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आईपीओ फाइलिंग को गोपनीय बनाने पर विचार

Last Updated- December 11, 2022 | 7:05 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को गोपनीय तरीके से दाखिल करने और निर्गम दस्तावेज पहले से ही दाखिल कराने (प्री-फाइलिंग) की योजना बना रहा है। इस कदम से निर्गम जारी करने वाली कंपनी को राहत मिलेगी और गोपनीयता से जुड़ी चिंता भी दूर हो जाएगी।
उद्योग के भागीदारों ने कहा कि यह व्यवस्था लागू होती है तो पूंजी बाजार को बढ़ावा मिलेगा, प्रक्रिया सुगम होगी और ज्यादा कंपनियां निर्गम लाने के लिए प्रोत्साहित होंगी। हालांकि अभी इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जा रहा और लोगों से प्रतिक्रिया मंगाने के लिए परामर्श पत्र जारी किया गया है।
परामर्श पत्र में सेबी ने आईपीओ लाने वाली कंपनी के लिए निर्गम दस्तावेज पहले से जमा कराने की अनुमति देकर नियामकीय मूल्यांकन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर राय मांगी है। नियामक ने निर्गम दस्तावेज को केवल सेबी एवं स्टॉक एक्सचेंजों के पास जमा कराने की अनुमति पर भी प्रतिक्रिया मांगी है और यह प्रारंभिक जांच के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं होगा।
अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में आईपीओ दस्तावेज की प्री-फाइलिंग और गोपनीय फाइलिंग की व्यवस्था है। हाल के वर्षों में एयरबीएनबी, स्लैक और उबर ने संबंधित नियामकों के पास गोपनीय फाइलिंग के जरिये आईपीओ दस्तावेज जमा कराए थे।
नियामक मौजूदा व्यवस्था में सूचीबद्घता के बारे में कंपनियों की चिंता को भी ध्यान में रख रहा है। फिलहाल आईपीओ वाली कंपनी को सेबी के पास डीआरएचपी जमा कराना होता है। इसमें कंपनी के कारोबार, वित्तीय लेखाजोखा, प्रतिस्पर्धी परिदृश्य आदि का विस्तृत खुलासा करना होता है। सभी डीआरएचपी सेबी के पास जमा कराए जाते हैं और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होते हैं। सेबी आईपीओ मसौदे (डीआरएचपी) को मंजूरी देने में अमूमन 30 से ज्यादा दिन का समय लेता है। फिर कंपनी को आईपीओ लाने से पहले आरएचपी जमा करना होता है। आईपीओ का समय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में निर्गम दस्तावेज जमा कराने और आईपीओ लाने के बीच महीनों का अंतर होता है। कई बार दस्तावेज जमा कराने के बाद आईपीओ योजना टाल दी जाती है। लेकिन दस्तावेज में विशिष्टï खुलासे किए जाते हैं।

First Published - May 11, 2022 | 11:14 PM IST

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