दलाल पथ पर गिरावट और शांघाई में तेजी के बीच चीन के बाजार की तुलना में भारत को शेयर बाजार मूल्यांकन में मिली बढ़त अब कम हो रही है। चीन की तुलना में देसी बाजार का मूल्यांकन अब केवल 54.2 फीसदी अधिक रह गया है जो अगस्त के अंत में 82.3 फीसदी और सितंबर 2021 में रिकॉर्ड 124 फीसदी था।
पिछले 15 साल के औसत की तुलना में सेंसेक्स का मूल्यांकन प्रीमियम चीन से 48 फीसदी अधिक रहा है। चीन के शांघाई कंपोजिट सूचकांक का प्राइट टु अर्निंग मल्टीपल सितंबर में 17 फीसदी बढ़ गया। दूसरी ओर बाजार में गिरावट के कारण बीएसई सेंसेक्स का मूल्यांकन बीते एक महीने में घटा है।
शांघाई कंपोजिट सितंबर के अंत में 16.1 गुना पीई पर कारोबार कर रहा था जो अगस्त में 13.7 गुना था। इस दौरान शांघाई कंपोजिट सूचकांक 17.4 फीसदी बढ़कर 3,336.5 पर पहुंच गया जबकि अगस्त के अंत में यह 2,842.1 पर था।
सालाना छुट्टियों के कारण अक्टूबर के पहले हफ्ते में चीन का शेयर बाजार बंद रहा। इसकी तुलना में बीएसई सेंसेक्स का पीई मल्टीपल शुक्रवार को घटकर 24.8 गुना रहा जो सितंबर में 25.6 गुना और अगस्त में 25 गुना था। इस महीने अभी तक सेंसेक्स करीब 3 फीसदी गिरा है।
विश्लेषकों का कहना है कि चीन के बाजार में हालिया तेजी वहां शेयरों का मूल्यांकन कम होने की वजह आई है। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में शोध एवं इक्विटी स्ट्रैटजी के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘इक्विटी बाजारों में औसत उलटफेर होता रहता है और पूंजी अब चीन की ओर जा रही है क्योंकि घरेलू इक्विटी बाजार में मूल्यांकन बहुत अधिक हो गया है। उच्च मूल्यांकन संभावित तेजी को कम करता है और जोखिम को बढ़ाता है।’
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं सीईओ जी चोकालिंगम ने कहा, ‘चीन की सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा नए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा से वहां के बाजार में तेजी आई है। इन प्रोत्साहनों से कंपनियों की आय बढ़ने की उम्मीद में शेयर चढ़ रहे हैं। अगर कंपनियों की आय उम्मीद के अनुरूप नहीं रही तो बाजार में गिरावट भी आ सकती है।’
भारत में शेयर का मूल्यांकन पहली बार मई 2010 चीन की तुलना में अधिक हुआ था और उसके बाद से अप्रैल-जून 2015 की छोटी अवधि को छोड़कर यह ऊपर ही बना हुआ है। महामारी के बाद बाजार में तेजी से घरेलू इक्विटी मूल्यांकन का प्रीमियम चीन की तुलना में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।
सितंबर 2021 में यह सर्वाधिक ऊंचाई पर था जब सेंसेक्स की पीई सर्वकालिक उच्चतम स्तर 33.5 गुना पर पहुंच गया था जबकि इस दौरान शांघाई कंपोजिट का पीई 15 गुना था। भारत में कंपनियों की आय में तेज वृद्धि के कारण शेयरों का मूल्यांकन चीन के बाजार से ज्यादा बढ़ा है।
कोरोना महामारी के बाद सेंसेक्स कंपनियों की प्रति शेयर आय स्थानीय मुद्रा और डॉलर मद में काफी बढ़ी थी। दूसरी ओर हाल के वर्षों में चीन के शांघाई कंपोजिट की प्रति शेयर आय में गिरावट देखी गई।
बीएसई सेंसेक्स का ईपीएस पिछले 10 साल में सालाना 9.3 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। इसकी तुलना में शांघाई कंपोजिट का ईपीएस इस दौरान लगभग स्थिर रहा। चीन में कंपनियों की आय में कम वृद्धि और रियल एस्टेट क्षेत्र की कई कंपनियों के दिवालिया होने से निर्माण, निर्माण सामग्री, धातु एवं खनन, ऋण क्षेत्र की कंपनियों की आय पर भी असर पड़ा है।
हाल के समय में चीन के शेयर बाजार में तेजी मुख्य रूप से पिछले हफ्ते वहां की सरकार द्वारा प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की बदौलत आई है।