इक्विटी सूचकांकों में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज हुई क्योंकि अमेरिका में तीन बैंकों के नाकाम होने के बाद उससे संभावित असर ने निवेशकों को परेशान रखा। सेंसेक्स व निफ्टी पांच महीने के अपने-अपने नए निचले स्तर को छू गए।
बीएसई सेंसेक्स 338 अंकों यानी 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 57,900 पर कारोबार की समाप्ति की, वहीं निफ्टी 111 अंक यानी 0.7 फीसदी टूटकर 17,043 पर बंद हुआ। पिछले चार कारोबारी सत्र में दोनों सूचकांकों में 4 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है और यह 13 अक्टूबर, 2022 के बाद के निचले स्तर पर चला गया है।
निफ्टी अपने 1 दिसंबर के सर्वोच्च स्तर 18,813 से 9.4 फीसदी से ज्यादा टूटा है और इस तरह से करेक्शन के करीब है। हालिया उच्चस्तर से 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट को करेक्शन माना जाता है।
ज्यादातर एशियाई शेयर टूटे क्योंकि सिलिकन वैली बैंक के घटनाक्रम ने बाजार पर मजबूत पकड़ बना ली जबकि अमेरिकी सरकार वित्तीय व्यवस्था स्थिर करने के लिए कदम बढ़ाए हैं।
अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों से पहले उतार-चढ़ाव ने भी निवेशकों को परेशान रखा। अमेरिकी प्राधिकरण की तरफ से SVB को बचाने के बावजूद सिग्नेचर बैंक की नाकामी ने निवेशकों की मनोदशा पर चोट पहुंचाई। बैंकों के लिए अतिरिक्त फंडों तक पहुंच बनाने के अमेरिका के आपात कदम और अमेरिकी प्राधिकरण के आश्वासन भी निवेशकों की चिंता दूर करने में नाकाम रहे।
अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था के संकट के बाजार के कुछ हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी को अभी विराम देगा और यहां तक कि वह ब्याज दर घटा भी सकता है। लेकिन अनुमान से ज्यादा महंगाई के आंकड़े परिदृश्य को जटिल बना सकते हैं क्योंकि फेडरल रिजर्व के प्रमुख ने पहले चेतावनी दी थी कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
इसके अतिरिक्त फेड के कुछ अधिकारी महंगाई का दो फीसदी का लक्ष्य हासिल होने तक ब्याज दरों को ऊंचा बनाए रखने के हक में हैं।
फेड के पास महंगाई को नियंत्रित करने का मुश्किल काम है, लेकिन उसे बैंकिंग व्यवस्था में स्थिरता भी लानी है। अमेरिकी उपभोक्ता कीमत रिपोर्ट के अलावा यूरोजोन में दर को लेकर फैसला व औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े, शुरुआती बेरोजगारी के दावे और जेनेट येलन का अमेरिकी सीनेट वित्त समिति के सामने दिए गए वक्तव्य पर भी निवेशकों की नजर रहेगी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, अल्पावधि में बाजारों पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि अमेरिकी बैंकिंग संकट गहरा रहा है, साथ ही और बैंक परेशानी के घेरे में आ रहे हैं। अब सबकी नजरें मंगलवार को जारी होने वाले अमेरिका के महंगाई के आंकड़ों पर होगी और ब्याज दरों को लेकर आगामी बैठक में फैसला काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, हालिया गिरावट के बाद कुछ राहत दिख सकती है। लेकिन बढ़त भी सीमित रहने की संभावना है। इस बीच, बाजार के भागीदार हल्का फुल्का कारोबार करेंगे और जोखिम प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देंगे।
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सेंसेक्स में शामिल दो तिहाई शेयरों में गिरावट आई। टीसीएस 2 फीसदी टूटा और सेंसेक्स के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज कारोबारी सत्र में 52 हप्ते के निचले स्तर को छू गया और अंत में 0.4 फीसदी गिरकर बंद हुआ। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.7 फीसदी टूटा और यह गिरावट इस डर से हुई कि अमेरिका में बैंकिंग संकट से उनकी मांग व सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
इस बीच, तेल की कीमतें मंगलवार को 2 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा टूट गई क्योंकि सिलिकन वैली बैंक के घटनाक्रम ने इक्विटी बाजारों को परेशान किया और नए वित्तीय संकट का डर पैदा किया। ब्रेंट क्रूड 1.3 फीसदी टूटकर 79.66 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।