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सेंसेक्स, निफ्टी ने तोड़ा पांच महीनों का रिकॉर्ड; आर्थिक हालात में सुधार और विदेशी निवेश से मिला सहारा

Last Updated- May 15, 2023 | 11:40 PM IST
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निवेशकों ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर चिंता को दरकिनार कर दिया और अनुकूल वैश्विक संकेतों के बीच सोमवार के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स पांच महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गया।

सेंसेक्स 318 अंक चढ़कर 62,345 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 84 अंक के इजाफे के साथ 18,399 पर टिका। दोनों सूचकांकों का यह बंद स्तर दिसंबर 2022 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। सेंसेक्स अब अपने पिछले सर्वकालिक स्तर 62,284 से महज 1,000 अंक (1.5 फीसदी) पीछे है। इस स्तर को सेंसेक्स ने 1 दिसंबर को छुआ था।

वैश्विक स्तर पर निवेश उत्साहित हुए जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी कर्ज की सीमा को लेकर आपसी सहमति पर पहुंचा जा सकता है।

अमेरिकी सांसदों के बीच करार का मामला निवेशकों के लिए लगातार चिंता का कारण बना हुआ है और बाजार के जानकार उस स्थिति में मुश्किल हालात की चेतावनी दे रहे हैं जब अमेरिकी सरकार की उधारी सीमा 31.4 लाख करोड़ डॉलर को बढ़ाने पर कोई सहमति न बन पाए।

विश्लेषकों ने कहा कि कर्ज सीमा में इजाफा न किए जाने से अमेरिकी सांसदों को कॉमन ग्राउंड की तलाश के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। वॉशिंगटन में गतिरोध के अलावा मंदी की चिंता, बैंकिंग संकट और निकट भविष्य में आसान मुद्रा को लेकर संदेह निवेशकों को परेशानी में डाले हुए है।

भारत में निवेशकों ने कर्नाटक चुनाव के नतीजे को लेकर हुई निराशा को पीछे छोड़ दिया और बेहतर आर्थिक फंडामेंटल व कंपनियों की आय पर ध्यान केंद्रित किया। निवेशकों को इस वास्तविकता से भी राहत मिली कि राज्य व केंद्र के चुनाव में मतदाता की पसंद बदल जाती है।

जेफरीज ने एक नोट में कहा है, राष्ट्रीय चुनाव से पहले 2018-19 तक सात राज्यों में हुए चुनाव के विश्लेषण से पता चलता है कि राष्ट्रीय पार्टियां राज्यों के चुनाव के मुकाबले राष्ट्रीय चुनाव में ज्यादा वोट हिस्सेदारी पाती है। ऐसे में कर्नाटक में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन का यह मतलब नहीं है कि 2024 के आम चुनाव में उसका प्रदर्शन कमजोर ही रहेगा।

नोट में चेतावनी दी गई है कि अगले 12 महीने में केंद्र व राज्य सरकारें और लोकप्रिय हो जाएंगी। हम अगले 6 से 12 महीने के लिए स्टेपल्स पर ओवरवेट हैं क्योंकि यह न सिर्फ ग्रामीण रिकवरी को मजबूती देगा बल्कि जिंसों की कमजोर कीमतों के चलते मार्जिन में भी इजाफा करेगा।

निवेशकों का सेंटिमेंट थोक महंगाई के आंकड़ों से भी मजबूत हुआ। भारत का थोक कीमत पर आधारित सूचकांक जुलाई 2020 के बाद पहली बार नकारात्मक क्षेत्र में चला गया। अप्रैल में यह 0.92 फीसदी घट गया।

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विशेषज्ञों के मुताबिक, यह गिरावट उच्च आधार प्रभाव और जिंसों की घटती कीमतों के कारण आई है। उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर आधारित मंहगाई अप्रैल मे घटकर 4.7 रह गई, जो आरबीआई की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा से नीचे है। इससे भी सेंटिमेंट मजबूत हुआ।

रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख मितुल शाह ने कहा, महंगाई के आंकड़े घटने से RBI को दरों में बढ़ोतरी के साइकल पर विराम के लिए गुंजाइश बनाए रखेगा। थोक मूल्य सूचकांक में कमी भविष्य में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट के लिए भी ठीक है क्योंकि कच्चे माल की कम कीमतें उत्पादक अपने ग्राहकों को दे रहे हैं, जिससे घटते उपभोग में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी।

निवेशक अब फेड के अधिकारियों के बयानों और चीन की खुदरा बिक्री व औद्योगिक उत्पादन के ​आंकड़ों पर नजर रखेंगे।

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रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा, प्रमुख क्षेत्रों से हैवीवेट में रोटेशनल खरीदारी सूचकांक को सकारात्मक बने रहने में मदद कर रहा है। साथ ही संकेतक अभी मौजूदा प्रवृत्ति के जारी रहने के हक में हैं।

BSE में करीब 1,856 शेयर चढ़े जबकि 1,802 में गिरावट आई। सेंसेक्स के करीब 80 फीसदी शेयरों में बढ़ोतरी दर्ज हुई। ICT में 1.7 फीसदी की उछाल आई और इसने सूचकांक की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) 1,685 करोड़ रुपये के शुद्ध‍ खरीदार रहे।

First Published - May 15, 2023 | 8:07 PM IST

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