facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

प्रायोजक-मुक्त फंड हाउस की अवधारणा पर विचार

Last Updated- January 13, 2023 | 11:15 PM IST
SEBI

बाजार नियामक सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के स्वामित्व ढांचे में बड़े बदलाव लाने और स्पॉन्सर-लेस यानी प्रायोजक मुक्त फंड हाउसों की अवधारणा का प्रस्ताव रखा है। शुक्रवार को जारी चर्चा पत्र में, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि मौजूदा प्रायोजकों को दूर करने की अनुमति के पीछे तर्क यह है कि कुछ वर्षों के बाद एएमसी स्वयं ही सभी प्रायोजक संबंधित पात्रताएं पूरी करने में सक्षम हो जाती हैं।

स्पॉन्सर-फ्री एएमसी के प्रस्ताव के तहत, पिछले पांच वर्षों में कम से कम 10 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ और मजबूत निवेश पूंजी होनी चाहिए। इसके अलावा, कोई भी प्रायोजक जो अलग होना चाहता है उसे कम से कम पांच साल के लिए प्रायोजक होना चाहिए और उसे शेयरधारिता घटाकर निर्धारित सीमा से नीचे लाने की जरूरत होगी।

हालांकि सेबी ने इस बारे में खास समय-सीमा पर सुझाव मांगे हैं, जिसके अंदर शेयरधारिता घटाई जानी चाहिए। स्वयं-प्रायोजित एएमसी को सिर्फ ऐसे वित्तीय निवेशकों से जुड़ने की अनुमति होगी, जिनका निवेश खास सीमा तक सीमित होगी। इसके अलावा, ये शेयरधारिताएं बगैर पूर्व मंजूरी के अन्य निवेशकों के साथ बदली जा सकेंगी।

परामर्श पत्र में इस बारे में टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं कि ऐसे निवेशकों द्वारा अपर और लोअर लिमिट क्या होनी चाहिए। सेबी ने एएमसी से प्रायोजक हटने के बाद अपर लिमिट के तौर पर 26 प्रतिशत या 10 प्रतिशत और लोअर लिमिट के तौर पर 5 प्रतिशत सीमा का प्रस्ताव रखा है।

प्रायोजक मंजूरिया हासिल करने, वित्त पोषण और एएमसी की स्थापना आदि के लिए जिम्मेदार होता है। मौजूदा समय में, किसी एएमसी में प्रायोजक के लिए निरंतर आधार पर न्यूनतम 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने और एक एएमसी से ज्यादा में 10 प्रतिशत से अधिक स्वामित्व से रोकने की जरूरत होती है। स्व-प्रायोजित एएमसी के लिए, 10 प्रतिशत ये ज्यादा निवेश की अनुमति बरकरार रहेगी।

यह भी पढ़ें: प्राइवेट इक्विटी फंड को म्युचुअल फंड का प्रायोजक बनने की अनुमति देने पर सेबी कर रहा विचार

नए ढांचे से एएमसी की दो श्रेणियों को बढ़ावा मिलेगा, जिनमें से एक को कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली कंपनी द्वारा प्रायोजित किया जाएगा और दूसरे तरह की एएमसी में ऐसा प्रायोजक नहीं होगा।

First Published - January 13, 2023 | 11:15 PM IST

संबंधित पोस्ट