अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कड़ी मौद्रिक सख्ती के कारण 2022-23 में बाजार में भारी उतार-चढ़ाव रहा, जिससे इक्विटी पूंजी बाजार में भी गतिविधियां घटकर आधे से भी कम रह गईं।
आईपीओ के जरिये जुटाई गई रकम पिछले वित्त वर्ष से 52 फीसदी घटकर 54,344 करोड़ रुपये रह गई, जो वित्त वर्ष 2022 में 1.12 लाख करोड़ रुपये रही थी।
पात्र संस्थागत निवेश (QIP ) के जरिये जुटाई गई रकम 67 फीसदी घटकर 9,335 करोड़ रुपये रह गई। प्राइम डेटाबेस के अनुसार ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिये जुटने वाली रकम में 23 फीसदी और रीट/इनविट्स की रकम में 92 फीसदी गिरावट आई है। कुल मिलाकर इक्विटी पूंजी बाजार से इस वित्त वर्ष में 76,076 करोड़ रुपये ही जुटाए गए, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.74 लाख करोड़ रुपये से 56 फीसदी कम रहे।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक (MD) प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 में केवल LIC ने ही 20,557 करोड़ रुपये जुटाए, जो जुटाई गई कुल रकम का 39 फीसदी है। इसे हटा दें तो आईपीओ के जरिये केवल 31,559 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसके बावजूद 2022-23 में आईपीओ के जरिये अब तक की तीसरी सबसे बड़ी रकम जुटाई गई।’
एलआईसी के बाद दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ डेलिवरी (5,235 करोड़ रुपये) और तीसरा ग्लोबल हेल्थ (2,206 करोड़ रुपये) का था। आईपीओ का औसत आकार 1,409 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2023 में आईपीओ की छिटपुट गतिविधि देखी गई और 37 में 25 आईपीओ तीन महीनों (मई, नवंबर और दिसंबर) में ही आए।
हल्दिया ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि साल में अधिकतर समय बाजार में उतार-चढ़ाव रहा, जो आईपीओ के लिहाज से अच्छा नहीं होता। वास्तव में 2022-23 की चौथी तिमाही में जुटाई गई रकम पिछले 9 वर्षों में सबसे कम रही।’
इस साल नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों के महज 2 आईपीओ आए, जबकि पिछले साल ऐसे 5 आईपीओ आए थे। निवेशकों की प्रतिक्रिया देखें तो 11 आईपीओ को 10 गुना से अधिक अभिदान मिला, जिनमें दो को 50 गुना से अधिक अभिदान हासिल हुआ था। सात आईपीओ को 3 गुना से अधिक अभिदान (Subscription) मिला और बाकी 18 आईपीओ को तीन गुना तक अभिदान मिला।
आईपीओ में खुदरा निवेशकों के आवेदनों की औसत संख्या घटकर 5.64 लाख रह गई। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2022 में 13 लाख था और उससे पिछले वित्त वर्ष में 12.7 लाख रहा था।
सूचीबद्ध होने के बाद आईपीओ का प्रदर्शन औसत ही था। सूचीबद्ध होने के बाद औसत लाभ घटकर महज 10 फीसदी रह गया, जो 2021-22 में 33 फीसदी और 2020-21 में 36 फीसदी रहा था। सूचीबद्ध होने के बाद पहले दिन का सबसे अच्छा प्रदर्शन डीसीएक्स सिस्टम्स का था, जिसका शेयर 49 फीसदी चढ़ा। 47 फीसदी उछाल के साथ हर्षा इंजीनियर्स और 43 फीसदी बढ़त के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स मार्ट उसके बाद रहे। फिलहाल 36 में से करीब 21 आईपीओ (24 मार्च को) अपने निर्गम मूल्य से ऊपर चल रहे हैं।
आईपीओ में द्वितीयक शेयर बिक्री से 7,902 करोड़ रुपये मिले, जो आईपीओ की कुल रकम का केवल 15 फीसदी है। इस दरम्यान 37 में से 14 आईपीओ के जरिये पीई/वीसी निवेशक बाहर निकल गए। साल के दौरान करीब 68 कंपनियों ने सेबी के पास आईपीओ मसौदे जमा कराए। वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 144 था।
वित्त वर्ष में काफी आईपीओ आने को हैं। करीब 76,189 करोड़ रुपये जुटाने के लिए 54 कंपनियों के प्रस्ताव को सेबी से हरी झंडी मिल चुकी है। अन्य 19 कंपनियां 32,940 करोड़ रुपये जुटाना चाहती हैं और फिलहाल उन्हें सेबी से मंजूरी का इंतजार है।
कॉरपोरेट कैपिटल वेंचर के प्रबंध निदेशक कुलभूषण पाराशर ने कहा, ‘आईपीओ की योजना बनाने वाली अधिकतर कंपनियां सेबी के पास अपना मसौदा जमा करने से पहले इंतजार करना चाहेंगी क्योंकि पिछले तीन महीनों के दौरान वैश्विक बाजारों में मंदी के कारण काफी उतार-चढ़ाव रहा है। साथ ही बाजार नियामक द्वारा आईपीओ दस्तावेज लौटाए जाने के मामले भी ऐतिहासिक ऊंचाई पर दिख रहा है। इससे निवेश बैंकर आईपीओ दस्तावेज दाखिल करते समय काफी सतर्क हो गए हैं।’