्षेत्र पर होना था और एक दिन में इस श्रेणी ने 12 प्रतिशत गंवाया जबकि बीएसई आईटी इंडेक्स में 20 प्रतिशत की गिरावट आई।

इसके बावजूद इस क्षेत्र में तेजी से सुधार हुआ। वर्ष 2003 के  मई महीने से इस क्षेत्र में विदेशी संस्थागत निवेशकों के पैसे आने लगे और नास्डाक पर इसकी मजबूत होती स्थिति से निवेशकों में खरीदने की दिलचस्पी में इजाफा हुआ। और बाद में जब इन्फोसिस ने अपनी आय के अनुमानों में संशोधन किया तो इसके सूचकांक में एक दिन में 10.34 प्रतिशत की बढ़त देखी गई। लेकिन क्षति तो हो चुकी थी।

फंड प्रबंधक भी उलझन में थे। वर्ष 2003-2004 में कुछ तकनीकी फंडों को विशाखित फंडों में परिवर्तित कर दिया गया या फिर दूसरे फंडों के साथ उनका विलय कर दिया गया। और साल बीतने के साथ-साथ फंड प्रबंधक ज्यादा व्यापक आधार लेकर चलने लगे और तकनीकी क्षेत्र को आंकने में लचीला रुख अपनाने लगे।

लेकिन फिर से तकनीक को चमकने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। वर्ष 2004 की प्रथम तिमाही के बेहतर परिणाम , वित्त वर्ष 2004-05 की आय के बेहतर अनुमानों के दिग्दर्शन, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार, तकनीकी क्षेत्रों में अधिक खर्च और भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं की विदेशी ग्राहकों के बीच बढ़ती साख से इस क्षेत्र को अच्छी मदद मिली।

इसलिए जब 27 मई 2003 से 5 जनवरी 2004 के बीच बाजार में तेजी आई थी तो तकनीकी फंडों में 114 प्रतिशत की बढ़त देखी गई। हालांकि यह बीएसई आईटी सूचकांक में आई 125 प्रतिशत की बढ़त से कम थी। प्रूडेन्शियल आईसीआईसीआई टेक्नोलॉजी फंड में 130 प्रतिशत की बढ़त हुई जिसका श्रेय इसके मिड-कैप की ओर अधिक झुकाव वाले पोर्टफोलियो को जाता है। और 5 जनवरी से 17 मई 2004 के बीच तकनीकी फंडों में 24 प्रतिशत की गिरावट आई।

जनवरी 2005 में तकनीकी क्षेत्र फंड प्रबंधकों का चहेता बन गया था। 115 विशाखित इक्विटी फंडों में से 35 ने तकनीक को शीर्ष श्रेणी में रखा था। इस वर्ष के अंत तक 124 विशाखित इक्विटी फंडों में से 117 के पोर्टफोलियो में तकनीकी क्षेत्र की औसत हिस्सेदारी 14.05 प्रतिशत की थी। इनमें से 40 ने तकनीक को शीर्ष श्रेणी में रखा था और 19 ने दूसरे स्थान पर।

अब तकनीक पोर्टफोलियो का हिस्सा नहीं रह पाया है। ऐतिहासिक रुप से देखने पर पता चलता है कि तकनीकी क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं लेकिन इनमें पलटाव की संभावना भी भरपूर है। वर्ष 2000 की असफलता से उबर कर यह एक बार फिर फंड प्रबंधकों का चहेता बन गया।

अमेरिकी ऋण संकट और रुपये में लगातार हो रही मजबूती को देखते हुए कोई भी व्यक्ति यह सोच सकता है कि क्या तकनीकी क्षेत्र का बेहतरीन समय पीछे छूट गया है? लेकिन ये सब निश्चित ही इस बात के संकेत नहीं हैं कि इस क्षेत्र को अनदेखा कर दिया जाए। तकनीकी कंपनियों का मूल्यांकन उस निचले स्तर पर आ गया है जो वर्ष 2000 के बाद से नहीं देखा गया था।

कंपनियां अपने व्यावसायिक मॉडल और भविष्य की बेहतर अपेक्षाओं के मामले में उभर कर सामने आई हैं। विदेशी व्यवसाय का प्रचलन यथावत बना हुआ है और कंपनियों को विदेशी ग्राहकों से बड़े सौदे भी मिल रहे हैं। हो सकता है कुछ समय तक यह क्षेत्र ज्यादा फलता-फूलता नहीं लगे लेकिन इस क्षेत्र से पैसे कमानेके अवसर निश्चित तौर पर नजर आते हैं।

आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल टेक्नोलॉजी

कई वर्षो से इस फंड पर हम लोगों की निगाहें रही हैं। और इस बात पर हमेशा जोर दिया जाता रहा है कि बराबरी के फंडों की तुलना में यह आगे जा सकता है।

ऐतिहासिक तौर पर यह बात साबित होती आई है और हालिया प्रदर्शन भी इसी ओर संकेत करते हैं। स्वाभाविक है कि वर्ष 2006 में इसे सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंड के रुप में देखकर लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ होगा। लेकिन वर्ष 2007 में इसका प्रदर्शन श्रेणी औसत की तुलना में कमजोर रहा।

तकनीकी क्षेत्र में आई मंदी की मार के बाद आईसीआईसीआई प्रूडेनिशयल टेक्रनोलॉजी ने इस बात को महसूस किया कि अगर यह तकनीकी क्षेत्र के बाहर भी निवेश करे तो प्रदर्शन बेहतर हो सकता है और इसके बाराबरी के कुछ फंड ऐसा कर भी रहे थे। इसलिए फंड के निवेश के व्यापक क्षेत्रों, जिसमें मीडिया, मनोरंजन, टेलीकॉम और इंटरनेट कारोबार शामिल है, को कोई वास्तव में गलत नहीं ठहरा सकता है।

यद्यपि इस फंड का हेल्थकेयर क्षेत्र में निवेश करना असमंजस की स्थिति उत्पन्न करता है। बीते हुए वर्षों में इस फंड ने रैनबैक्सी, प्लेथिको फार्मास्यूटिकल्स, विविमेड लैबोरेटरीजल, वॉकहार्ट, दीवीज लैबोरेटरीज, एल्डर फार्मास्यूटिकल्स आदि में अपना निवेश बनाए रखा था। सभी तकनीकी फंडों की तरह इस फंड की शुरुआत भी लार्ज-कैप पेशकश के साथ हुई थी।

वर्ष 2002 के बाद, इसका झुकाव मिड-कैप की तरफ बढ़ा और पिछले वर्ष जुलाई महीने के बाद इसने स्मॉल-कैप शेयरों का चयन करना शुरु कर दिया। इसलिए विप्रो, एचसीएल और इन्फोसिस की अनुपस्थिति प्रत्यक्ष तौर पर नजर आती है जबकि सत्यम कम्प्यूटर और टीसीएस टाटा सॉल्यूशंस, डेक्कन क्रॉनिकल, वाकरान्जी सॉफ्टवेयर, ईक्लर्क्स सविर्सेज, 3 आई इन्फोटेक, ग्लोबल ब्रॉडकास्ट न्यूज और पाटनी कम्प्यूटर्स के साथ जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

यद्यपि इसका पोर्टफोलियो 26 शेयरों के साथ सुविशाखित है। बराबरी के फंडों में अत्यधिक स्टैंडर्ड उतार-चढ़ाव के बीच इस फंड में आश्चर्यजनक परिणाम देने की संभावनाएं हैं। लेकिन इसमें निवेश करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप इसमें लंबे समय तक अपना निवेश बनाए रखेंगे और बाजार के लुढ़कने की दशा में घबराएंगे नहीं।

बिड़ला सन लाइफ न्यू मिलेनियम

यह एक जुझारू फंड है। जनवरी 2000 में खराब शुरुआत के बाद यह निरंतर इस श्रेणी के निचले पायदान पर बना रहा। 2003 में 67.29 प्रतिशत का प्रतिफल देते हुए इसकी जबर्दस्त वापसी हुई, उल्लेखनीय है कि इस श्रेणी द्वारा दिया गया औसत प्रतिफल तब 53.52 प्रतिशत का था। यह परिणाम था पोर्टफोलियो में शामिल किए मिड-कैप शेयरों का और शेयरों के चुनाव के बेहतर तरीके का।

सितंबर 2005 में इस फंड (पहले अलायंस न्यू मिलेनियम फंड) का बिड़ला सन लाइफ न्यू मिलेनियम के तौर पर पुनर्नामकरण किया गया। इस फंड का फोकस तकनीक, मीडिया, टेलीकॉम, इंटरनेट और अ-कॉमर्स व्यवसायों पर रहा।

नए फंड हाउस द्वारा इस फंड के अधिग्रहित किए जाने के बाद केवल नाम में ही परिवर्तन नहीं किया गया। नई टीम ने तुरंत विशाखण पर काम करना शुरु किया और औसत 12 शेयरों के पोर्टफोलियो में लगभग 20 शामिल कर लिए गए। इसके अतिरिक्त खास शेयरों में आवंटन में भी कमी की गई।

उदाहरण के तौर पर, जुलाई 2005 में, शीर्ष तीन शेयर पोर्टफोलियो के लगभग 39 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार थे। इन सबमें परिवर्तन किया गया। वर्तमान में शीर्ष पांच शेयर की हिस्सेदारी पोर्टफोलियो में लगभग 35 प्रतिशत की है और कुल शेयरों की संख्या 26 है।

दुर्भाग्यवश, इस परिवर्तन से फंड को ज्यादा लाभ नहीं हुआ और यह औसत प्रदर्शन करने वाला फंड बना रहा। यद्यपि पिछले वर्ष इसने श्रेणी औसत की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। फंड प्रबंधक की निवेश शैली अनूठी है। किसी विशेष मार्केट कैप से यह फंड नहीं चिपका रहा है।

शुरुआती दिनों में इसने लार्ज-कैप से मिड-कैप की तरफ का रुख किया था लेकिन अब इसका झुकाव किसी विशेष मार्केट कैप की तरफ नहीं है। जबकि इसके बराबरी के फंड का रुख इसके ठीक विपरीत है। हालांकि यह फंड निराश करने वाला नहीं है लेकिन इसका प्रदर्शन हमेशा बेहतर नहीं रहा है।

डीएसपीएमएल टेक्नोलॉजी डॉट कॉम

यह अपनी श्रेणी में निरंतर बेहतर प्रदर्शन करता रहा है। वर्ष 2007 की प्रतिस्पध्र्दा को पीछे छोड़ते हुए इसने 58 प्रतिशत का प्रतिफल दिया जबकि श्रेणी का औसत प्रतिफल 11.19 प्रतिशत का था।

यह परिणाम था फंड प्रबंधक अपूर्व शाह की मौलिक गतिविधियों का। रुपये की मजबूत होती स्थिति और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावनाओं से उन्होंने सॉफ्टवेयर सेवा का निर्यात करने वाली कंपनियों में आवंटन को घटाया और सेवा और मीडिया के शेयरों जैसे एडुकॉम्प सॉल्यूशंस, टाटा टेलीसर्विसेज और एनडीटीवी में आवंटन बढ़ाया।

जनवरी 2007 में इस फंड के तहत 82 प्रतिशत का निवेश तकनीकी क्षेत्र में किया गया था, जनवरी 2008 में यह कम होकर 57 प्रतिशत रह गया जबकि सेवा क्षेत्र (जिसमें मीडिया भी शामिल है) में निवेश बढ़ा कर 32 प्रतिशत कर दिया गया। पिछले वर्ष इसने धीरे-धीरे लार्ज-कैप में अपना निवेश घटाया और मार्च 2008 में मिड और स्मॉल-कैप में इसका निवेश बढ़ कर 72 प्रतिशत हो गया।

उठाए गए इस कदम से फायदा हुआ और फंड के कोष में पिछले वर्ष 437 प्रतिशत की वृध्दि हुई। टेक्नोलॉजी क्षेत्र के बुरे दौर से गुजरने के दौरान उठाया गया यह कदम काफी प्रशंसनीय रहा। फंड के कोष में हुई वृध्दि की संभावित वजह नकदी में फंड का उच्च आवंटन था।

फंड प्रबंधक ने वैसी नीति नहीं अपनाई जैसा कि अन्य अपना रहे थे। वर्ष 2004 और 2005 में इस श्रेणी के फंड अपने पोर्टफोलियो में मिड और स्मॉल-कैप शेयरों को शामिल कर रहे थे तो इस फंड के प्रबंधक ने ऐसा नहीं किया। न ही उसके किसी शेयर को निकालने और शामिल करने में कोई परेशानी रही। फरवरी 2007 में इन्फोसिस में इस फंड का निवेश 16.48 प्रतिशत का था।

धीरे-धीरे इसमें हिस्सेदारी घटाते हुए इस शेयर को बाहर कर दिया गया लेकिन फिर दोबारा इसे पोर्टफोलियो में शामिल कर लिया गया। फिलहाल यह शीर्षस्थ निवेश में आता है और इसमें पोर्टफोलियो का 9.39 प्रतिशत आवंटित किया गया है।

पोर्टफोलियो अत्यधिक केंद्रीकृत नहीं है। इसमें औसतन 26 शेयरों को शामिल किया गया है और ऐसा विरला ही हुआ है कि किसी खास शेयर में किया गया निवेश दो अंकों में हो। वैसे निवेशक जो टेलीकॉम, मीडिया, टेक्नोलॉजी और टेक्नोलॉजी आधारित क्षेत्रों में में दिलचस्पी रखते है, उन्हें इस फंड पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

First Published - May 19, 2008 | 1:59 AM IST

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