पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये रकम जुटाने की योजना ने रफ्तार पकड़ी है। शेयर बाजारों में तेजी के कारण कंपनियां पूंजीगत खर्च के लिए जरूरी नई रकम आसानी से जुटा रही हैं।
इस साल अब तक 12 कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिये 10,655 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसमें चुनिंदा संस्थागत निवेशकों को मौजूदा बाजार भाव से थोड़ी कम कीमत पर नए शेयरों का आवंटन शामिल है। ऐसे कई और सौदे सामने आने हैं क्योंकि कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने के लिए निदेशक मंडल से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। उद्योग के प्रतिभागियों ने यह जानकारी दी।
इक्विरस के संस्थापक अजय गर्ग ने कहा, जब अर्थव्यवस्था एक निश्चित स्तर पर आगे बढ़ रही है तो कंपनियों को वृद्धि के लिए पूंजी की दरकार होती है, कार्यशील पूंजी या पूंजीगत खर्च के तौर पर और हमें लगातार पूंजी जुटाने की दरकार होती है।
सार्वजनिक कंपनियों के लिए क्यूआईपी रकम जुटाने के सबसे आसान तरीकों में से एक है। जब आप बाजार में पूंजी बाजार की ज्यादा गतिविधियां तब देखते हैं जब कई कंपनियां पूंजी जुटा रही होती हैं और यह बताता है कि वृद्धि वाली पूंजी की दरकार है।
इस साल की तेजी पिछले साल के ठीक उलट है। उतारचढ़ाव के साथ साल की शुरुआत के बीच कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले दो महीने में कोई क्यूआईपी नहीं आया और पहले 12 क्यूआईपी को आने में छह महीने लग गए। हालांकि मार्च 2023 के निचले स्तर से बाजार में तेजी ने कंपनियों को कम शेयर बेचकर नई पूंजी जुटाना अनुकूल बना दिया। निफ्टी-50 इंडेक्स ने मार्च 2023 के निचले स्तर से 31 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है, वहीं निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में क्रमश: 68 व 85 फीसदी की उछाल आई है।
बैंकरों ने कहा कि शुरू में कुछ डर था कि बाजार में उतरने वाली नई प्रतिभूतियां निवेशक समाहित नहीं कर पाएंगे, लेकिन पिछले साल ब्लॉक डील की कामयाबी के बाद कंपनियों व बैंकरों को विस्तार व वृद्धि के लिए नई प्रतिभूतियों की अच्छी मांग का अंदाजा लगा।
एक बैंकर ने कहा, नवंबर 2023 से क्यूआईपी में काफी तेजी आई है। चूंकि बैंकर के तौर पर हम वैसे लेनदेन पर ध्यान देते हैं जिससे शीघ्र कायापलट होता हो। इश्यू करने वाले पक्ष में काफी क्षमता है, जो पहले ब्लॉक में प्रतिबिंबित होती थी। कंपनियों को लगा कि अगर बेचने वाले शेयरधारक बाजार आकर अपनी हिस्सेदारी अच्छी कीमत पर बेच सकते हैं तो वे भी अपनी बैलेंस शीट पर रकम जुटा सकती हैं ताकि सुनिश्चित हो कि अगले साल वह जो कुछ भी करना चाहती है उसका ध्यान रखा जा सकता है।
विभिन्न बैंक मोटे तौर पर क्यूआईपी बाजार में ज्यादा सक्रिय होते हैं क्योंकि उन्हें अपने पूंजी पर्याप्तता के लिए लगातार पूंजी की दरकार होती है। साल 2023 में क्यूआईपी के जरिए जुटाई गई कुल रकम का 40 फीसदी से ज्यादा बैंकों ने जुटाया।
इस साल भी सबसे बड़ा क्यूआईपी यूनियन बैंक का था, जिसने पिछले हफ्ते 3,000 करोड़ रुपये जुटाए। हालांकि स्वान एनर्जी इसमें अग्रणी हो सकती है, जिसके क्यूआईपी का आंकड़ा 4,000 करोड़ रुपये का है। साथ ही पंजाब नैशनल बैंक ने भी क्यूआईपी से 7,500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बोर्ड जनवरी में मंजूरी हासिल कर ली है। ऐंजल वन भी जल्द ही 2,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी उतार सकती है।
पिछले कुछ वर्षों में अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त करने के बाद बैंक शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी दर्ज कर रहे हैं और उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता भी सुधर रही है, जिसने निवेशकों का ध्यान खींचा है। इसक अतिरिक्त बैंकों को पूंजी की दरकार हाल के वर्षों में क्रेडिट में हुई वृद्धि के चलते चाहिए क्योंकि कंपनियां बड़े पूंजीगत खर्च कर रही हैं कि खास तौर से विनिर्माता। सेंट्रम कैपिटल के साझेदार (निवेश बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, बैंकों को अपने पूंजीगत खर्च में आई तेजी की खातिर पूंजी जुटाने की दरकार होगी।