प्रौद्योगिकी कंपनिय के कमजोर तिमाही नतीजों और इन्फोसिस द्वारा आय वृद्धि के अनुमान में कटौती से आईटी शेयरों में आज जोरदार बिकवाली देखी गई। इससे शेयर बाजार में 9 दिन से चली आ रही तेजी भी थम गई।
989 अंक तक लुढ़कने के बाद सेंसेक्स ने नुकसान की थोड़ी भरपाई की और 520 अंक की गिरावट के साथ 59,911 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में 13 मार्च के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 121 अंक के नुकसान के साथ 17,707 पर बंद हुआ। पांच प्रमुख आईटी शेयरों की बिकवाली ने ही सूचकांक 190 अंक नीचे कर दिया।
अकेले इन्फोसिस की वजह से निफ्टी 138 अंक और सेंसेक्स 414 अंक नीचे आया। इन्फोसिस का शेयर 9.4 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ, जो अक्टूबर 2019 के बाद कंपनी के शेयर में सबसे बड़ी गिरावट है। विकसित देशों में बैंकिंग संकट के बीच वित्त वर्ष 2024 में 6 साल में सबसे कम आय वृद्धि के अनुमान से कंपनी के शेयर में गिरावट आई है।
अन्य आईटी शेयरों पर भी बिकवाली का दबाव देखा गया और निफ्टी आईटी सूचकांक 4.7 फीसदी गिर गया, जो मई 2022 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। टेक महिंद्रा में 5.3 फीसदी, एचसीएल टेक में 2.7 फीसदी, विप्रो में 1.8 फीसदी और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयर में 1.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
विकसित देशों में मंदी की आशंका और आईटी सेवा निर्यातकों पर पड़ने वाले संभावित असर को देखते हुए अधिकतर विश्लेषकों ने इन्फोसिस और अन्य आईटी शेयरों के लक्षित भाव घटा दिए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि आईटी कंपनियों की आय पर अनुमान से ज्यादा असर पड़ा है, जिससे उन्हें रेटिंग घटानी पड़ रही है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने एक नोट में कहा है, ‘अमेरिका के क्षेत्रीय बैंकों और यूरोपीय बैंकों में मार्च में आए संकट ने सतर्कता बढ़ा दी है और जून तिमाही पर भी असर पड़ सकता है।’
एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयर में भी 1.6-1.6 फीसदी की गिरावट आई, जिससे गिरावट और बढ़ी।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘एचडीएफसी बैंक के नतीजे अच्छे थे, लेकिन उम्मीद इससे और बेहतर की थी। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक संकट के कारण आईटी शेयरों पर दबाव बना हुआ है। आईटी दिग्गजों को अपना मूल्यांकन वाजिब ठहराने के लिए आय में दो अंक की वृद्धि दर्ज करनी पड़ेगी मगर इस मोर्चे पर कुछ नरमी तो आनी ही है। कुल मिलाकर पिछले 9 कारोबारी सत्रों से बाजार में तेजी बनी हुई थी और इसमें थोड़ा ठहराव आया है।’
बीते 9 कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 5 फीसदी की तेजी आई थी, जो दो साल से भी अधिक समय में तेजी का सबसे लंबा दौर था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा लिवाली के कारण बाजार में तेजी आई थी। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने करीब 10,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निवेश आईटी शेयरों में ज्यादा है। उन्होंने आज 533 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
अमेरिकी ट्रेजरी का प्रतिफल बढ़ने से मौद्रिक नीति में सख्ती बढ़ने की संभावना दिख रही है, जिससे निवेशकों का हौसला और कमजोर हो गया। पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व के गर्वनर क्रिस्टोफर वेलर ने कहा था कि मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए वह मौद्रिक नीति को और सख्त बनाना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा था कि वित्तीय स्थितियां ज्यादा सख्त नहीं हैं और श्रम बाजार लगातार मजबूत बना हुआ है। ऐसे में मौद्रिक नीति को और सख्त बनाए जाने की जरूरत है।