जनवरी 2008 के दूसरे हफ्ते में शेयर बाजार आसमान की बुलंदियों को छू रहा था, लेकिन जनवरी के अंतिम सप्ताह में बाजार धड़ाम से गिर पड़ा। उसके बाद तो इसमें गिरावट का दौर शुरू हो गया।
जानकारों का कहना है कि इस वर्ष बाजार करीब 50-60 फीसदी लुढ़क चुका है। ऐसे में कई निवेशकों की झोली में सुराख हो गया, वहीं कुछेक की निवेश राशि 80-90 फीसदी तक घट गई है।
हालांकि सरकारी कदमों और महंगाई में नरमी से बाजार 10 हजार के आस-पास आकर थोड़ा संभला है, लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी इसमें और गिरावट आ सकती है।
ग्लोब कैपिटल के उपाध्यक्ष संजय सिंह के मुताबिक, 2008 निवेश के लिहाज से अच्छा नहीं रहा। हालांकि जनवरी माह में एक बार और गिरावट देखने को मिल सकती है। क्योंकि कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे आने वाले हैं, जिसमें उनका प्रदर्शन उम्मीद के विपरीत रहने की आशंका है।
हां, उसके बाद बाजार में निवेश करना मुफीद हो सकता है, क्योंकि कई अच्छे शेयर कम दामों पर उपलब्ध होंगे। एडलवाइस के आर. शाह का भी कुछ ऐसा ही मानना है। वह कहते हैं कि निवेश के लिए पोर्टफोलियों में विविधता होनी चाहिए, साथ ही लंबे समय के लिए पैसा लगाना चाहिए।
इन्वेस्ट शॉपी के आशीष कपूर का मानना है कि आने वाले साल के शुरुआती दिनों में बाजार में एक और गिरावट देखने को मिल सकती है। निवेशक इसका फायदा उठा सकते हैं और कम दामों पर बेहतर कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं।
संजय सिंह का कहना है कि इक्विटी बाजार में आ रहे उतार-चढ़ाव की वजह से निवेशक कमोडिटी बाजार की ओर भी रुख कर सकते हैं। उनके मुताबिक, सोना और मुद्रा बाजार में अच्छे अवसर हैं। जहां तक प्रॉपर्टी में निवेश की बात है, तो इसमें अभी करीब 20 फीसदी की और गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेश जोखिम सहने की क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर होना चाहिए। बाजार बॉटम लाइन के करीब खड़ा है। ऐसे में निवेश का सुनहरा मौका हाथ लग सकता है। अगर पर्याप्त नकदी हो, तो म्युचुअल फंड, बॉन्ड में भी निवेश किया जा सकता है, लेकिन यह लंबी अवधि का निवेश हो।
बाजार में अगले 12 से 18 महीनों में मजबूती का रुख दर्ज किया जा सकता है। विशेषज्ञ का कहना है कि अगले साल बाजार में कम से कम 14-15 फीसदी की बढ़त देखने को मिलेगी।