बीएस बातचीत
वैश्विक बाजारों में घटनाक्रम और कोविड-19 मामलों में तेजी ने पिछले सप्ताह भारतीय बाजारों में अस्थिरता बनाए रखी। नोमुरा में रणनीतिकार (भारतीय इक्विटी) सायन मुखर्जी ने पुनीत वाधवा को बताया कि विपरीत परिवेश के बावजूद सभी बाजार पूंजीकरण में शेयर-आधारित खास अवसर मौजूद हैं जिन पर निवेशकों को विचार करना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
बाजार उच्चस्तर पर डटे रहने में सफल रहे हैं? क्या आगे भी नए निचले स्तर पर जाने की आशंका हैं?
मार्च 2020 में विदेशी संस्थागत निवेशक बिकवाली के बाद कुछ सुधार दिखा है। ताजा तेजी को बुनियादी आधार और आय से मदद नहीं मिली है। आय अनुमानों में कटौती व्यापक रही है, क्योंकि विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2021/वित्त वर्ष 2022 की आय में वित्त वर्ष 2021 की शुरुआत के बाद से 24-14 फीसदी की कटौती की है। मौजूदा हालात में हमें बाजार में फिर से मार्च 2020 जैसी गिरावट के आसार नहीं दिख रहे हैं। हमारा यह आकलन इस संभावना पर आधारित है कि नकदी समर्थन बरकरार रहने और आर्थिक सुधार की संभावना है। विपरीत परिवेश के बावजूद, शेयर-केंद्रित अवसर हैं, जिन पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए।
अगले एक साल के दौरान अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के प्रदर्शन के बारे में आपका क्या अनुमान है?
क्षेत्रीय परिदृश्य से, हमने भारत पर ‘न्यूट्रल’ यानी तटस्थ बने हुए हैं। हम इस क्षेत्र में जापान, दक्षिण कोरिया और चीन को पसंद कर रहे हैं। भारत के संबंध में मुख्य चिंता कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या बड़े समुदाय पर इसके प्रभाव को लेकर है। ऐसा लग रहा है कि संक्रमण के नए मामलों में कमी तथा मजबूत वित्तीय एवं मौद्रिक प्रोत्साहन की मदद से अन्य देश भारत की तुलना में ज्यादा तेजी से सुधार दर्ज करेंगे।
भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर आपके संस्थागत ग्राहक चिंतित हैं?
हमें अभी भी भू राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर ज्यादा चिंता नहीं दिख रही है। मौजूदा हालात में, हमें इसके गहराने की आशंका नहीं है। वहीं सकारात्मक संदर्भ में मौजूदा हालात से स्थानीय निर्माण के प्रति ध्यान बढ़ सकता है। भू-राजनीतिक चिंताओं की वजह से नहीं बल्कि कमजोर वृद्घि की वजह से हम ‘तेजी पर बिकवाली’ के दौर में हैं।
अनलॉक 1.0 के संबंध में कंपनियों से आपको कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है? क्या सुधार के संकेत दिख रहे हैं?
कंपनियों ने सुधार को लेकर चर्चा शुरू कर दी है, लेकिन सख्त लॉकडाउन के बाद यह जरूरी भी है। कई कंपनियां परिचालन और बिक्री के संदर्भ में स्थिति करीब 70-80 फीसदी सामान्य बना चुकी हैं। पिछले दो महीनों की कमजोर मांग के बाद बिक्री अब बढ़ी है। इसलिए, भले ही बिक्री उन उत्पादों पर 70-80 फीसदी के स्तर पर लौट रही है जिनकी बिक्री लॉकडाउन के दौरान मुश्किल से ही दर्ज की गई थी। अगर कोविड-19 मामलों में वृद्घि बरकरार रही और वृद्घि परिदृश्य कमजोर बना रहा तो कोविड-पूर्व जैसी मजबूत मांग फिर से दर्ज किए जाना अल्पावधि में संभव नहीं होगा।
वित्त वर्ष 2021 के लिए कॉरपोरेट आय को लेकर आपका क्या अनुमान है?
वित्त वर्ष 2021 के लिए आय अनुमान लगभग 14 फीसदी वृद्घि का है। वित्त वर्ष 2021 के लिए आय वृद्घि एक अंक में या इससे भी नीचे रहने का अनुमान है। बाजार कोविड-19 की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता से अलग भी ध्यान दे रहे हैं और वित्त वर्ष 2021 में स्थिति कुछ हद तक सामान्य हो जाने की संभावना है और वित्त वर्ष 2022 एक सामान्य वर्ष होगा। निफ्टी आय अनुमानों से वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के बीच 24 फीसदी की सालाना आय वृद्घि का संकेत मिलता है। पिछले चार वर्षों के दौरान आय वृद्घि महज 9.8 फीसदी रही थी।
आपके ओवरवेट और अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं?
हम निर्यातकों और उन कंपनियों को लेकर उत्साहित हैं जो मौजूदा समय में अपने क्षेत्रों में मजबूती के साथ उभर सकती हैं। हम तेल एवं गैस, दूरसंचार, हेल्थकेयर, और आईटी सेवा पर ओवरवेट हैं। वहीं उपभोक्ता, और इन्फ्रास्ट्रक्चर /निर्माण पर अंडरवेट यानी नकारात्मक हैं। हमें वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक जीडीपी घटकर 6 फीसदी रह जाने का अनुमान है।