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शेयर भाव और कंपनियों की कमाई में बढ़ी खाई

सूचकांक में तेजी उसकी कंपनियों की ईपीएस वृद्धि के करीब ही रही है मगर कुछ फासला रहा है। शेयर का भाव आय में वृद्धि के मुकाबले तेजी से बढ़ता है तो बाजार लुढ़क जाता है।

Last Updated- April 14, 2024 | 11:38 PM IST
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देसी शेयर बाजार नई ऊंचाई छू रहा है और शेयर भाव तथा कंपनियों की आय के बीच अंतर भी बढ़ता जा रहा है। इस समय इनमें जो अंतर है वह पिछले करीब 30 साल में सबसे ज्यादा है। बेंचमार्क सेंसेक्स की कंपनियों की प्रति शेयर आय (ईपीएस) पिछले 20 साल में जितनी बढ़ी है, सूचकांक उससे करीब 31 फीसदी ज्यादा चढ़ चुका है।

शेयर भाव और कंपनियों की आय में जो वृद्धि हुई है, उनमें सबसे अधिक अंतर पिछले 10 साल में दिखा है। पहले सूचकांक का मूल्य आय में वृद्धि के मुताबिक ही होता था। कभी कभार ऊपर-नीचे हुआ तो बाजार गिरने पर सब बराबर हो जाता था।

अप्रैल 2004 से अभी तक सेंसेक्स 13.7 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से कुल 1,220 फीसदी चढ़ चुका है। अप्रैल 2004 के अंत में सेंसेक्स 5,665 पर था और पिछले शुक्रवार को यह 74,244.9 पर बंद हुआ। मगर इस दौरान सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की प्रति शेयर आय सालाना 12.2 फीसदी चक्रवृद्धि दर से 899.3 फीसदी ही बढ़ी है। अप्रैल 2004 के अंत में सूचकांक की ईपीएस 292.8 रुपये थी, जो शुक्रवार को बढ़कर 2,926.5 रुपये पर पहुंच गई।

मगर 2004 से 2014 के दौरान सूचकांक कंपनियों की ईपीएस सेंसेक्स के मुकाबले ज्यादा तेज बढ़ी थी मगर 2014 से 2024 के बीच चाल उलटी हो गई। अप्रैल 2004 से अप्रैल 2014 के दौरान सूचकांक की ईपीएस 15.3 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ी मगर सेंसेक्स 14.9 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा।

अप्रैल 2014 के बाद से सूचकांक में 12.9 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि हुई मगर ईपीएस की सालाना वृद्धि 9.1 फीसदी ही रही। अप्रैल 2014 के अंत में सेंसेक्स 22,417.8 अंक पर था, जहां से वह 231.7 फीसदी बढ़ चुका है।

इसी दौरान सूचकांक की ईपीएस 1,227.7 रुपये से 133.6 फीसदी बढ़कर अप्रैल 2024 को 2,926.5 रुपये रही। सूचकांक की ईपीएस उसमें शामिल देश के शीर्ष 30 शेयरों के कुल शुद्ध मुनाफे से तय होती है। ईपीएस सूचकांक के बंद स्तर और एक्सचेंज द्वारा मुहैया कराए गए उस दिन के प्राइस टु अर्निंग (पीई) मल्टीपल के जरिये निकाली जाती है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड का विश्लेषण सेंसेक्स और इसके पीई मल्टीपल के महीने के अंत के मूल्य पर आधारित है। विश्लेषकों ने कहा कि शेयर भाव और कंपनियों की आय के बीच अंतर मूल्यांकन के कारण आई तेजी का नतीजा है।

सिस्टमैटिक्स ग्रुप में स्ट्रैटजी और इकनॉमिक्स के शोध प्रमुख और इक्विटीज के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘देसी शेयर बाजार में इस समय की तेजी कंपनियों का मुनाफा बढ़ने के बजाय मूल्यांकन बढ़ने के कारण आई है। यही वजह है कि पिछले कुछ साल में शेयरों में ज्यादातर बढ़त मुनाफे की वजह से नहीं बल्कि मूल्यांकन में इजाफे के कारण आई है।’

सूचकांक का पीई मल्टीपल अप्रैल 2014 के अंत में 18.26 गुना था, जो पिछले शुक्रवार को बढ़कर 25.7 गुना हो गया। अप्रैल 2004 के अंत में पीई मल्टीपल 19.3 गुना था। दिसंबर 1990 से सूचकांक का पीई मल्टीपल औसतन 20 गुना रहा है।

आंकड़ों से पता चलता है कि सूचकांक में तेजी उसकी कंपनियों की ईपीएस वृद्धि के करीब ही रही है मगर कुछ फासला रहा है। शेयर का भाव आय में वृद्धि के मुकाबले तेजी से बढ़ता है तो बाजार लुढ़क जाता है।

उदाहरण के लिए जुलाई 2006 और दिसंबर 2007 के बीच सूचकांक 89 फीसदी चढ़ गया था मगर ईपीएस में केवल 33 फीसदी इजाफा हुआ था। इसके बाद जनवरी 2008 में बाजार तेजी से लुढ़का और शेयर भाव तथा कंपनियों की आय के बीच अंतर लगभग पट गया।

इसी तरह फरवरी 2016 और दिसंबर 2019 के बीच सेंसेक्स 80 फीसदी चढ़ा था मगर ईपीएस 12.2 फीसदी ही बढ़ा। यह फासला महामारी के दौरान खत्म हो गया, जब तीन महीने में सेंसेक्स 28.6 फीसदी नीचे आया और ईपीएस 2 फीसदी बढ़ी। देसी शेयर बाजार में भी अभी यही नजर आ रहा है।

First Published - April 14, 2024 | 11:06 PM IST

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