भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ‘पेटीएम जैसी समस्या’ के भय की वजह से केवाईसी या अपने ग्राहक को जानिए जैसी औपचारिकताएं पूरी करने की जिम्मेदारी व्यक्तिगत संस्थाओं को सौंपने के पक्ष में नहीं है।
पूरे वित्तीय तंत्र के लिए केंद्रीकृत केवाईसी की अनुमति के सवाल पर सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा, ‘मौजूदा केआरए व्यवस्था व्यापक रूप से स्वीकृत है और यह बेहद मजबूत है। यदि आप केआरए द्वारा मान्यताप्राप्त केवाईसी करा लिया है तो आपको पूंजी बाजार में फिर से केवाईसी की आवश्यकता नहीं है।’
केआरए एक ऐसी केवाईसी पंजीकरण एजेंसी होती है, जो सेबी द्वारा विनियमित हो और पूंजी बाजार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए केवाईसी रिकॉर्ड को बनाए रखने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हो। संपूर्ण वित्तीय बाजार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए समान ढांचे का प्रस्ताव लंबे समय से लंबित है, जिसमें बैंक, बीमा कंपनियां और पूंजी बाजार मध्यस्थ शामिल होंगे।
सेबी प्रमुख ने संकेत दिया कि यह प्रस्ताव तभी कारगर होगा जब केआरए जैसी व्यवस्था होगी। बाजार नियामक व्यक्तिगत मध्यस्थों को नए निवेशकों को शामिल करने की अनुमति देकर केवाईसी मानदंडों को कमजोर बनने के पक्ष में नहीं रहा है।
उन्होंने एनएसई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘हमने कहा है कि हम अपने बाजार में पेटीएम जैसी समस्या नहीं होने देंगे। हम सबने देखा कि पेटीएम में क्या हुआ। चूंकि बैंकिंग प्रणाली में केआरए जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए पेटीएम की समस्या पेटीएम तक ही रही है। यह अन्य बैंकों तक नहीं फैली। लेकिन अगर हम पेटीएम को अपने सिस्टम में आने देते हैं और केआरए नहीं करते हैं, तो यह पूरे सिस्टम को दूषित कर देगा। हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते।’
31 जनवरी को आरबीआई ने केवाईसी प्रक्रियाओं में अनियमितताओं समेत कुछ खामियों की वजह से पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर पाबंदियां लगा दी थीं।
सेबी प्रमुख ने कहा कि नियामक जल्द ही बड़े ब्रोकरों के लिए द्वितीयक बाजार के संबंध ब्लॉक सुविधा या अस्बा की पेशकश अनिवार्य बनाने पर भी विचार करेगा। मौजूदा समय में, यह ढांचा वैकल्पिक है और किसी बड़े ब्रोकर द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है। बुच ने कहा, ‘काफी समय हो गया है। अब हमें अपनी अगली बोर्ड बैठक में इस मुद्दे को उठाना चाहिए। हम इसे क्वालीफाइड स्टॉक ब्रोकर्स के लिए अनिवार्य बनाने पर विचार करेंगे।’