Stocks to Buy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को रीपो रेट (Repo Rate) में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का ऐलान कर दिया। इसी के साथ रेपो रेट घटकर 5.5 फीसदी पर आ गई। साल 2025 में तीसरी बार ब्याज दरों में दर कटौती की गई। जबकि पिछले दो वर्षों में एक बारी में किया गया यह सबसे बड़ा रेट कट है। रेपो रेट में कटौती के बाद होम लोन, ऑटो लोन जैसे रिटेल लोन सस्ते होने और ईएमआई (EMI) घटने की उम्मीद है। ब्रोकरेज फर्म एक्सिस सिक्योरिटीज ने कहा है कि रेपो रेट में कटौती बैंकों के लिए एक पॉजिटिव डेवेलपमेंट हैं। इससे इस धारणा को भी बल मिलेगा कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में बैंकों के मार्जिन को समर्थन मिलेगा।
एक्सिस सिक्योरिट्ज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इससे भविष्य में दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित हो गई है। अब नीतिगत फैसले डेटा पर आधारित होंगे। हालांकि, महंगाई का रुझान नरम बना हुआ है और इसके निर्धारित सहनसीमा के भीतर या उससे नीचे रहने की संभावना है। साथ ही मांग में संभावित सुधार को सकारात्मक संकेत माना जा सकता है। आरबीआई ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है, जबकि जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है।
एक्सिस सिक्योरिटीज के अनुसार, बैंकिंग सेक्टर के दृष्टिकोण से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में कमजोर हुई क्रेडिट ग्रोथ में फिर से तेजी आना बेहद जरूरी है। इस रिकवरी की उम्मीद वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में की जा रही है। इसमें ब्याज दरों में गिरावट, अच्छे मानसून की संभावना, टैक्स कटौती से कंज्यूमर डिमांड में बढ़ोतरी और असुरक्षित लोन सेगमेंट में तनाव में कमी जैसे कारक सहायक हो सकते हैं।
ब्रोकरेज ने कहा कि बेहतर सिस्टमिक लिक्विडिटी, CRR कटौती और ज्यादातर बैंकों की तरफ से जमा दरों में की गई कटौती के चलते वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी में मार्जिन पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 50 बेसिस पॉइंट की हालिया कटौती का असर बैंकों की यील्ड्स पर पड़ेगा। इससे नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर दबाव आ सकता है।
एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता अब धीरे-धीरे कम होती दिख रही है। असुरक्षित लोन सेगमेंट का तनाव अब स्थिरता की ओर बढ़ रहा है। जबकि सुरक्षित लोन पोर्टफोलियो मजबूत बना हुआ है। आरबीआई गवर्नर ने भी यह स्पष्ट किया है कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में पहले जो तनाव था, वह अब कम हो गया है। हालांकि माइक्रोफाइनेंस (MFI) सेगमेंट में चुनौती अभी भी बनी हुई है। हमने पहले भी कहा था कि माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में FY26 की दूसरी छमाही से स्थिरता देखने को मिल सकती है।
ब्रोकरेज ने कहा कि हम उन बैंकों को प्राथमिकता देना चाहेंगे जिनकी ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं, जमा आधार स्थिर है, एसेट क्वालिटी बेहतर है और प्रबंधन टीमें अनुभवी व विश्वसनीय हैं।
Private Banks: ब्रोकरेज ने प्राइवेट बैंकों में एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिटी यूनियन बैंक, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक और उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक को अपने टॉप पिक में शामिल हैं।
PSU Banks: सरकार बैंकों में ब्रोकरेज ने एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक में निवेश की सलाह दी है।
NBFCs: वहीं नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) में श्रीराम फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस, बजाज फाइनेंस और एसबीआई कार्ड्स को चुना गया है।
(नोट: ये स्टॉक पिक्स इवेंट-आधारित हैं।)