अगर रुपये में गिरावट जारी रहती है तो इससे शेयर बाजार और नीचे जा सकता है। सितंबर 2024 के बाद से रुपये में 3.1 फीसदी की गिरावट आई है जबकि इस अवधि में निफ्टी 8.5 फीसदी और सेंसेक्स 7.3 फीसदी टूटा ई है। अगर गिरावट जारी रहती है तो बाजारों को और परेशानी झेलनी होगी क्योंकि इसके कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कहीं ज्यादा तेजी से अपनी पोजीशन की बिकवाली कर सकते हैं।
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 86.58 पर कारोबार कर रहा था। डॉलर में मजबूती और भारतीय शेयरों से निकासी के बीच रपये का यह नया निचला स्तर है। ब्रेंट क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी (जिससे विदेशी मुद्रा की मांग में इजाफा हुआ है) ने रुपये पर और दबाव बढ़ाया है। ब्रेंट क्रूड 82.7 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है जो 12 अगस्त 2024 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा कि अन्य मुद्राओं की तरह रुपया भी डॉलर के मुकाबले नीचे आ रहा है। नौकरी का बाजार अमेरिका में मजबूत हो रहा है। बॉन्ड का प्रतिफल बढ़ा है और बॉन्ड बाजार अर्थव्यवस्था के लिए ट्रंप के कदमों को लेकर आशावान है। डॉलर हर मुद्रा के मुकाबले मजबूत हुआ है, जिसमें रुपया भी शामिल है। गिरावट से बाजार झटका खाता है क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाता है।
रूस के ऊर्जा उद्योग पर अमेरिका की नई पाबंदियों के बाद सोमवार को तेल की कीमतें बढ़ीं जिससे निवेशकों की चिंता में इजाफा हुआ है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ रुपये में गिरावट और ज्यादा परेशानी बढ़ाएगी। अगर तेल स्थिर होता है तो रुपये में गिरावट का असर बहुत ज्यादा नहीं होगा। ये सभी चीजें तब हो रही हैं जब बजट पेश किया जाना है। एफपीआई के जोखिम को कुछ कम करने और दूर रहने की यही बड़ी वजह है। लेकिन एक चीज तय है : रुपये में गिरावट विदेशी निवेशकों के लिए नकारात्मक है क्योंकि उनकी वैल्यू में तत्काल गिरावट आती है। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि रुपये में गिरावट से लाभ पाने वाले क्षेत्रों की आय में बढ़ोतरी निवेशकों की उम्मीद से कम होगी।
स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि मुद्रा में गिरावट से कुछ क्षेत्रों को हालांकि फायदा होता है, लेकिन यह अस्थायी होगा। आईटी उद्योग को ही लीजिए। मुद्रा विनिमय दर के कारण उनके राजस्व में कुछ इजाफा हो सकता है। लेकिन जब भी उसी ऑर्डर या प्रोजेक्ट का नवीनीकरण होता है तो नवीनीकरण की दर डॉलर से कम हो सकती है। इसके साथ ही डॉलर में कच्चा माल खरीदने वाले नुकसान में होते हैं।
बालिगा ने कहा कि मुद्रा में गिरावट के कारण एफपीआई की बिकवाली में और इजाफा होगा। वे आज उसकी बिकवाली करेंगे जिसे वे कुछ दिनों बाद बेचना चाहते थे जिससे रुपये में गिरावट से उन्हें और नुकसान न हो। पिछले कुछ हफ्तों में बाजारों ने रुपये की गिरावट को और तीव्रता से महसूस किया है।
विशेषज्ञों ने कहा कि तेल और अन्य क्षेत्र, जो अपने कच्चे माल का आयात करते हैं, उन पर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही दवा और विशेष रसायनों को रुपये में गिरावट से फायदा हो सकता है।