शेयर बाजार

Nifty50 में BFSI का भार 7 साल में सबसे कम, HDFC Bank के शेयरों में हालिया गिरावट बड़ी वजह

बेंचमार्क सूचकांक में HDFC Bank का सबसे ज्यादा भार है। विश्लेषकों का कहना है कि हा​ल की तिमाहियों में बैंकों की आय में नरमी के कारण BFSI क्षेत्र के भार में गिरावट आई है।

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कृष्ण कांत   
Last Updated- January 19, 2024 | 9:20 PM IST

पिछले दो दिनों में एचडीएफसी बैंक और निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों के शेयर तेजी से गिरने के बाद बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक में बैंक, वित्त और बीमा (BFSI) क्षेत्र का भार घटकर 32.3 फीसदी रह गया है, जो पिछले सात साल में सबसे कम है।

BFSI का भार मार्च 2023 के अंत में 36.6 फीसदी और दिसंबर 2023 के अंत में 34.5 फीसदी था। कैलेंडर वर्ष 2019 में BFSI क्षेत्र के भार में रिकॉर्ड तेजी आई थी और उस साल दिसंबर के अंत में यह 40.6 फीसदी पर पहुंच गया था।

कुछ समय पहले तक BFSI क्षेत्र की कंपनियां निवेशकों की पसंदीदा थीं मगर सूचकांक में भार कम होना इस क्षेत्र में नरमी आने का संकेत है। 2009 से 2019 के दौरान एक दशक से भी अ​धिक समय तक निजी क्षेत्र के बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) और बीमा कंपनियां दलाल पथ पर जोरदार प्रदर्शन करती रहीं। इससे बाजार में BFSI क्षेत्र का योगदान धीरे-धीरे बढ़ रहा था। मार्च 2009 के अंत में सूचकांक में BFSI का भार 17.9 फीसदी था, जो मार्च 2019 में बढ़कर 37.6 फीसदी पर पहुंच गया और दिसंबर 2019 में शीर्ष स्तर पर चला गया।

बेंचमार्क सूचकांक में HDFC Bank का सबसे ज्यादा भार है। गुरुवार को बैंक निफ्टी में इसका 38 फीसदी और निफ्टी 50 में भार 11.5 फीसदी भार था।

विश्लेषकों का कहना है कि हा​ल की तिमाहियों में बैंकों की आय में नरमी के कारण BFSI क्षेत्र के भार में गिरावट आई है। ​सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इ​क्विटी में शोध एवं इ​क्विटी स्ट्रैटजी के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा महामारी के दौर में दी गई नियामकीय रियायतें खत्म होने और शुद्ध ब्याज मार्जिन में कमी आने से बैंकों और एनबीएफसी के मुनाफे को बढ़ावा देने वाला पहलू पहले जैसा नहीं रहा।’

बैंकों को अंडरवेट श्रेणी में डालते हुए सिन्हा ने कहा कि कम आय वृद्धि के साथ उनका प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों की रकम जुटाने की लागत बढ़ रही है मगर खुदरा ऋण में होड़ काफी ज्यादा है और कम होड़ वाले कॉरपोरेट ऋण में सुधार के संकेत भी नहीं दिख रहे हैं।’

एमके ग्लोबल फाइनैं​शियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने लिखा, ‘हमने वित्तीय शेयरों को अंडरवेट रखा है। रिजर्व बैंक द्वारा दर कटौती के बाद से बैंकों के मार्जिन पर दबाव बढ़ गया है। कम अवधि के कॉरपोरेट ऋण के बाद बाह्य बेंचमार्क से जुड़े कर्ज में भी कमी आई है। वित्त वर्ष 2025 में ज्यादातर लार्ज कैप बैंकों की आय वृद्धि बीते वर्षों की तुलना में धीमी रह सकती है, जिससे इस क्षेत्र के शेयरों में गिरावट आ सकती है।’

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि हाल की तिमाही में छोटे और मझोले बैंकों का प्रदर्शन बेहतर रहने से लार्ज कैप बैंकों की हिस्सेदारी कम हुई है। इ​क्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और मुख्य कार्या​धिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ‘बैंकिंग क्षेत्र में निवेशकों ने अपना पैसा बेंचमार्क सूचकांक में शामिल बड़े निजी बैंकों से निकालकर छोटे सरकारी बैंकों और निजी बैंकों में ​लगाया है।’ उन्होंने कहा कि इससे छोटे बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहा है और बड़े बैंक पिछड़ते दिख रहे हैं।

इधर सूचकांक में BFSI की हिस्सेदारी में वाहन, फार्मास्युटिकल, एफएमसीजी और एलऐंडटी जैसी बुनियादी ढांचा कंपनियां तथा आईटी कंपनियां सेंध लगा रही हैं। उदाहरण के लिए वाहन कंपनियों का भार बढ़कर 6.65 फीसदी हो गया है, जो मार्च 2022 के अंत में 4.8 फीसदी था। इसी दौरान एफएमसीजी का भार 9.9 फीसदी से बढ़कर 11.9 फीसदी और फार्मा का भार 3.3 फीसदी से बढ़कर 3.4 फीसदी हो गया। लार्सन ऐंड टुब्रो को सबसे ज्यादा फायदा हुआ और सूचकांक में इसका भार बढ़कर 5 फीसदी हो गया है, जो मार्च 2022 में 3 फीसदी था।

मगर विश्लेषकों ने कहा कि अगर BFSI क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर बना रहा तो बाजार में ज्यादा तेजी आने की उम्मीद लगाना मुश्किल होगा क्योंकि इस क्षेत्र का भार अब भी सबसे ज्यादा है। इसका भार दूसरे स्थान पर मौजूद आईटी सेवाओं से करीब दोगुना है।

First Published : January 19, 2024 | 9:20 PM IST