देश की सबसे पुरानी और चौथी सबसे बड़ी असेट मैनेजमेंट कंपनी यूटीआई ने शेयरों की बिकवाली करने का इरादा टाल दिया है।
कंपनी का इरादा अपने 485 लाख शेयरों को बेचने का था, इसके लिए यूटीआई ने सेबी (प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड) के समक्ष 9 जनवरी को ऑफर डॉकूमेंट फाइल किया था।
भारतीय प्रावधानों के अनुसार कंपनी को अपने शेयर बेचने के लिए आईपीओ की प्रक्रिया 22 जुलाई तक पूरी करनी थी। लेकिन शेयर बाजार से लगातार मिलते नकारात्मक संकेतों के बीच कंपनी ने अपने शेयर बेचने का इरादा फिलहाल टाल दिया है। इस निर्णय के बाद यूटीआई भी उन 160 कंपनियों में शामिल हो गई है जिसने वैश्विक मंदी के चलते अपने आईपीओ को टाल दिया है।
गौरतलब है कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स इंडिया, नेशनल हाइड्रो पॉवर कॉरपोरेशन ( एनएचपीसी),रुरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉरपोरेशन और डीएलएफ को भी मंदी के चलते अपने आईपीओ को टालना पड़ा था। म्युचुअल फंड के संचालन पर निगाह रखने वाली कंपनी वैल्यू रिसर्च लिमिटेड के धीरेंद्र कुमार का कहना है कि यूटीआई के मालिकों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है क्योंकि वे 2005 में खरीदी हुई हिस्सेदारी को बेचकर अभी तक पूंजी नहीं जुटा सके हैं।
वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के धीरेंद्र कुमार का कहना है कि यह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के लिए एक बुरी खबर है क्योंकि ये यूटीआई के चार हिस्सेदारों में प्रमुख हिस्सेदार हैं। लेकिन उनका कहना है कि मुझे नहीं लगता है कि कंपनी ने अपने आईपीओ को अंतिम रुप से टाल दिया है बल्कि यह आईपीओ सिर्फ कुछ समय के लिए टाला गया है। इन घटनाक्रम पर यूटीआई असेट के प्रवक्ता खुर्शीद मिस्त्री ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
सेबी के पास दाखिल ऑफर डॉकूमेंट में यूटीआई असेट के चारों हिस्सेदारों स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,भारतीय जीवन बीमा निगम,पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ोदा में से प्रत्येक ने 21.1 मिलियन शेयर बेचने का इरादा जताया था। यूटीआई ने इस आईपीओ के लिए जेएम फाइनेंन्शियल कंसल्टेंट प्राइवेट, सिटी ग्रुप और एनाम सिक्योरिटीज को प्रबंधन नियुक्त किया था। जबकि गोल्डमैन सैक्स,यूबीएस एजी , आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज,एसबीआई कैपिटल मार्केट और सीएलएसए लिमिटेड को शेयरों की बिक्री के प्रबंधन के लिए नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा यूटीआई असेट ने चयनित निवेशकों को की जाने वाली 160 लाख शेयरों की बिक्री को भी टाल दिया है। इस कंपनी से जुड़े एक बैंकर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले दिनों शेयर बाजार में आई गिरावट ने हमारे आत्मविश्वास को पूरी तरह से तोड़ दिया है। यूटीआई को हिस्सेदारी को बेचकर 120 मिलियन डॉलर रुपए जुटाने का इरादा था। हाल में ही केएसके एनर्जी द्वारा जारी आईपीओ को भी निवेशकों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा जब उसका आईपीओ दोगुना से भी कम सब्सक्राइब हो पाया। कंपनी को मजबूरन अपना इश्यू प्राइस 240 रुपए पर निश्चित करना पड़ा।